गैरों पर निगाहबानी, दलितों पर मेहरबानी, सुशासन बाबू की आँखों में नहीं बचा पानी
पटना : बिहार विधान सभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बड़ा दलित कार्ड खेला है। सीएम नीतीश ने अनुसूचित जाति- जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत सर्तकता मीटिंग में आदेश दिया कि अगर एससी-एसटी परिवार के किसी सदस्य की हत्या होती है, वैसी स्थिति में पीड़ित परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने का प्रावधान बनायें। सीएम नीतीश ने अधिकारियों से कहा कि तत्काल इसके लिए नियम बनाएं ताकि पीड़ित परिवार को लाभ दिया जा सके। नीतीश के इस फैसले को लेकर तेजस्वी यादव ने नीतीश कुमार पर आरोप लगाते हुए कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार दलितों की हत्या का प्रोमोशन कर रहे हैं।
तेजस्वी ने कहा कि मुख्यमंत्री ने इस तरह की घोषणा करके दलितों की हत्या चाहते हैं। चुनाव से पहले नीतीश कुमार दलितों का वोट पाने के लिए हत्या का प्रचार कर रहे हैं। साथ ही तेजस्वी ने यह भी कहा कि यह योजना सिर्फ दलितों के लिए क्यों है? क्या अन्य जाति के लोगों की जान की कोई कीमत नहीं है। साथ ही तेजस्वी ने कहा कि पिछले 15 वर्षों में नीतीश कुमार अपने राजनीतिक रोज़गार के चक्कर में बिहार के करोड़ों नौजवानों को बेरोजगार बनाते गए। आज देश मे सबसे ज्यादा बेरोजगारी जो की 46.6% है वो बिहार मे है। सबसे ज्यादा रोज़गार के लिए राज्य से बाहर पलायन बिहार में है, सबसे अधिक गरीबी बिहार में है, यहाँ आधे से अधिक 52% लोग ग़रीबी मे जी रहें। अपने पूरे शासनकाल में नीतीश जी ने ग़रीबी, बेरोजगारी, भुखमरी, भ्रष्टाचार और अपराध में ज़बरदस्त विकास किया है। हमारे नौजवान साथी Graduation, Post Graduation, PhD Engineering, इत्यादि पढ़ाई कर या तो बेरोजगार घूम रहे या मजदूरी कर रहे है। बिहार से बेरोजगारी हटाने के लिए नीतीश कुमार को हटाना होगा।
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