- · कोरोना संकट ने पुस्तक-प्रकाशन के समूचे व्यवसाय-चक्र को प्रभावित किया है : अशोक महेश्वरी
- · अपने प्रिय लेखकों, प्रकाशकों, सबंधियों के साथ त्योहारों के इस मौसम में किताबतेरस मनाएं
- · राजकमल प्रकाशन द्वारा धनतेरस और दिवाली के मौके पर तमाम विषयों और रुचियों की किताबों के 50 सेट किये हैं जिनपर 30 प्रतिशत की छुट है।
नई दिल्ली : धनतेरस और दिवाली आने को हैं, इन त्योहारों में हम सबके साथ अपनी समृद्धि की कामना करते हैं और एक-दूसरे को उपहार देते हैं, उपहार हमारे सौजन्य और शुभेच्छा को दिखलाते हैं। दिवाली पर मेवा-मिठाइयाँ, बर्तन, सोने-चांदी के सिक्के आदि देने का चलन रहा है। ये चीजें समृद्धि का प्रतीक हैं। लेकिन कोई भी समृद्धि ज्ञान को छोड़कर पूरी नहीं हो सकती। ज्ञान सबसे बड़ा धन है और किताबें इसका जरिया। इसी के मद्देनजर हिंदी प्रकाशन जगत का जाना-माना नाम राजकमल प्रकाशन ने एक पहल की है। धनतेरस और दिवाली के मौके पर तमाम विषयों और रुचियों की किताबों के 50 सेट तैयार किये हैं। इनमें से पाठक अपनी पसन्द का सेट अपने लिए और प्रियजनों को उपहार में देने के लिए चुन सकते हैं। यह प्रयास न केवल कोरोना से बचाव के लिहाज से अच्छा होगा, बल्कि यह पुस्तक-प्रकाशन से जुड़े सभी लोगों के लिए अमूल्य सहयोग भी होगा। यह सही है कि हमारे देश की मौजूदा सामाजिक-शैक्षिक-आर्थिक अवस्था में साहित्यिक किताबों के लिए सीमित जगह है। फिर भी इससे इनकार नहीं किया जा सकता कि एक शिक्षित समाज और देश के निर्माण में इन किताबों की बड़ी भूमिका है। इस दिवाली और धनतेरस के अवसर पर अपने मित्रों, पड़ोसियों, प्रियजनों को उपहार में उनके प्रिय लेखकों के किताबों का सेट देना एक नया अनुभव होगा। इस पहल पर बोलते हुए राजकमल प्रकाशन के प्रबंध निदेशक अशोक महेश्वरी ने कहा “मैं आप सभी से एक और बात कहना चाहते हूँ। कोरोना से उपजे हालात ने हर छोटे-बड़े कामकाज तथा उनसे जुड़े लोगों पर असर डाला है। प्रकाशन उद्योग भी इससे अछूता नहीं है। अमूमन लोग पुस्तक-प्रकाशन का मतलब सिर्फ प्रकाशक समझते हैं, जबकि इसमें लेखक और प्रकाशक से लेकर संपादक, कॉपी एडिटर, प्रूफ़रीडर, कम्पोज़िटर, कवर डिजाइनर, कागज-आपूर्तिकर्ता, मुद्रक, प्रेसकर्मी, बाइंडर आदि कई और पेशेवर शामिल हैं। कोरोना संकट ने पुस्तक-प्रकाशन के समूचे व्यवसाय-चक्र को प्रभावित किया है। आपका किताबतेरस मनाना इन सभी को संबल देगा”। अशोक महेश्वरी ने आगे कहा कि वे दूसरे प्रकाशकों से भी अनुरोध करते हैं कि वे भी पाठकों की सुविधा के लिए ऐसा करें और पाठकों से भी अनुरोध करते हैं कि इस बार धनतेरस और दिवाली पर किताबें खरीद कर और उपहार में देकर 'किताबतेरस' मनाएं।
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