पटना : 17 वीं बिहार विधानसभा चुनाव में एक अकेले बिना किसी गठबंधन में 141 सीटों पर चुनाव लड़ने वाली पार्टी लोजपा का कुछ दिनों पूर्व 20 वां स्थापना दिवस मनाया गया। इस स्थापना दिवस पर लोजपा सुप्रीमो चिराग पासवान ने कहा था कि बिहार के अंदर वर्तमान में चल रही नई सरकार अधिक दिन तक नहीं चलने वाली है। जिसके बाद अब उनके ही परिवार के सदस्य और उनके बहनोई साधु पासवान ने उन पर जमकर हमला बोला है। साधु पासवान चिराग पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि बिहार के लोग इन पर क्यों विश्वास करेंगे,इन्होंने 2014 चुनाव से पहले जो वायदे किये थे क्या उसे पूरा किया? चिराग ने न तो जमुई वासियों से किये वायदे को पूरा किया और न बिहार के युवाओं की अपेक्षा पर खरे उतरे हैं। उन्होंने कहा कि 2014 में जब चिराग पासवान पहली दफे चुनावी मैदान में उतरने वाले थे तो इन्होंने वायदा किया था कि सरकार में शामिल होने के बाद वे युवा आयोग बनवायेंगे? पांच साल तक ये केंद्र सरकार में शामिल रहे और रामविलास पासवान केंद्रीय मंत्री बने रहे। लेकिन इन्होंने किया क्या….बिहार की जनता से जो एक वादा किया था उसको पूरा नहीं करवाया? …तो फिर चिराग पर कौन विश्वास करेगा,इनकी बातों में अब बिहार की जनता नहीं आने वाली है। उन्होंने कहा कि चिराग झूठ में ही ढोंग रच रहे हैं दरअसल बिहार के वोटरों ने इस बार के विधानसभा चुनाव में चिराग को हैसियत में ला दिया। पांच साल तक सत्ता की मलाई खाने के दौरान इन्हें युवा आयोग का वायदा याद नहीं हुआ तो अब बिहार की जनता को बिहारी फर्स्ट बनाने के नाम पर झांसा दे रहे।
इसके आगे उन्होंने कहा है कि चिराग पासवान ऐसे हनुमान साबित हुए जो लंका में आग लगाने की बजाए अपनी झोपड़ी में ही आग लगा ली। ये नकली गदा लेकर रावण को हराने का दंभ भर रहे थे। चिराग पासवान नकली हनुमान हैं। पूरे पू चुनाव के दौरान पीएम मोदी के हनुमान का रट्टा लगाने वाले चिराग पासवान अपने पिता वाली राज्यसभा सीट भी नहीं बचा पाये। बीजेपी ने रामविलास पासवान के निधन से खाली हुई राज्यसभा की सीट को भी छीन लिया। अनील कुमार साधु ने तो यहां तक कह दिया कि चिराग बिहारी हैं कहां? वे तो अप्रवासी हैं, बिहार से क्या मतलब है इनको?उनका बिहार से कोई मतलब नहीं रहा है। जिसका जन्म,पढ़ाई-लिखाई सबकुछ बाहर हुआ हो और गांव-जवार से कोई मतलब नहीं रहा हो उसके मुंह से बिहार और बिहारी की बातें शोभा नहीं देती। चिराग के साले साधु ने लोजपा सुप्रीमो को चुनौती देते हुए कहा कि हिम्मत है तो वे अपने गांव की चौहद्दी बता दें। रामविलास पासवान के दामाद अनिल साधु ने चिराग पर इन सबसे से भी बड़ा अटैक करते हुए कहा कि कुछ दिन पूर्व लोजपा का 20 वां स्थापना दिवस कार्यक्रम था। लेकिन हमने देखा कि काफी कम लोग शिरकत किये थे। अधिकांश नेताओं ने पार्टी से दूरी बना ली है। जो बचे हुए हैं वो भी आगे चलकर निकलने वाले हैं। रामविलास पासवान के निधन के बाद पार्टी दूसरे एजेंडे पर निकल गई है। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि लोजपा 21 वीं स्थापना दिवस भी नहीं मना पायेगी।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें