मधुबनी (आर्यावर्त संवाददाता) किसान विरोधी कृषि कानूनों को रद्द करने , बिजली संशोधन बिल वापस करने , किसानों के लिए धान विक्री केंद्र प्रत्येक पैक्स में अविलम्ब चालू करने के माँगों एवं 13 दिनों से लगातार चल रहे किसान आंदोलन के समर्थन में देश व्यापी बंद के दौरान सीपीआई ,सीपीएम सहित महागठबंधन के सभी घटक दलों द्वारा मधुबनी में सैकड़ो की संख्या में कार्यकर्ता एवं नेतृत्व कारी साथियों द्वारा बंद करबाए गए । मधुबनी रेलवे स्टेशन के मुख्य सड़क को घण्टों बाधित करते हुए एक हजार से भी ज्यादा संख्या में आन्दोल करी जुलूस के साथ मधुबनी समाहरणालय , रहिका सेंट्रल को ऑपरेटिव बैंक , जिला विकास अभिकरण, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के मुख्य शाखा को बन्द करवाया गया । मधुबनी दरभंगा मुख्य सड़क सुबह 11 बजे से बाधित किया गया । भारत बंद में शामिल किसान ,मजदूर , छात्र नौजवान ,एवं महिलाये भारी संख्या में भाग लिए । बंद दौरान मधुबनी रेलवे स्टेशन चौक , समाहरणालय के मुख्य द्वार एवं मुख्य सड़क पर , पर बंद समर्थको ने दजर्न दिया । भारतीय स्टेट बैंक के मधुबनी मुख्य शाखा को बन्द करने के बाद बैंक के मुख्य द्वार पर 1 घंटा तक आन्दोलनकारियों के द्वारा धरना प्रदर्शन किया गया । बैंक पूर्णतः बन्द हो जाने के बाद जुलूस के साथ बंद समर्थकों का कारवां मधुबनी व्यवहार न्यायालय का मुख्य सड़क पर धरना देते हुए केंद्र सरकार के किसान विरोधी कृषि कानून को वापस लेकर किसानों के फसलों को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर बिक्री की सरकारी व्यवस्था अविलम्ब करने का नारा बुलंद किया गया । 3 बजे आज के भारत बंद आंदोलन को समाप्त करते हुए बंद समर्थकों एवं मधुबनी वाशियों को सफल बंद में सहयोग के लिए धन्यवाद दिया गया । प्रिंट एवं इलेक्ट्रानिक मीडिया कर्मियों को सुबह से सभी बन्द कार्यक्रमो को कवर करने के लिए भी धन्यवाद दिया गया । भारत बंद का नेतृत्व भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के मधुबनी जिला मंत्री मिथिलेश झा , बिहार महिला समाज के महासचिव राजश्री किरण , सीपीआई राज्य परिषद सदस्य कृपानंद आजाद ,लक्ष्मण चौधरी ,मनोज मिश्रा ,राकेश कुमार पांडेय , शहर मंत्री मोतीलाल शर्मा ,जिला सदस्य सत्यनारायण राय , ओमप्रकाश कापड़ी , ट्रेड यूनियन नेता रामचंद्र शर्मा , अताउर्रहमान अंसारी , सीताराम शर्मा के अलावे सीपीएम ,कांग्रेस , राजद ,माले के सैकड़ो लोग किये ।
मंगलवार, 8 दिसंबर 2020
मधुबनी : भाकपा ने किसान के समर्थन में किया बंद, कानून रद्द करने की मांग
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