बिहार : रामनगर विधानसभा सीट पर कुल 11 उम्मीदवार में भागीरथी भी - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

शुक्रवार, 6 नवंबर 2020

बिहार : रामनगर विधानसभा सीट पर कुल 11 उम्मीदवार में भागीरथी भी

11-candidate-in-ramnagar
रामनगर. इस बार बिहार में 3 चरणों में चुनाव कराए जा रहे हैं.रामनगर सीट पर तीसरे चरण में वोटिंग होनी है और 7 नवंबर को मतदान कराए जाएंगे.रामनगर विधानसभा सीट पर कुल 11 उम्मीदवार मैदान में है जिसमें मुख्य मुकाबला भारतीय जनता पार्टी की भागीरथी देवी और कांग्रेस के राजेश राम के बीच है. जन अधिकार पार्टी (लोकतांत्रिक) की ओर से पप्पू कुमार राजन भी मैदान में हैं.  उत्तर प्रदेश और पड़ोसी देश नेपाल की सीमा से लगे है पश्चिमी चंपारण. इस जिले की अधिकतर विधानसभा सीटें आज की तारीख में भारतीय जनता पार्टी के कब्जे में है. इनमें से रामनगर विधानसभा सीट सबसे खास है, क्योंकि पिछले 20 साल में 5 विधानसभा चुनावों में यहां से किसी भी दूसरी पार्टी के उम्मीदवार को जनता ने विधायक बनने का मौका नहीं दिया. यहां तक कि वर्ष 2005 में जब सालभर के भीतर दो बार विधानसभा चुनाव हुए, उसमें भी बीजेपी ने अपना वर्चस्व कायम रखा. चेहरे भले ही बदलते रहे, लेकिन इस विधानसभा ने अपनी पार्टी दो दशकों में कभी नहीं बदली. ऐसे में 2020 का विधानसभा चुनाव बीजेपी के लिए कैसा परिणाम लाता है, यह देखने वाली बात होगी.


रामनगर विधानसभा सीट एक सुरक्षित सीट है और यह बिहार विधानसभा में क्रम संख्या में दूसरे नंबर की सीट है. रामनगर विधानसभा क्षेत्र पश्चिम चंपारण जिले में पड़ता है और यह वाल्मीकि नगर संसदीय (लोकसभा) निर्वाचन क्षेत्र का एक हिस्सा है. 2008 में परिसीमन आयोग की सिफारिशों के बाद इस सीट का पुनर्गठन किया गया और इसे अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित कर दिया गया. इससे पहले यह सामान्य सीट थी. सीट पर ज्यादातर क्षेत्र रामनगर और गौनहा सामुदायिक ब्लॉक के अंतर्गत आते हैं. बिहार विधानसभा की एकमात्र पद्म पुरस्कार से सम्मानित सदस्य भागीरथी देवी हैं.इस विधानसभा से पिछले दो चुनाव से लगातार जीत दर्ज करने वाली भागीरथी देवी को इस बार फिर बीजेपी ने टिकट दिया है. हालांकि रामनगर सीट पर बीजेपी का दबदबा माना जाता है. पिछले सात में से छह चुनाव में यहां से बीजेपी प्रत्याशी ने जीत दर्ज की है.भागीरथी देवी (जन्म 12 जनवरी 1954) एक भारतीय राजनीतिज्ञ हैं। वह बिहार विधानसभा की सदस्य हैं, और वर्तमान में रामनगर, पश्चिम चंपारण का प्रतिनिधित्व करती हैं. भागरथी देवी ने शुरुआत में पश्चिम चंपारण जिले के नरकटियागंज में प्रखंड विकास पदाधिकारी कार्यालय में एक स्वीपर के रूप में काम किया.यहां पर 800 रुपये की नौकरी करती थीं भागीरथी देवी. प्रखंड क्षेत्र में भागीरथी देवी की पहचान एक ऐसी महिला के रूप में है, जो गरीब, मजबूर और घरेलू हिंसा से पीड़ित महिलाओं के लिए एक आवाज हैं. 


गौरतलब है कि 2000 से पहले के चुनावों में भी बीजेपी यहां से कई बार चुनाव जीत चुकी है. वर्ष 2000 से लेकर 2005 तक के विधानसभा चुनावों में यहां से बीजेपी प्रत्याशी चंद्रमोहन राय ने लगातार जीत दर्ज की. उस समय तक पश्चिमी चंपारण जिले की यह सीट सामान्य विधानसभा क्षेत्र में दर्ज की जाती थी. लेकिन वर्ष 2008 में निर्वाचन आयोग द्वारा किए गए परिसीमन के बाद इसे अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित कर दिया गया. सुरक्षित सीट होने के बाद भी यहां की जनता लगातार बीजेपी पर अपना भरोसा जताती रही है. इस बार भी 2010 की तरह के ही सियासी हालात हैं, जब जेडीयू और बीजेपी साथ मिलकर चुनाव लड़ रही हैं. हालांकि 2015 के चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस के बीच जीत का अंतर कम होने को लेकर राजनीति के जानकार अलग-अलग कयास जरूर लगा रहे हैं, लेकिन विधानसभा चुनाव का परिणाम क्या होगा, यह तो आने वाला समय ही बताएगा. रामनगर विधानसभा सीट से भगीरथी देवी भारतीय जनता पार्टी की विधायक हैं. पिछले दो विधानसभा चुनावों से वे लगातार इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रही हैं. 2010 के मुकाबले 2015 के विधानसभा चुनाव में उनकी जीत का अंतर जरूर कम हुआ, लेकिन उन्होंने सीट बरकरार रखी. 2010 के चुनाव में जेडीयू और बीजेपी ने एक साथ चुनाव लड़ा था, उस समय भगीरथी देवी ने कांग्रेस प्रत्याशी नरेश राम को लगभग 30000 वोटों के अंतर से हराया था. वहीं, 2015 में जब जेडीयू ने राजद और कांग्रेस के साथ महागठबंधन बनाकर चुनाव लड़ा, तो भगीरथी देवी की जीत का अंतर आधा रह गया. 2015 में उन्होंने कांग्रेस पार्टी के ही उम्मीदवार पूर्णमासी राम को हराया, लेकिन मतों का अंतर लगभग 18000 का रह गया था. इस बार हो रहे विधानसभा चुनाव में अगर गठबंधन (Alliance) में यह सीट बीजेपी के खाते में जाती है तो निश्चित रूप से बीजेपी का पलड़ा भारी रहेगा क्योंकि इस बार एनडीए गठबंधन भी काफी मजबूत दिखाई दे रहा है। यह विधानसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है. साफ है कि यहां का राजनीतिक और जातीय समीकरण दूसरे क्षेत्रों से अलग है. मालूम हो कि बिहार विधानसभा चुनाव कोरोना काल के बीच हो रहे हैं. चुनाव आयोग ने महामारी को देखते हुए मतदान के लिए आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किए हैं. चुनाव नतीजे 10 नवंबर को घोषित किए जाएंगे.

कोई टिप्पणी नहीं: