ससौली गाँव में मतदाताओं के आवागमन के लिए जान लेवा व्यवस्था है.89औराई विधानसभा क्षेत्र के ससौली गाँव के मतदान केंद्र संख्या 126(क) पर चुनाव आयोग द्वारा मतदाताओं के आवागमन के लिए जानलेवा व्यवस्था.
औराई .औराई विधानसभा के मतदान संख्या-126 (क) में मतदाता इस चचरी से पार करके मतदान करने जाएंगे.यहां तीन चरणों का अंतिम चरण का मतदान 07 नवम्बर को है. मतदाता काफी परेशानी झेलकर मतदान केंद्र तक पहुंचेंगे.यह देखना होगा कि पहले मैं और पीछे आप करने में भगदड़ न बच जाए. इस तरह की दुर्घटना की आशंका बनी रहती है.इस चचरी से एक बार में एक ही व्यक्ति एक तरफ से गुजर सकता है.इसके लिए दूसरी तरफ से आने वाले लोगों को किनारे खड़े होकर इंतजार करना पड़ेगा. इस कारण चचरी से पार करने वालों की लंबी कतार लग सकती है. बीएलओ मोहन पासवान ने मोबाइल नम्बर 7759046837 पर बताया कि बाढ़ के बाद से बांस की चचरी बनाकर आवाजाही की जा रही है.रास्ता कट गयी है.बिहार विधान सभा आम निर्वाचन -2020 में औराई विधानसभा के मतदान केंद्र की संख्या-126 (क) प्राथमिक विघालय सु.3 (प.भा.)में मतदाता बांस की चचरी से चलकर मतदान करने जाएंगे. बीडीओ विनोद कुमार मुआयना करके चले गये है. कोई एक हजार से अधिक वोटर हैं. हां पर चर्चा है कि मुजफ्फरपुर की औराई विधानसभा (Aurai Assembly) पर 50 साल से अधिक के राजनीतिक इतिहास में यादव जाति से ही विधायक बनते आ रहे हैं. जबकि गणेश प्रसाद यादव यहां छह बार विधायक रह चुके हैं. इसके अलावा साहित्यकार रामवृक्ष बेनीपुरी (Rambriksh Benipuri) भी दो बार विधायक रहे हैं.
मुजफ्फरपुर बाढ़ प्रभावित क्षेत्र माने जाने वाला औराई विधानसभा सीट (Aurai Assembly seat) राजनीतिक तौर पर काफी जागरूक विधानसभा क्षेत्र माना जाता है. पांच लाख से अधिक आबादी वाले औराई विधानसभा क्षेत्र में करीब तीन लाख मतदाता है जिसमें पुरुष मतदाताओं की संख्या डेढ़ लाख से अधिक है. जबकि यहां कम से कम मतदान करीब 55 फीसदी रहता है. इसके अलावा साहित्यकार रामवृक्ष बेनीपुरी (Rambriksh Benipuri) का क्षेत्र होने के कारण इसकी विशेष पहचान राज्य और देश में है. क्षेत्र में रोजगार के लिए पलायन एक दर्द के समान है जिसे लोग सालों से झेलते आए हैं. औराई और कटरा प्रखंड के 42 पंचायतों से औराई विधानसभा क्षेत्र का गठन हुआ है, जिसमें औराई प्रखंड के 26 और कटरा प्रखंड के 16 पंचायत शामिल हैं. 50 साल से अधिक के राजनीतिक इतिहास में औराई विधानसभा क्षेत्र से यादव जाति से विधायक बनते आए हैं. जबकि इस क्षेत्र में यादवों की संख्या मुसलमानों और वैश्यों की तुलना में कम है, लेकिन दो मुख्य पार्टियों के बीच जीत-हार के बीच यादव जाति से आने वाले प्रत्याशी ही होते हैं. जीतने वाले और हारने वाले प्रमुख प्रत्याशियों में यादव जाति के प्रत्याशी भी शामिल रहे हैं. औराई विधानसभा क्षेत्र में मतदाताओं में मुसलमान, वैश्य, यादव, भूमिहार और ब्राह्मण समुदाय के मतदाता क्रमशः संख्या के आधार पर स्थान पाते हैं. कांग्रेस के मथुरा प्रसाद सिंह औराई के पहले विधायक थे. 1962 में निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर विधायक बनने वाले पांडव राय दो बार औराई के विधायक बने. इसके बाद पांडव राय के बेटे गणेश प्रसाद यादव 1977 में जनता पार्टी के टिकट पर पहली बार विधायक बने और उन्होंने कांग्रेस के प्रत्याशी को हराकर जीत दर्ज की थी. गणेश प्रसाद यादव औराई से छह बार विधायक चुने गए. जबकि 2005 में अर्जुन राय ने जदयू के टिकट पर जीत दर्ज की और गणेश प्रसाद यादव के लगातार छह बार विधायक बनने के बाद उनकी जीत की रफ्तार पर रोक लगा दी. गणेश प्रसाद यादव बिहार सरकार में ग्रामीण विकास राज्य मंत्री के पद पर भी रहे. वहीं, 2010 के चुनाव में भाजपा से टिकट पाने वाले रामसूरत राय ने जीत दर्ज की, तो पिछले चुनाव 2015 में प्रोफेसर सुरेंद्र राय ने औराई क्षेत्र से जीत दर्ज की और अभी राजद से विधायक हैं.
साहित्यकार रामवृक्ष बेनीपुरी कर चुके हैं प्रतिनिधित्व
गेहूं और गुलाब जैसी चर्चित साहित्यिक रचना करने वाले साहित्यकार रामवृक्ष बेनीपुरी की धरती औराई रही है. औराई की पहचान साहित्यकार रामवृक्ष बेनीपुरी को लेकर है. वह 1957 से 1962 औराई के विधायक रहे और क्षेत्र के विकास के लिए हमेशा सक्रिय रहे. सादा जीवन और उच्च विचार को लेकर साहित्यिक जगत में सुर्खियां बटोरने वाले रामवृक्ष बेनीपुरी सोशलिस्ट पार्टी के चुनाव पर औराई से विधायक बने थे. वैसे उनकी पहचान साहित्यकार के साथ एक पत्रकार के तौर पर भी थी. औराई क्षेत्र को बाढ़ प्रभावित क्षेत्र माना जाता है. मुजफ्फरपुर के सबसे अधिक बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में औराई विधानसभा क्षेत्र शामिल है. औराई प्रखंड और कटरा प्रखंड का इलाका बाढ़ से सबसे अधिक प्रभावित है. कटरा के सभी 16 पंचायत जो औराई विधानसभा क्षेत्र में आते हैं वह पूरी तरह बाढ़ प्रभावित क्षेत्र हैं. यहां साल के 6 महीने से अधिक समय तक बागमती और लखनदेई नदी का बाढ़ का पानी लगा रहता है, जिसके कारण खेती काफी हद तक प्रभावित होती है. बाढ़ प्रभावित क्षेत्र होने के कारण इलाके में यातायात की समस्या भी प्रमुख रूप से है. इलाके के लोगों को अब भी चाचरी पुल के सहारे आवागमन करना पड़ता है. बागमती परियोजना द्वारा विस्थापित लोगों को पुनर्वास करने का काम भी नहीं हुआ है. औराई विधानसभा क्षेत्र के 36 गांव के लोगों को विस्थापन की समस्या झेलनी पड़ रही है. अब तक सही तरीके से ना तो मुआवजा मिला है ना ही विस्थापित लोगों को ऊंची जगहों पर बसाया गया है. इसके अलावा नीलगाय और जंगली सूअरों के आतंक से इलाके के लोग परेशान हैं. किसानों को सिंचाई का समुचित साधन भी उपलब्ध हो पा रहा है, तो सरकारी नलकूपों के बंद रहने से किसानों को सिंचाई के लिए काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. इलाके के लोग बाढ़ और सुखाड़ की दोहरी मार झेलने को विवश हैं.
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