आज तक तथाकथित डबल इंजन की सरकार पटना विवि को केंद्रीय विवि का दर्जा तक नहीं दिला सकी.
बिहारी युवाओं में अपार क्षमता, माहौल नहीं रहने के कारण होता है ब्रेन ड्रेन
पटना 19 अक्टूबर, माले महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने आज एक बार फिर भाजपा-जदयू सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि बिहार में औद्योगिक विकास नहीं होने का कारण समुद्र तल का होना नहीं है. यह एक हास्यास्पद तर्क है. असल में विगत 15 वर्षों में सरकार की कोई मंशा ही नहीं दिखी. अब बिहार तक समुद्र तट आने से रहा, तो क्या नीतीश जी यह कहना चाहते हैं कि बिहार में कभी औद्योगिक विकास होगा ही नहीं? उन्होंने आगे कहा कि आज देश में पंजाब व हरियाणा जैसे प्रदेश विकसित प्रदेश माने जाते हैं. वे इलाके बिहारी प्रवासी मजदूरों के ही श्रम से विकसित हुए हैं. कम से कम प्रवासी मजदूरों से ही नीतीश कुमार को पूछ लेना चाहिए था कि विकास कैसे होता है. यही मजदूर बाहर जाकर दूसरे प्रदेशों का विकास कर रहे हैं, लेकिन बिहार औद्योगिक और अन्य दूसरे लिहाज से पिछड़ा का पिछड़ा बना हुआ है. विगत 15 सालों में यदि बिहार में एक भी बंद कारखाना तक नहीं खुला, तो इसके लिए पूरी तरह से नकारा नीतीश कुमार की सरकार दोषी है, जो केवल आंकड़ों में विकास का सब्जबाग दिखलाते रही. यदि बिहार में सच में माहौल बनाया जाता और कोशिश की जाती तो बिहार के पास इतनी मानव शक्ति है कि वह आज देश के विकसित प्रदेशों में होता. मजदूरों के साथ-साथ बड़े पैमाने पर छात्रों व युवाओं का पलायन है. हर कोई कहता है कि बिहारी छात्र आज दुनिया के हर हिस्से में चमत्कार कर रहे हैं, उनके परिश्रम से दूसरे प्रदेश विकसित हो रहे हैं. हैदराबाद जैसे आइटी हब जो हाल के दिनों में डेवलप हुए हैं, उनमें यहां के छात्रों का बड़ा योगदान है. लेकिन बिहार में उनके पास कुछ नहीं है. शिक्षा के लिए उन्हें दूसरे राज्यों में पलायन करना पड़ता है. यह तथाकथित डबल इंजन की सरकार इतनी निकम्मी साबित हुई कि आज तक पटना विवि को केंद्रीय विवि का दर्जा तक नहीं दिला सकी. जबकि यह बिहार की जनता की प्रमुख मांगों में एक है. बिहार से ब्रेन ड्रेन हो रहा है. मजदूरों का पलायन हो रहा है. यही बिहार की सच्चाई है और इसीलिए बिहार अभी तक एक पिछड़ा हुआ प्रदेश बना हुआ है. बिहार की जनता इस सच्चाई को बखूबी समझ चुकी है, यही वजह है कि आज हर स्तर पर भाजपा-जदयू के खिलाफ चरम आक्रोश है. जब बिहार के छात्र लाॅकडाउन के दौरान कोटा में फंसे थे, तो नीतीश कुमार ने उनको घर बुलाने से इंकार कर दिया था. बिहार के बाॅर्डर पर हजारों किलोमीटर की यात्रा करने वाले प्रवासी मजदूरों के साथ नीतीश कुमार ने क्या सलूक किया था, उसे बिहार की जनता कभी भूलने वाली नहीं है. ऐसी घमंडी नीतीश सरकार को इस बार जनता सत्ता से बेदखल कर रही है.
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें