सी3एस के वैज्ञानिकों ने यह भी जाहिर किया कि अब तक के सबसे गर्म साल के तौर पर दर्ज किए गए वर्ष 2016 में और 2020 में ईयर टू डेट आंकड़ों के लिहाज से इस वक्त बहुत थोड़ा सा अंतर दिखाई दे रहा है। इसका मतलब यह है कि इन दोनों वर्षो में एक जनवरी से 30 सितंबर के बीच औसत वैश्विक तापमान विसंगतियां बहुत मिलती-जुलती हैं। वर्ष 2019 के मुकाबले 2020 ज्यादा गर्म है। अब ला नीनो जैसे जलवायु पैटर्न यह तय करेंगे कि क्या वर्ष 2020 अब तक का सबसे गर्म साल बन जाएगा। साइबेरियन आर्कटिक में सितंबर माह में तापमान में सामान्य से ज्यादा बढ़ोत्तरी का सिलसिला जारी है। इससे तपिश का क्रम बरकरार है और इसकी वजह से वसंत की शुरुआत से ही एक बहुत बड़े क्षेत्र के विभिन्न हिस्सों पर असर पड़ा है। हालांकि साइबेरिया और आर्कटिक में साल दर साल तापमान में बड़े उतार-चढ़ाव आते हैं लेकिन अध्ययन से यह पता चला है कि इस साल दर्ज की गई सापेक्ष तपिश अपने पैमाने और दृढ़ता के मामले में अभूतपूर्व है। सी3एस हर महीने समुद्री बर्फ की भी निगरानी करता है और उसके डेटा से इस बात की पुष्टि होती है कि सितम्बर में आर्कटिक सागर में जमी बर्फ के क्षेत्रफल में दूसरी सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की गयी है। वर्ष 2012 में सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की गयी थी। वर्ष 1979 में सेटेलाइट से निगरानी का सिलसिला शुरू होने के बाद से आर्कटिक में समुद्री बर्फ के क्षेत्रफल में खासी कमी आयी है। बर्फ के दायरे में गिरावट का यह रुख साल के सभी महीनों में देखा जा सकता है लेकिन खासकर सितम्बर के महीने में बर्फ का यह आवरण साल के न्यूनतम स्तर पर पहुंच जाता है। जलवायु सम्बन्धी कारकों की वजह से समुद्री बर्फ का खालिस वार्षिक चक्र वसंत की शुरुआत से ही शुरू होकर गर्मियों के अंत तक चलता है, जब हिमावरण अपने न्यूनतम स्तर पर पहुंच जाता है। आमतौर पर ऐसा सितम्बर में होता है। उसके बाद बर्फ का आवरण फिर से बढ़ने लगता है और सामान्यत: मार्च तक यह उच्चतम स्तर पर पहुंच जाता है। कॉपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस के निदेशक कार्लो बुओटेम्पो ने बताया ‘‘वर्ष 2020 के जून और जुलाई के महीनों में आर्कटिक सागर पर बर्फ की परत में अभूतपूर्व गिरावट देखी गई है। यह गिरावट उन्हीं इलाकों में हुई है जहां सामान्य से ज्यादा तापमान दर्ज किया गया है। इसकी वजह से इस साल खास तौर पर बर्फ के आवरण में कमी आई है। रिकॉर्ड गर्मी और आर्कटिक सागर में बर्फ की मात्रा में गिरावट को मिलाकर देखें तो इससे जाहिर होता है कि दुनिया में सबसे तेजी से गर्म हो रहे क्षेत्र में और अधिक व्यापक तथा बेहतर निगरानी कितनी जरूरी है।’’
कॉपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस द्वारा प्रतिमान तापमान सारांश
वर्ष 1981 2010 की अवधि में सितंबर के औसत के सापेक्ष सितंबर 2020 में सतह की वायु के तापमान में विसंगति। डेटा स्रोत ईआरए5 क्रेडिट : कॉपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस/ ईसीएमडब्ल्यूएफ सी3एस हर महीने जलवायु संबंधी बुलेटिन प्रकाशित करता है, जिसमें वैश्विक सतह वायु तापमान तथा जलवायु को प्रभावित करने वाले अन्य अन्य कारकों में होने वाले बदलावों का जिक्र किया जाता है। प्रकाशित किए जाने वाले सभी तथ्य कंप्यूटर जेनरेटेड अध्ययनों पर आधारित होते हैं। इन अध्ययनों के लिए सेटेलाइट, पानी के जहाज, विमान तथा दुनिया भर में स्थित मौसम केंद्रों से मिलने वाले अरबों पैमानों का इस्तेमाल किया जाता है।
सितंबर 2020 में सरफेस एयर टेंपरेचर :
यूरोप में और वैश्विक स्तर पर सितंबर 2020 तक का सबसे गर्म सितंबर रहा। यह वर्ष 2019 के सितंबर के मुकाबले 0.05 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा गर्म रहा। दुनिया भर के अनेक क्षेत्रों में तापमान सामान्य से काफी ज्यादा रहा। इनमें उत्तरी साइबेरिया के तट से दूर इलाके पश्चिम एशिया के क्षेत्र और दक्षिण अमेरिका तथा ऑस्ट्रेलिया के इलाके शामिल हैं। पूर्वी इक्वेटोरियल प्रशांत महासागर में औसत से ज्यादा ठंड रही जो ला नीनो के अनुरूप है।
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