उप विकास आयुक्त अजय कुमार सिंह ने दीप प्रज्वलित कर पोषण परामर्श केन्द्र का उद्घाटन किया।
मधुबनी, 11, सितम्बर, : राष्ट्रीय पोषण माह के तहत जिलाधिकारी डॉ निलेश रामचन्द्र देवरे ने पोषण जागरूकता रथ को समाहरणालय परिसर, मधुबनी से हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।इस दौरान जिलाधिकारी द्वारा बताया गया कि जिले में महिला एवं बाल कुपोषण को दूर करने के लिए सामुदायिक सहभागिता को जोर दिया जाना आवश्यक है। आमजन में पोषण के प्रति नजरिया व उनके रोजाना के व्यवहार में बदलाव लाने के मद्देनजर इसका व्यापक स्तर पर प्रचार प्रसार भी आवश्यकहै।इस हेतु पोषण परामर्श केंद्र की स्थापना जिला प्रोग्राम कार्यालय परिसर, मधुबनी की गई है ।जिसका उद्धघाटन दीप प्रज्वलित कर उप विकास आयुक्त द्वारा किया गया है। पोषण परामर्श केंद्र की मदद से माता-पिता अपने शिशुओं के बेहतर पोषाहार व उनमें कुपोषण की स्थिति की जानकारी भी ले सकते है। उप विकास आयुक्त अजय कुमार सिंह नेे बताया कि पोषण परामर्श केंद्र की मदद से शिशुओं, बच्चों, किशोरियों, गर्भवती महिलाओं व धात्री माताआं को आवश्यक पोषण की जानकारी प्राप्त करने में काफी सुविधा होगी। पोषण संबंधी जानकारियां प्राप्त कर लोग इसेे अपने रोजमर्रा की रसोई में खाना पकाने की गतिविधियों में शामिल कर सकेंगे। कुपोषित बच्चों के माता-पिता पोषण परामर्श केंद्र से विभिन्न प्रकार के भोजन में मौजूद उच्च खनिज पदार्थों के लाभ के बारे में जानकारी हासिल कर अपने बच्चों की सेहत बनाने में सहायक होंगे। इस मौके पर डीआईओ डाॅक्टर एस के विश्वकर्मा, डीपीओ रश्मि वर्मा, केयर इंडिया के कर्मी, यूनिसेफ एस एम सी प्रमोद कुमार झा, चंचल कुमार तथा पोषण अभियान के जिला समन्वयक स्मित प्रतीक सिन्हा व केयर इंडिया के समेत अन्य कर्मी मौजूद थे। इस दौरान डी0पी0ओ0 रश्मि वर्मा ने बताया कि पोषण परामर्श केन्द्र की मदद से महिलाओं व बच्चों में पोषण के साथ-साथ स्वच्छता जैसी बुनियादी बातों की जानकारी दी जायगी। पोषण माह के दौरान परामर्श केन्द्र संचालित रहेगा। उन्होंने कहा सामुदायिक सहभागिता से यह सुनिश्चित किया जाए कि गांव के हर घर में शौचालय हो और खुले में कोई भी शौच करने के लिए नहीं जाए। अच्छे पोषण का सीधा संबंध स्वच्छता से है। घर में पकाई जाने वाली चीजों को अच्छी तरह धोया जाए।बच्चों को खाना खिलाने से पहले व शौच के बाद साबुन से हाथ धोना जरूरी है।
ज्ञातव्य हो कि पोषण अभियान को जनआन्दोलन के रूप में तब्दील करने के लिए अंर्तविभागीय सहभागिता सुनिश्चित की जा रही है। इसमें आई0सी0डी0एस0, स्वास्थ्य, शिक्षा, पंचायती राज के साथ केयर इंडिया भी सहयोग कर रहा है। पोषण माह के दौरान आयोजित की जानेवाली गतिविधियों में यूनिसेफ महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। यूनिसेफ मुख्यता मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना वी0एच0एस0एन0डी0 आदि पर गतिविधियों में सहयोग कर रही है जिलास्तर से लेकर प्रखण्डस्तर तक यूनिसेफ सहयोग प्रदान कर रहा है। पोषण माह के दौरान पोषण के पांच सूत्रों पर गांव घर में चर्चा की जाएगी। इनमें जन्म के पहले सुनहरे 1000 दिन, पौष्टिक आहार एनीमिया प्रबंधन, डायरिया प्रबंधन, स्वच्छता एवं साफ-सफाई जैसे विषय शामिल रहेंगे। पहले 1000 दिन के तहत बच्चों के जन्म से लेकर दो साल तक की उम्र तक उनके शारीरिक व मानसिक विकास पर चर्चा की जाएगी। इसके बाद पौष्टिक आहार के अंतर्गत शिशु जन्म के एक घंटे के भीतर मां का पीला दूध बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने संबंधी बातों की जानकारी दी जानी है। स्तनपान के साथ ऊपरी आहार की जरूरत पर बल दिया जाएगा। एनीमिया प्रबंधन के तहत आयरन संबंधी दवाओं की जानकारी दी जानी है। डायरिया प्रबंधन के अंतर्गत शिशुओं को डायरिया से बचाव की जानकारी भी उनके माता-पिता को देना है। डायरिया से बचाव के लिए नियमित स्तनपान को बढ़ावा देने, ओ0आर0एस0 का घोल और जिक सीरप आदि के बारे में बताया जाना है। वहीं पांचवे सूत्र के तहत स्वच्छता एवं साफ-सफाई के तहत शौच जाने से पहले एवं बाद में तथा खाना खाने से पूर्व एवं बाद में साबुन से हाथ धोने और बीमारी से बचाव की जानकारी दी जाएगी।
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