नयी दिल्ली, 06 दिसंबर, अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (एआईकेएससीसी) ने किसानों के भारत बंद के समर्थन करने वाले कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, द्रमुक समेत सभी राजनीतिक दलों का आभार व्यक्त किया है। एआईकेएससीसी ने एक बयान जारी कृषि कानूनों के विरोध में भारत बंद का समर्थन करने वालों में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, द्रविड़ मुनेत्र कषगम के एम के स्टालिन, राकांपा के शरद पवार, राष्ट्रीय जनता दल के तेजस्वी यादव, पीपुल्स अलायंस फॉर गुपकार डिक्लेरेशन के फारूक अब्दुल्ला, समाजवादी पार्टी के अखिलेश यादव, माकपा के सीताराम येचुरी, भाकपा के डी राजा, भाकपा माले के दीपंकर भट्टाचार्या, आल इंडिया फारवर्ड ब्लॉक के देबब्रत बिश्वास, रेवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी के मनोज भट्टाचार्या का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि इससे अब स्पष्ट हो गया है कि केंद्र सरकार के किसानों के प्रति दमन और छल का जवाब देने के लिए समाज के व्यापक वर्गों ने एकजुटता प्रदर्शित की है। एआईकेएसीसी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी ने कहा गया है कि सरकार खेती में कारपोरेट का विकास करना चाहती है जिसका असर होगा कि कारपोरेट के मुनाफे में तेज वृद्धि होगी और किसान पूरी तरह से बर्बाद हो जाएंगे। यही कारण है कि सरकार वार्ता के दौरान मुख्य सवाल पर इधर-उधर झांक रही है और तीन कानूनों को रद्द करने के लिए तैयार नहीं है। उन्होंने कहा कि किसान अपनी जीविका की रक्षा और संवैधानिक अधिकार पर कोई समझौता नहीं कर सकते और सरकार को संविधान में दिए गए मौलिक अधिकारों को छीनने का कोई अधिकार नहीं है। कानूनों में स्पष्ट लिखा है कि कारपोरेट की निजी मंडियां स्थापित होंगी, उन्हें कानूनी लाभ भी मिलेगा और वह एकतरफा ढंग से अपने पक्ष के ठेकों में किसानों को शामिल कर लेंगे। किसान समझते हैं कि इस सब से उनके ऊपर कर का बोझ बढ़ जाएगा और वह बर्बाद हो जाएंगे। एआईकेएसीसी ने आठ दिसंबर के भारत बंद के लिए व्यापक तैयारियां शुरू कर दी हैं । व्यापार संघों, औद्योगिक मजदूरों, सरकारी क्षेत्र की यूनियनों, छात्र युवाओं, महिलाओं, सभी कामकारी लोगों से अपील की गई है कि देश बंद को सफल बनाएं। जिस तरह से खेती में हस्तक्षेप बढ़ने से किसान बर्बाद हो जाएंगे उसी तरह से हम देख रहे हैं कि ऑनलाइन व्यापार के बढ़ने से कारपोरेट ने छोटे व्यापारियों को बर्बाद करना शुरू कर दिया है। बंद के दौरान तहसीलों और ब्लॉक स्तर पर भी धरने दिए जाएंगे। इसके बाद विभिन्न राज्यों की राजधानियों में बड़ी-बड़ी रैलियां निकाली जाएगी।
रविवार, 6 दिसंबर 2020
किसान संगठनों ने भारत बंद का समर्थन करने वाले राजनीतिक दलों का जताया आभार
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