डॉ तारा सिंह बाम, एपी-कैट के पांचवें समिट में अनेक देशों से ऑनलाइन-भाग ले रहे स्थानीय नेताओं, जैसे कि, महापौर, सांसद, राज्यपाल, उप-महापौर, उप-राज्यपाल, अन्य स्थानीय सरकारी अधिकारी, जन स्वास्थ्य विशेषज्ञ, आदि, को संबोधित कर रहे थे. "एपी-कैट" के सह-अध्यक्ष और इंडोनेशिया के बोगोर शहर के महापौर डॉ बीमा आर्या ने कहा कि स्थानीय और ज़मीनी लोगों के एकजुट होने पर ही बदलाव आएगा क्योंकि स्वास्थ्य एवं विकास नीतियों और कार्यक्रमों को लागू करने में उनकी केन्द्रीय भूमिका है. सरकारी सेवाएँ यदि सुचारू रूप से प्रदान की जाएँ और जन स्वास्थ्य को प्राथमिकता मिले तो निश्चित रूप से स्थिति सुधरेगी. महामारी नियंत्रण में भी स्थानीय नेतृत्व का सबसे महत्वपूर्ण योगदान रहा. डॉ बीमा आर्य स्वयं कोविड-19 से जूझ चुके हैं और सफलतापूर्वक स्वस्थ हो पुन: जन हित के लिए सक्रीय हैं. डॉ तारा सिंह बाम ने कहा कि हम कितने स्वस्थ हैं यह अंतत: राजनीति से तय होता है। राजनीतिक निर्णयों का सीधा असर इस बात पर पड़ता है कि आम जनता कितनी स्वस्थ रहे। यही बात 'लैन्सेट' (विश्व-विख्यात चिकित्सकीय शोध पत्रिका) के मुख्य सम्पादक, डॉ रिचर्ड होर्टन, ने मार्च 2018 में कही थी। डॉ तारा सिंह बाम ने सिटिज़न न्यूज़ सर्विस (सीएनएस) से कहा कि तम्बाकू सेवन से हर साल 80 लाख से अधिक लोग मृत होते हैं. तम्बाकू से गैर संक्रामक रोग एवं कोविड-19 जैसे संक्रामक रोग के गंभीर परिणाम होने का खतरा भी बढ़ता है. तम्बाकू नियंत्रण और संक्रामक और गैर-संक्रामक रोग से होने वाली असामयिक मृत्यु पर अंकुश लगाना न सिर्फ जन स्वास्थ्य के लिए बल्कि राजनैतिक रूप से भी प्राथमिकता होनी चाहिए.
एपी-कैट घोषणापत्र से मिलती है जन स्वास्थ्य को आशा
जो घोषणापत्र एशिया पैसिफ़िक क्षेत्र के अनेक देशों से आये महापौर और स्थानीय सरकारी अधिकारियों ने एपी-कैट में पारित किया वह इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि उसमें जन स्वास्थ्य के लिए जो कदम उठाने का वायदा है वह विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा प्रमाणित और अनुशंसित नीतियों पर आधारित हैं. लोरेटो कान्वेंट की पूर्व वरिष्ठ शिक्षिका और सीएनएस संस्थापिका-संपादिका शोभा शुक्ला जो इस एपी-कैट समिट का संचालन कर रही थीं, ने बताया कि इस घोषणापत्र में स्थानीय नेताओं ने वायदा किया कि संक्रामक और गैर-संक्रामक रोगों के लिए विभिन्न कार्यक्रमों में समन्वयन बेहतर किया जायेगा, एवं तम्बाकू नियंत्रण कार्यक्रमों को अधिक प्रभावकारी बनाया जायेगा. इससे तम्बाकू सेवन में गिरावट आएगी; शराब सेवन में गिरावट आएगी; स्वास्थ्य के लिए हानिकारक असंतुलित आहार के सेवन में गिरावट आएगी; शारीरिक श्रम और गतिविधियों में बढ़ोतरी होगी; हृदय रोग और डायबिटीज के प्रबंधन में सुधार होगा; कैंसर प्रबंधन में सुधार होगा; और दीर्घकालिक श्वास सम्बंधित रोगों के प्रबंधन में भी सुधार लाया जा सकेगा. सबसे महत्वपूर्ण यह है कि इससे कोविड-19 महामारी के नियंत्रण में भी सुधार आएगा.
तम्बाकू उद्योग का जन-स्वास्थ्य में हस्तक्षेप है एक बड़ा अभिशाप
जन स्वास्थ्य नीतियों को लागू करने में सबसे बड़ी अड़चन और रोड़ा है तम्बाकू उद्योग. तम्बाकू उद्योग विभिन्न प्रकार से जन स्वास्थ्य नीतियों में हस्तक्षेप करता रहा है. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अनेक बार यह दोहराया है कि वैश्विक तम्बाकू नियंत्रण संधि को लागू करने के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती है तम्बाकू उद्योग का हस्तक्षेप. इस एपी-कैट घोषणापत्र में स्थानीय नेताओं ने जन स्वास्थ्य में उद्योग के हस्तक्षेप पर अंकुश लगाने के वायदे को दोहराया है. फिलीपींस के बालंगा शहर के महापौर और एपी-कैट के सह-अध्यक्ष फ्रांसिस ऐन्थॉनी एस गार्सिया ने कहा कि सभी स्थानीय नेता और अधिकारी एकजुट हो कर तम्बाकू उद्योग के हस्तक्षेप पर अंकुश लगायेंगे जिससे कि जीवन रक्षक जन स्वास्थ्य नीतियां प्रभावकारी ढंग से लागू हो सकें.
बॉबी रमाकांत - सीएनएस (सिटिज़न न्यूज़ सर्विस)
(विश्व स्वास्थ्य संगठन महानिदेशक द्वारा 2008 में पुरुस्कृत, बॉबी रमाकांत स्वास्थ्य और सामाजिक न्याय से जुड़े हुए मुद्दों पर लिखते रहे हैं और सीएनएस (सिटिज़न न्यूज़ सर्विस) और आशा परिवार से जुड़े हैं. ट्विटर @bobbyramakant)
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