- तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के उठ खड़े हुए आंदोलन को बिहार में फैला देने का आह्वान
- 2 दिसंबर को वाम दलों के संयुक्त प्रतिवाद में माले महासचिव भी होंगे शामिल
- न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सरकार धान खरीद की गारंटी करे, वरना गांव-पंचायत स्तर पर होगा आंदोलन
- जनसंगठनों के विस्तार पर जोर, सभी जनसंगठनों का चलेगा सदस्यता अभियान
- केंद्रीय कमिटी की बैठक 3-4 दिसंबर को, बैठक में शामिल होेने के लिए नेताओं का पटना पहुंचना आरंभ
पटना 1 दिसंबर, भाकपा-माले की राज्य स्थायी समिति की एक दिवसीय बैठक आज पटना स्थित राज्य कार्यालय में संपन्न हुई. बैठक में पार्टी के महासचिव काॅ. दीपंकर भट्टाचार्य, वरिष्ठ नेता स्वदेश भट्टाचार्य, राज्य सचिव कुणाल, पोलित ब्यूरो के सदस्य धीरेन्द्र झा, अखिल भारतीय किसान महासभा के नेता राजाराम सिंह, विधायक दल के नेता महबूब आलम, रामजतन शर्मा, नंदकिशोर प्रसाद, केडी यादव, ऐपवा की महासचिव मीना तिवारी, अगिआंव विधायक मनोज मंजिल, काराकाट से पार्टी विधायक अरूण सिंह, किसान नेता राजू यादव, सिकटा से विधायक वीरेन्द्र प्रसाद गुप्ता, संतोष सहर, अभ्युदय, सरोज चैबे, शशि यादव, जवाहर सिंह, अरवल विधायक महानंद सिंह, आरएन ठाकुर, निरंजन कुमार, वैद्यनाथ यादव, इंद्रजीत चैरसिया आदि शामिल थे. बैठक में तीनों काले कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के उठ खड़े हुए आंदोलन का स्वागत किया गया. बैठक के हवाले से धीरेद्र झा ने कहा कि यह आंदोलन अब पूरे देश में फैल रहा है और बिहार में भी हमारी पार्टी और किसान संगठन इन काले कानूनों की असलियत को किसानों के बीच ले जाने का काम करेंगे. उन्होंने कहा कि भाजपा के नेता गलतबयानी करके किसानों को ठगने में कामयाब नहीं हो सकते. आज पंजाब व हरियाणा के किसान उठ खड़े हुए हैं, कल बिहार के किसान इन काले कानूनों के खिलाफ उठेंगे. ये कानून पूरी तरह से खेती को बर्बाद करने वाले और किसानों से खेती छीन लेने वाले कानून हैं. भाजपा आज पूरी तरह से काॅरपोरेटों की दलाली में लग गई और खेती व किसानी को बर्बाद कर रही है.
यह भी कहा कि बिहार में कृषि रोड मैप पर डींगे मारने वाली नीतीश सरकार किसानों के धान क्रय के बारे में तनिक भी चिंतित नहीं है. भाजपा-जदयू ने एक तरह से कह दिया है कि स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट केवल कागज पर ही रहेगा, धरातल पर वह नहीं उतरेगा. न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान खरीद की गारंटी के सवाल पर माले व किसान महासभा मिलकर गांव-पंचायत स्तर पर धारावाहिक आंदोलन चलायेंगे और धान खरीद के लिए सरकार को मजबूर कर देंगे. माले नेता ने आगे कहा कि बैठक में पार्टी से जुड़े सभी जनसंगठनों के विस्तार तथा सदस्यता अभियान पर चर्चा की गई. चुनाव में शिक्षा व रोजगार का प्रश्न एक नंबर का प्रश्न बना. युवाओं की बड़ी आबादी बेरोजगारी का दंश झेल रही है. चुनाव में भाजपा द्वारा 19 लाख नौकरियों की बहाली की घोषणा के मद्देनजर छात्र व युवा संगठन सभी जिलों में बैठकें आयोजित करके सदस्यता अभियान चलायेंगे और आंदोलन का सृजन करेंगे. राज्यपाल के अभिभाषण में शिक्षक व स्कीम वर्करों के समान काम के लिए समान वेतन व स्थायीकरण पर कुछ भी नहीं कहा गया. माइक्रोफायनांस कंपनियों के बोझ तले दबी महिलाओं पर एक शब्द नहीं कहा गया. इन मुद्दों पर धारावाहिक आंदोलन चलाया जाएगा और विभिन्न कामकाजी तबके के संगठन निर्माण पर जोर दिया जाएगा. राज्य स्थायी समिति की बैठक के उपरांत 3-4 दिसंबर को भाकपा-माले की केंद्रीय कमिटी की बैठक पटना में आयोजित की गई है. बैठक में भाग लेने के लिए देश के विभिन्न हिस्सों से केंद्रीय कमिटी के सदस्यों का पटना पहुंचना आरंभ हो गया है. केंद्रीय कमिटी की बैठक में बिहार विधानसभा चुनाव के आलोक में पश्चिम बंगाल, असम और अन्य राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों पर चर्चा होने की संभावना है. कल 2 दिसंबर को मोदी सरकार द्वारा किसानों को गुलाम बनाने वाले तीन कृषि कानूनों की पूर्णतः वापसी, बिजली बिल 2020 की वापसी, बिहार में मंडियों को बहाल करने, न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान खरीद की गारंटी आदि सवालों पर वाम दलों द्वारा आयोजित राज्यव्यापी प्रतिवाद के तहत कल पटना के कार्यक्रम में माले महासचिव काॅ. दीपंकर भट्टाचार्य भी शामिल होंगे.
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें