बिहार : महिलाएं डिप्रेशन सहन नहीं कर पा रही है - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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बुधवार, 23 सितंबर 2020

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बिहार : महिलाएं डिप्रेशन सहन नहीं कर पा रही है

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पटना,23 सितम्बर। अप्रैल माह में भागलपुर के लालबाग कॉलोनी में पूर्णिया एक निजी अस्पताल में पदस्थापित फिजियोथेरेपिस्ट डॉक्टर प्रियंका प्रियदर्शिनी ने फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली थी।मई2020 में सुपौल सदर थाना क्षेत्र के लोहियानगर में एक महिला डॉक्टर कविता (38) ने फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली थी। सितम्बर माह पटना में डॉ. शिवांगी ने जहर खाया  या फिर कोई जहरीला इंजेक्शन लिया होगा। यह सब डिप्रेशन का कारण हो सकता है। राजधानी में 34 साल की एक महिला डॉक्टर की संदिग्ध हालत में लाश मिली है। शव को पीएमसीएच के गर्ल्स हॉस्टल के कमरे से बरामद किया गया है। जिस महिला डॉक्टर की लाश मिली है, उनका नाम डॉक्टर शिवांगी था। वह मूल रूप से पटना के ही रामकृष्णा नगर इलाके की रहने वाली थी। डॉक्टर शिवांगी पटना में ही स्थित बिहार के दूसरे बड़े अस्पताल एनएमसीएच के एनेस्थीसिया डिपार्टमेंट में सीनियर रेजिडेंट थीं। साल 2009 में इन्होंने पीएमसीएच से एमबीबीएस किया था। इसके बाद पीएमसीएच से ही 2017-2020 के सेशन में पीजी कम्पलीट किया था। वह लगातार पीएमसीएच के गर्ल्स हॉस्टल में फोर्थ फ्लोर पर स्थित कमरा नंबर 70 में अकेली ही रह रहीं थीं।



प्राप्त जानकारी के अनुसार, बुधवार की सुबह 9 बजे के करीब डॉ. शिवांगी का कमरा अंदर से बंद था। देर तक जब उनका कमरा नहीं खुला तो हॉस्टल में रहने वाली साथियों ने बाहर से काफी देर तक आवाज लगाई। काफी समय बीतने के बाद जब शिवांगी ने कोई रिस्पॉन्स नहीं दिया तो प्रिंटिंग प्रेस चलाने वाले उनके पिता को कॉल कर इसकी खबर दी गई। कुछ देर बाद ही पूरा परिवार पीएमसीएच के गर्ल्स हॉस्टल पहुंच गया। परिवार के लोगों ने भी काफी आवाज लगाई। उसके मोबाइल फोन पर कई बार कॉल किया, फिर भी कोई रिस्पॉन्स नहीं मिला तो परिवार के लोगों ने अंत में कमरे के गेट को तोड़ दिया। जब वे डॉक्टर शिवांगी के कमरे के अंदर दाखिल हुए तो स्थिति को देख मौजूद सभी लोगों के होश उड़ गए। डॉ. शिवांगी की लाश बेड पर पड़ी हुई थी। परिवार वालों ने बताया कि बीते 4 सितंबर को ही डॉ. शिवांगी ने एनएमसीएच के एनेस्थीसिया डिपार्टमेंट को ज्वाइन किया था। इसके बाद पीएमसीएच टीओपी प्रभारी प्रवीण कुमार को मामले की जानकारी दी गई। पीरबहोर थाना और टीओपी की टीम ने मौके पर पहुंचकर मामले की छानबीन की और शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। पीरबहोर थानाध्यक्ष रिजवान अहमद के अनुसार, पूरा मामला संदेहास्पद है। पुलिस को शक है कि डॉ. शिवांगी ने जहर खाया होगा या फिर कोई जहरीला इंजेक्शन लिया होगा। मौत कैसे हुई इसकी वजह जानने के लिए बिसरा जांच भी कराई जाएगी। हॉस्टल के कमरे से कोई सुसाइड नोट बरामद नहीं हुआ है। डॉ. शिवांगी के संदिग्ध और रहस्यमयी मौत के पीछे की वजह क्या है? पुलिस की टीम इसके बारे में पता लगाने में जुटी हुई है।

भागलपुर में फिजियोथेरेपिस्ट डॉक्टर ने की की खुदकुशी
वहीं अप्रैल 2020 में भी भागलपुर के लालबाग कॉलोनी में पूर्णिया एक निजी अस्पताल में पदस्थापित फिजियोथेरेपिस्ट डॉक्टर प्रियंका प्रियदर्शिनी ने फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली थी। वो अपने पिता के साथ तिलकामांझी थाना क्षेत्र के लालबाग कॉलोनी में किराये के मकान में रहती थीं। डॉक्टर प्रियंका  के पिता मुंगेर के कोड़ा बाजार दक्षिण बिहार ग्रामीण बैंक शाखा के प्रबंधक हैं। महिला चिकित्सक पूर्णिया के मैक्स सेवन हॉस्पिटल में फिजियोथेरेपिस्ट के पद पर थीं और कुछ दिनों से पूर्णिया नहीं जा रही थी। सुबह देर तक जब बेटी सोकर नहीं उठीं तो जब परिजनों ने कमरे में झांका तो प्रियंका को पंखे से लटका पाया। जिसके बाद घरवालों ने शव को नीचे उतारा और फिर पुलिस को सूचना दी। सूचना मिलने पर सदर डीएसपी राजवंश सिंह समेत तिलकामांझी थाना पुलिस मौके पर पहुंची और मामले की जांच की। परिजनों के अनुसार डॉक्टर प्रियंका बीते कुछ माह से डिप्रेशन में थी।

सुपौल में महिला डॉक्टर ने डिप्रेशन में दी जान
इससे पहले मई2020 में सुपौल सदर थाना क्षेत्र के लोहियानगर में एक महिला डॉक्टर कविता (38) ने फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली थी। उसका शव कमरे में पंखे से लटकता हुआ मिला। डॉक्टर कविता जब सुबह 8 बजे तक नहीं जगी तो कविता की मां ने दरवाजा खटखटाया और आवाज लगाई। लेकिन काफी देर तक अंदर से कोई आवाज नहीं आई तो पड़ोसियों वेंटिलेटर तोड़ कर अंदर झांका तो कविता का शव पंखे से लटकता दिखा। उसके गले में साड़ी का फंदा लगा हुआ था।  कविता 2010 में रूस से एमबीबीएस की डिग्री लेकर लौटी थी। 2010 में ही उसकी शादी झारखंड के धनबाद जिले के सरायकेला थाना के हर्ष बिहार कॉलोनी के रहने वाले डॉ. नित्यानंद कुमार के साथ हुई थी। डॉ. कुमार फिलहाल रिम्स में पदस्थापित हैं। पिछले सात साल से पति-पत्नी के बीच अनबन चल रहा था। लगभग एक साल कविता अपने पिता के पास रहकर एफएमजीई (फोरेन मेडिकल ग्रेजुएट एक्जामिनेशन) की तैयारी में जुटी थी।

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