छत्तीसगढ़ में कांकेर जिला स्थित भानुप्रतापपुर ब्लाॅक के ग्राम मुंगवाल की दस ग्रामीण महिलाएं आसपास के गांव क्षेत्रों के लिए इन दिनों मिसाल बन गई हैं। कोरोना संक्रमण काल की विषम परिस्थितियों से लेकर बारिश के मौसम में भी महिलाएं अपने-अपने खेतों और बाड़ियो में कृषि सखी के माध्यम से सब्जी उत्पादन करके कोरोना दौर के बीते आठ महीनों में प्रतिमाह 2500 से 3000 रुपए की कमाई कर रही हैं। गांव की महिलाएं समूह के माध्यम से हरी सब्जियों जैसे तोरई, बरबट्टी, करेला, टमाटर और भिंडी का उत्पादन करके उन्हें आस-पास के स्थानीय बाजार में बेचने का कार्य करती हैं। बाजारों में इन महिलाओं की सब्जियों की मांग भी बहुत है। इसके पीछे की एक वजह लाॅकडाउन के बाद से सब्जियों की कम आवक है तो दूसरी वजह उनके द्वारा की जा रही जैविक विधि से उत्पादन है। समूह की महिलाएं बगैर किसी रासायनिक खाद का उपयोग करके सामान्य तरीके से जैविक खेती कर रही हैं।
समूह की दूसरी महिला सरिता कोर्राम ने बताया कि हम सभी महिलाओं को पांच सौ रुपए में बीज और रस्सी दिया गया है। साथ ही बिहान की ओर से सब्जी उत्पादन के लिए सबसे पहले महिला कृषि मित्रों को प्रशिक्षण दिया गया। जिसके बाद वह हमारे गांव में आकर हमें प्रशिक्षित कर हमारी बाड़ी में ही तरोई, बरबट्टी, लौकी सहित अन्य हरी सब्जियों का उत्पादन करने के तरीके बताए। जागृति स्व-सहायता समूह की सदस्या हेमना जुर्री ने बताया कि मुंगवाल गांव में मैं ही सबसे ज्यादा क्षेत्र में तोरई, बरबट्टी, करेला, टमाटर और भिड़ी की खेती कर रही हूं। साथ ही भविष्य में प्रशासन की और मदद मिलती है तो अपनी मछली पालन व मुर्गी पालन करके भी अपने व्यवसाय को आगे बढ़ाना चाहूंगी।
इस संबंध में मुंगवाल की कृषि मित्र जयंती परडोटी कहती हैं कि आज ग्रामीण क्षेत्र की महिलाएं पहले की अपेक्षा अब अधिक जागरूक हो गई हैं। सब्जी उगाने के संबंध में उनसे जब बात की गई तो चार समूह की महिलाएं तुरंत तैयार हो गई। कोरोना जैसे आपतकाल में मुंगवाल जैसे ही आसपास के अन्य गांव बनौली, बुदेली, कनेचुर की महिलाएं भी अलग-अलग तरह से सब्जियों व अन्य चीजों का उत्पादन कर लाभ प्राप्त कर रही हैं। बिहान योजना से जुड़े फिल्ड ऑफिसर नवज्योति ने बताया कि मुंगवाल गांव में 10 महिला स्व-सहायता समूह है, जिसमें से 4 समूह सब्जी उगाने का कार्य कर रही हैं। जिन्हें बिहान योजना के माध्यम से सहायता दी जा रही है। उन्होंने बताया कि भानुप्रतापपुर ब्लॉक में बिहान के माध्यम से 524 किसान सब्जी उत्पादन से जुड़े हैं और यहां 4 कलस्टर के 95 ग्रामसभा में कुल मिलाकर 1000 स्व-सहायता समूह हैं। इन सबको मिलाकर ब्लॉक लेवल पर महिला शक्ति फेडरेशन भी बनाया गया है जो महिलाओ को स्वरोजगार के लिए प्रोत्साहन और मार्गदर्शन करती है।
राज्य सरकार की सहायता से ही सही कांकेर जिले में ग्रामीण क्षेत्र की महिलाएं अपनी मेहनत से स्व-रोजगार की नई शुरुआत कर रही हैं। वैसे तो छत्तीसगढ़ का यह क्षेत्र अपनी कला संस्कृति और खूबसूरत वादियों के लिए पहचाना जाता है, लेकिन विकास में पिछड़ापन और नक्सलियों का प्रभाव इसके माथे पर दाग की तरह है। बावजूद इसके ग्रामीण महिलाओ का यह छोटा सा प्रयास स्वयं के साथ साथ क्षेत्र के विकास में भी सराहनीय कदम हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा आपदा को अवसर में बदलने का दिया गया मंत्र का ज़मीनी स्तर पर इससे अच्छा उदाहरण और नहीं हो सकता है।
लीलाधर निर्मलकर
भानुप्रतापपुर, छत्तीसगढ़
(चरखा फीचर)
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