छत्तीसगढ़। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल देश के टॉप 10 मुख्यमंत्री की लिस्ट में दूसरे स्थान हासिल किया है। इनसे भारतीय काथलिक धर्माध्यक्षों (सीबीसीआई) ने मांग की है कि अपने कार्य अनुरूप दलितों के साथ न्याय करें। कहा गया है कि आपको देश के अलग-अलग राज्यों में सरकार के काम-कामों से जनता की संतुष्टि पर एक सर्वे किया गया।जिसके बाद सर्वे के आधार पर मुख्यमंत्रीयों की लिस्ट जारी की गई है। उसमें छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल टॉप 10 की सूची में शामिल हो चुके हैं।इधर छत्तीसगढ़ में ख्रीस्तीय आदिवासियों के घरों पर हमला करने वाले सक्रिय होकर भोले भाले आदिवासियों के घरों को क्षतिग्रस्त कर रहे हैं।ऐसा करने से मुख्यमंत्री जी की छवि धूमिल कर रहे हैं। इन हमलावरों पर लगाम लगाने की जरूरत हैं। मालुम हुआ है कि छत्तीसगढ़ में आदिवासी ख्रीस्तीयों पर हाल के हमलों की जांच की मांग करने के लिए कार्यकर्ताओं के साथ कलीसिया के धर्माध्यक्ष भी शामिल हो गये हैं, जो शुभ सकेंत है।एक तथ्य-खोज करनेवाली टीम जिसमें सामाजिक और नागरिक अधिकार समूह शामिल हैं, जिन्होंने प्रभावित गांवों का दौरा किया है, उन्होंने राज्य सरकार से निष्पक्ष जांच करने का आग्रह किया है। रायगढ़ के धर्माध्यक्ष पौल टोप्पो ने कहा, "हम घटनाओं से दुःखी हैं और आदिवासी समुदाय के कल्याण की रक्षा करने और विभिन्न धर्मों के बीच सांप्रदायिक सद्भाव लाने के लिए निष्पक्ष जांच की मांग कर रहे हैं।" "आदिवासी आमतौर पर शांति प्रिय लोग हैं जिनका अन्य धर्मों के लोगों के साथ बहुत अच्छा संबंध रहा है लेकिन कुछ निहित स्वार्थी समूह, धर्म, जाति और पंथ के नाम पर लोगों में विभाजन पैदा करना चाहते हैं, जो बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है।" यह राज्य सरकार का कर्तव्य है कि वह अपने लोगों की देखभाल करे और हम मुख्यमंत्री भूपेश बघेल एवं अन्य अधिकारियों से अपील करते हैं कि वे इस मामले को धर्म या जाति के आधार पर भेदभाव किये बिना ध्यान दें और दलितों को न्याय दिलायें।" इस बीच, सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर जिन्होंने 13 गाँवों में तथ्य की खोज अभियान चलाया, उन्होंने पत्रकारों को बतलाया कि दल ने पाया है कि आदिवासी ख्रीस्तीयों पर हमला किया गया है और उनकी सम्पति नष्ट की गई है।
हमला 22-23 सितम्बर को कोंडागाँव, सुकमा, बस्तर और दंतेवाड़ा जिलों में हुआ था। टीम में नेशनल एलायंस ऑफ पीपल्स मूवमेंट, पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज और छत्तीसगढ़ नागरिक संयुक्त कार्रवाई समिति के सदस्य शामिल थे। पाटकर ने कहा कि प्रभावित परिवारों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि वे अपने गाँव वापस नहीं लौट पा रहे हैं और डर के कारण खेती बारी का काम नहीं कर पा रहे हैं। उन्होंने कहा, हालांकि, कोंडागांव जिले के गांवों में हिंसा के बाद अधिकारियों ने देरी से कुछ कार्रवाई की है, लेकिन अभी और कुछ करने की जरूरत है। पाटकर ने कहा कि असामाजिक तत्व द्वारा कुछ गाँवों में लोगों को पानी तक पीने नहीं दिया जा रहा है। इस अप्रिय मामले के खिलाफ कारर्वाई किये जाने की जरूरत है। ज्ञात हो कि ख्रीस्तीय धर्म मानने का विरोध करनेवाले लोगों के एक दल ने 22-23 सितम्बर को बस्तर जिला के कोक्राबेड़ा, सिंगनपुर और तिलयाबेड़ा गाँवों में आदिवासी ख्रीस्तीयों के 16 घरों में तोड़-फोड़ किया। विद्रोहियों ने मिट्टी के घरों की दीवारों और छतों को आंशिक रूप से नष्ट करने के लिए लकड़ी और बांस के डंडों का इस्तेमाल किया। हमला, सरना धर्म (प्रकृति पूजक) में प्रार्थना और पूजा समारोह में भाग लेने से इंकार करने के बाद किया गया। उन्होंने महिलाओं और बच्चों पर भी हमला किया, जिसके कारण कई लोग जान बचाने जंगल भाग गये हैं। छत्तीसगढ़ भारत का एक घनी आबादी वाला हिंदू राज्य है, जिसके 23.3 प्रतिशत लोग हिंदू हैं। मुसलमानों की संख्या 1 प्रतिशत हैं, जबकि ईसाई, जिनमें अधिकतर आदिवासी लोग हैं, उनकी कुल संख्या 0.7 प्रतिशत है।
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