बिहार : 8 दिसंबर के किसानों के भारत बंद को भाकपा-माले का सक्रिय समर्थन - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शनिवार, 5 दिसंबर 2020

बिहार : 8 दिसंबर के किसानों के भारत बंद को भाकपा-माले का सक्रिय समर्थन

  • कृषि कानूनों की वापसी की मांग पर पूरे बिहार में सड़क जाम, माले विधायक उतरे सड़क पर
  • गांधी मैदान के अंदर राजद को कार्यक्रम को रोकना लोकतंत्र विरोधी कदम
  • मोहन भागवत यह बताएं कि कोरोना काल में कहां थे संघ के लोग

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पटना 5 दिसंबर, भाकपा-माले राज्य सचिव कुणाल ने कहा है कि तीनों कृषि कानूनों की पूर्णतः वापसी की मांग पर अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के आह्वान पर आगामी 8 दिसंबर को भारत बंद का हमारी पार्टी सक्रिय समर्थन करती है. सभी जिला कमिटियों को निर्देश दिया गया है कि बंद में मजबूती से उतरें और इन तीनों काले कानूनों को अविलंब वापस करने के लिए मोदी सरकार को बाध्य कर दें. बंद में पार्टी से जुड़े किसान, खेत मजदूर व अन्य संगठन भी भाग लेंगे. उन्होंने आगे कहा कि इन्हीं सवालों पर आज पटना के गांधी मैदान में गांधी मूर्ति के पास राष्ट्रीय जनता दल के धरना के कार्यक्रम को प्रशासन द्वारा बाधित करना घोर अलोकतांत्रिक कदम है. हमारी पार्टी इस कदम की निंदा करती है. भाजपा व जदयू के लोग किसानों के समर्थन में चल रहे आंदोलन के दमन से बाज आएं. बंद में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान खरीद की गारंटी और प्रस्तावित बिजली बिल 2020 की वापसी की भी मांग मजबूती से उठायी जाएगी. आज बिहार के किसानों की हालत बेहद खराब है. नीतीश कुमार ने 2006 में मंडियों की व्यवस्था खत्म करके बिहार के किसानों को दुर्दशा में धकेल दिया है. माले राज्य सचिव ने आगे कहा कि आजकल मोहन भागवत बिहार के दौरे पर हैं. बिहार की जनता जानना चाहती है कि जब प्रवासी मजदूर और आम लोग कोरोना जनित लाॅकडाउन की मार झेल रहे थे, तब संघ के लोग कहां थे? कहने की जरूरत नहीं कि उस समय आरएसएस के लोग जो अपने को स्वयंसेवक कहते हैं, अपने घरों में दुबके हुए थे. भाजपा व संघ गिरोह ने प्रवासी मजदूरों व जनता को मरने के लिए छोड़ दिया. उनको कई प्रकार की यातनाएं दी गईं. बिहार के लोग उस दर्द को कभी नहीं भूल सकते. संघ गिरोह का काम केवल दंगा-फसाद की राजनीति को बढ़ावा देकर समाज में सांप्रदायिक सौहार्द की भावना को बिगाड़ना है. उन्होंने बिहार की जनता से अपील की है कि वे संघ गिरोह के किसी भी प्रकार के दुष्प्रचार से सावधान रहें तथा बिहार को यूपी बनाने की उनकी साजिश को कामयाब नहीं होने दें. आज के चक्का जाम के तहत बिहार के विभिन्न इलाकों में सुबह में ही बड़ी संख्या में माले, किसान महासभा व खेग्रामस के कार्यकर्ता सड़क पर उतर गए और सड़कों-चौराहों को जाम कर दिया. चक्का जाम में विधायक दल के नेता महबूब आलम, अगिआंव विधायक मनोज मंजिल, तरारी विधायक सुदामा प्रसाद सहित अन्य विधायक भी शामिल हुए. महबूब आलम ने बारसोई में, मनोज मंजिल ने गड़हनी में और सुदामा प्रसाद ने आरा में सड़क जाम का नेतृत्व किया. मुजफ्फरपुर के मुसहरी प्रखंड में नरौली में चैक को जाम करके प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का पुतला दहन किया गया और फिर रोड जाम कर दिया गया. पूर्वी चंपारण में आज के कार्यक्रम के दौरान छौड़ादानो-मोतिहारी रोड को नारायण चैक पर जाम कर दिया गया. प्रदर्शन में बड़ी संख्या में किसानों ने भाग लिया. सिवान में गुठनी चैराहा को जाम किया गया. मौके पर माले, किसान महासभा व खेग्रामस के नेता उपस्थित थे. नालंदा के हरनौत में इंकलाबी नौजवान सभा के जिलाध्यक्ष विरेश कुमार के नेतृत्व में मार्च निकाला गया और सड़क जाम किया गया. पटना सिटी में किसान महासभा के नेता उमेश सिंह के नेतृत्व में चक्का जाम का नेतृत्व किया गया. दरभंगा में बहादुरप्रखंड के देकुलचट्टी में प्रखंड कमिटी के सदस्य रामालाल सहनी, धर्मेन्द्र लाल आदि के नेतृत्व में दरभंगा-बेनीपुर रोड जाम किया गया. अरवल में भी मार्च निकालकर जहानाबाद-अरवल रोड को जाम किया गया. तीनों किसान विरोधी कानूनों को वापस लेने, प्रस्तावित बिजली बिल 2020 को वापस लेने की केंद्रीय मांगों के साथ-साथ न्यूनतम समर्थन मूल्य पर बिहार में धान खरीद की अविलंब गारंटी करने, 400 प्रति क्विंटल गन्ना खरीद की गारंटी आदि मांगांे पर यह चक्का जाम का आंदोलन आयोजित किया गया था.

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