- काले कृषि कानूनों की वापसी के कम कुछ भी मंजूर नहीं.
- किसान नेताओं के साथ-साथ माले, वामपंथी व अन्य राजनीतिक दलों के नेता-कार्यकर्ता हुए शामिल
- काले कानूनों की वापसी तक आंदोलन जारी रहेगा: सुदामा प्रसाद
पटना 8 दिसंबर, अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के आह्वान आज आहूत भारत बंद के दौरान डाकबंगला चौराहा को भाकपा-माले, वामपंथी व अन्य राजनीतिक दलों के नेताओं-कार्यकर्ताओं ने घंटों जाम करके रखा. इसके पूर्व स्टेशन परिसर स्थित बुद्धा स्मृति पार्क से अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के बैनर से आज का बंद आरंभ हुआ. बंद के कार्यक्रम का नेतृत्व किसान महासभा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के नेता व विधायक सुदामा प्रसाद, वरिष्ठ नेता केडी यादव, उमेश सिंह, राजेन्द्र पटेल, कृपानारायण सिंह आदि नेताओं ने किया. भाकपा-माले के राज्य सचिव कुणाल, खेग्रामस के महासचिव धीरेन्द्र झा, आशा कार्यकर्ताओं की नेता शशि यादव, फुलवारी विधायक व खेग्रामस के बिहार राज्य सचिव गोपाल रविदास, रसोइया संघ की नेता सरोज चौबे, ऐक्टू नेता आरएन ठाकुर व रणविजय कुमार, वरिष्ठ माले नेता राजाराम, मुर्तजा अली आदि नेतागण भी मार्च में शामिल थे.
बंद में भाकपा-माले सहित सीपीआई, सीपीआईएम, एसयूसीआईसी, आइसा, इनौस, ऐपवा के कार्यकर्ताओं ने भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया. अखिल भारतीय किसान सभा-केदार भवन और अखिल भारतीय किसान सभा-जमाल रोड के सचिव क्रमशः अशोक कुमार और सोने लाल प्रसाद, एटक नेता अजय कुमार, राजद नेता देवमुनि यादव, बबन यादव, सीटू नेता गणेश सिंह आदि नेताओं ने सभा को संबोधित किया और इन काले कानूनों के खिलाफ आंदोलन जारी रखने का संकल्प दुहराया. डाकबंगला चौरहा को बंद समर्थकों ने चारों तरफ से घेर लिया और फिर वहां एक विशाल सभा आयोजित की गई. इस दौरान बंद समर्थक तीनों काले कानून बंद वापस लो, प्रस्तावित बिजली बिल 2020 वापस लो, आवश्यक वस्तु अधिनियम में संशोधन वापस लो, न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान खरीद की गारंटी करो, अंबानी-अडानी की दलाल सरकार मुर्दाबाद, स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू करो, मोदी सरकार होश में आओ - खेती-किसानी नीलाम करना बंद करो आदि नारे लगा रहे थे. सभा का संचालन ऐक्टू नेता रणविजय कुमार ने की. डाकबंगला चौराहा पर सभा को संबोधित करते हुए विधायक सुदामा प्रसाद ने कहा कि किसानों ने मोदी सरकार के खिलाफ निर्णायक लड़ाई छेड़ दी है. उन्होंने दिल्ली के ऐतिहासिक किसान आंदोलन में अपनी भागीदारी का जिक्र करते हुए कहा कि किसानों ने दिल्ली पहुंचने वाले अधिकांश मार्गों को अवरूध कर दिया है. यह कंपनी राज के खिलाफ लड़ाई है. मोदी सरकार द्वारा देश की खेती व किसानी को अंबानी-अडाणी के हाथों नीलाम कर देने के इन कानूनों को देश के किसान कभी स्वीकार नहीं करेंगे और सरकार को अपने कदम पीछे हटाने होंगे. कहा कि आज किसानों के आंदोलन को समाज के सभी वर्गों का समर्थन हासिल हो रहा है और यह पूरे देश में फैल रहा है.
खेग्रामस के महासचिव धीरेन्द्र झा ने कहा कि आवश्यक वस्तु अधिनियम में संशोधन करके सरकार आवश्यक चीजों की कालाबाजारी को बढ़ावा दे रही है. श्रम कानूनों में संशोधन के बाद किसानी को नीलाम करने के खिलाफ किसानों के आंदोलन के साथ हमारी पार्टी भाकपा-माले पूरी ताकत के साथ एकजुटता प्रदर्शित करती हंै. इस सरकार ने गैर लोकतांत्रिक तरीके से राज्यसभा में कानूनों को पारित करवाया. इन कानूनों से कंपनियों को फसल खरीदने की सीधे छूट मिल जाएगी. ये कानून पूरे देश में ठेका आधारित खेती को बढ़ावा देंगे. किसान मंडियों पर काॅरपोरेटों का कब्जा हो जाएगा. ये कानून खाद्य सुरक्षा कानून पर भीषण हमला है. आलू, प्याज, और खाद्य तेल जैसी आवश्यक वस्तुओं की कालाबाजारी से उनकी कीमतें बेतहाशा बढ़ जाएंगी और वे आम लोगों के पहुंच से दूर हो जाएंगी. आगे कहा कि देश के लगभग 80 प्रतिशत सीमांत किसान जो अपने खेत पर मजदूरी भी करते हैं और खेतिहर मजदूरों का बड़ा हिस्सा बटाईदारी प्रथा के तहत खेती करता है, इन कानूनों से बुरी तरह प्रभावित होंगे और ये कानून गरीबों को कुपोषण व भुखमरी की दिशा में धकेल देंगे. किसान महासभा के नेता उमेश सिंह ने कहा कि यह लड़ाई केंद्र के साथ-साथ बिहार सरकार के भी खिलाफ है. बिहार में नीतीश कुमार की सरकार ने 2006 में ही मंडियों को खत्म करके बिहार के किसानों को दुर्दशा की ओर धकेल दिया है. आज बिहार के किसानों के धान की खरीद नहीं हो रही है. भाजपा व जदयू ने मिलकर बिहार की खेती को नष्ट करने का काम किया है. नेताओं ने कहा कि मोदी सरकार ने पहले दमन के बल पर किसानों के आंदोलन को कुचलने की कोशिश की और अब वे तरह-तरह की अफवाह फैला रहे हैं. लेकिन अब पूरा भारत इन काले कानूनों की हकीकत समझने लगा है. विधायक गोपाल रविदास ने कहा कि आज पूरा देश किसानों के साथ खड़ा है. किसान, मजदूर, छात्र-नौजवान सब मिलकर मोदी सरकार पर हल्ला बोल रहे हैं. जब तक ये काले कानून वापस नहीं होते, हमारा आंदोलन जारी रहेगा. बंद में आइसा के राज्य सचिव सबीर कुमार, विकास कुमार, रणविजय, अभिलाषा, नेहा, प्रियंका प्रियदर्शिनी, अपूर्व झा, दानिश, कार्तिक कुमार, आलोक यादव आदि भी शामिल हुए.
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