नयी दिल्ली ,23 सितंबर, कोविड-19 महामारी की चुनौतियों के बीच आयोजित संसद का ऐतिहासिक मानसून सत्र आज तय समय से पहले समाप्त कर दिया गया। राज्यसभा में सभापति एम. वेंकैया नायडू ने सदन के 252वें सत्र और बाद में लोकसभा में अध्यक्ष ओम बिरला ने 17वीं लोकसभा के चौथे सत्र को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करने की घोषणा की। दोनों मौकों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं संबंधित सदनों में मौजूद थे। संसद का यह सत्र 14 सितंबर को शुरू हुआ था और 01 अक्टूबर तक होना तय किया गया था, लेकिन कोविड-19 के मद्देनजर इसे समय से पहले समाप्त करना पड़ा।
इससे पहले इस साल बजट सत्र भी इसी कारण समय से पहले समाप्त करना पड़ा था। सत्र के दौरान दोनों सदनों की 10-10 बैठकें हुईं। इस दौरान कृषि क्षेत्र से जुड़े तीन महत्वपूर्ण विधेयक पारित किये गये जिस पर राज्यसभा में विपक्ष ने जबरदस्त हँगामा भी किया और बाद में दोनों सदनों में लगभग सभी प्रमुख विपक्षी दलों के बहिर्गमन के कारण उनकी अनुपस्थिति में ही कार्यवाही चली। इसके अलाव श्रम कानूनों से संबंधित तीन संहिताओं और वित्त वर्ष 2020-21 की अनुपूरक अनुदान माँगों और उनसे संबंधित विनियोग विधेयक को भी संसद की मंजूरी मिली। इसके अलावा पीएम केयर्स फंड को मान्यता देने और कोविड-19 के मद्देनजर कराधान अनुपालना में छूट संबंधी ‘कराधान एवं अन्य विधि (कतिपय उपबंधों का स्थिलिकरण और संशोधन) विधेयक पर भी संसद की मुहर लग गई। यह सत्र कई मायनों में ऐतिहासिक रहा। महामारी के मद्देनजर सामाजिक दूरी बनाये रखने के लिए सत्र के दौरान दोनों सदनों की बैठक अलग-अलग समय में आयोजित करनी पड़ी। संसद के इतिहास में पहली बार लोकसभा के सदस्य कार्यवाही के दौरान राज्यसभा कक्ष में और दोनों कक्षों की दर्शक दीर्घाओं में भी बैठे। इसी प्रकार राज्यसभा के सदस्य भी दोनों कक्षों में दर्शक दीर्घाओं में बैठे। यह भी पहली बार ही हुआ कि पूरे सत्र के दौरान प्रश्नकाल नहीं हुआ। दर्शकों को इस बार संसद की कार्यवाही देखने की अनुमति नहीं दी गई।
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