राजनीतिक विशेषज्ञ इसे बिहार में चुनाव की नई स्ट्रैटजी मान रहे हैं, जिसे दिल्ली के अरविंद केजरीवाल मॉडल से जोड़ा जा रहा है। इसके अलावा पुष्पम ठेठ बिहारी वाले इमेज को भी भुना रही हैं, जिसे पीएम मोदी के लोकल फॉर वोकल के जरिए वोट की नीति भी समझा जा रहा है। पुष्पम प्रिया चौधरी मिथिला की हैं। पीएम मोदी की तर्ज पर ये चुनाव प्रचार में लोकल पुट वाली राजनीति साध रही हैं। इसलिए ये जहां जाती हैं, वहां की महिलाओं से खोंयछा जरूर लेती हैं। खोंयछा से लोकल बन वोट जुटाने की कोशिश बिहार से चुनाव लड़ना है तो बिहारीपन दिखाना होगा। पुष्पम प्रिया चौधरी भी ऐसे ही हथकंडे अपना रही हैं। पीएम मोदी की तर्ज पर ये वोटरों से लोकल पुट वाली राजनीति साध रही हैं। मिथिलांचल से ताल्लुक रखने वाली पुष्पम 'खोंयछा' से महिला वोटरों का हाथ मांग रही हैं। सोशल मीडिया पर खोंयछा लेते हुए कई तस्वीरें इनकी वायरल हो रही हैं। इसको लेकर उन्होंने अपने वॉल पर लिखा है खोंयछा मेरी राजनीति की जमापूंजी है। सब नौकरी पाए, सब अमीर बनें, सब आगे बढ़े। दरअसल, मिथिला में खोंयछा को सौभाग्य का द्योतक माना जाता है। जब बेटियां घर से बाहर आती हैं या फिर कहीं से घर आती हैं तो परिवार की सुख समृद्धि के लिए उन्हें खोंयछा दिया जाता है। हालांकि, यह विवाहिताओं को देने की परंपरा रही है लेकिन इसके सार में बेटियों की सुख-समृद्धि और विकास ही है। मान्यताओं के अनुसार खोंयछा में अगर बेटियों को अन्न का एक दाना और एक सिक्का भी दे दिया जाए तो ये समृद्धि का द्योतक माना जाता है। पुष्मम खोंयछा जैसी लोकसंस्कृति को अपने प्रचार अभियान में भुना रही हैं। चुनावी दौरे में वह जहां भी जा रही हैं वहां वह महिलाओं से आशीर्वाद के रूप में खोंयछा ले रही हैं।
पटना । तीनों चरण के प्रत्याशियों के विजय और बिहार के बदलाव का खोंयछा माँगने निकल रही पुष्पम प्रिया चौधरी।प्यूरल्स पार्टी की अध्यक्ष हूँ। आपके पास विकल्प है और इस बार अपने बच्चों के लिए, पूरे देश में बिहार और बिहारियों के सम्मान के लिए, बस बिहार और बिहार के भविष्य को चुनिए। रातों रात अखबार में इश्तेहार के जरिए बिहार की राजनीति में दस्तक देने वाली पुष्पम प्रिया चौधरी की पार्टी प्लूरल्स ने रविवार को टि्वटर पर ट्वीट कर कहा है तीनों चरण के प्रत्याशियों के विजय और बिहार के बदलाव का खोंयछा माँगने निकल रही हूँ। आपके पास विकल्प है और इस बार अपने बच्चों के लिए, पूरे देश में बिहार और बिहारियों के सम्मान के लिए, बस बिहार और बिहार के भविष्य को चुनिए। राजनीतिक विषयों पर काम करने वाले सुनील सिन्हा बताते हैं कि अब कई पार्टियां इसी को आधार बनाते हुए प्रत्याशी खड़ी की हैं। उनका कहना है कि जनता जाति और धर्म की राजनीति से उब चुकी है, वह बदलाव चाहती है। ऐसे में साफ सुथरी छवि के लोगों को साथ लेकर कुछ पार्टियां दिल्ली का मॉडल तैयार रही हैं। इसमें सबसे अधिक सामाजिक मुद्दों पर काम करने वाले एक्टिविस्ट, डॉक्टर और अन्य पेशेवर लोग हैं। इनमें से कोई भी प्रत्याशी किसी पार्टी से जुड़ा हुआ नहीं है। यानी पार्टी ने साफ-सुथरी छवि वाले प्रत्याशियों के बल पर चुनाव लड़ना चाह रही है।
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