दिल्ली। दिल्ली से हाथरस की ओर जा रहे केरल के कथित पत्रकार सिद्दीकी कप्पन समेत 4 लोगों की गिरफ्तारी के मामले में शुक्रवार को यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में सिद्दीकी कप्पन व अन्य की रिहाई का विरोध किया है। सिद्दीकी समेत अतीक उर रहमान, आलम और मसूद को 5 अक्टूबर को हाथरस में जातीय दंगे की साजिश रचने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। केरल वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन ने उनकी रिहाई के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। एक पत्रकार केरला से उत्तर प्रदेश आया। उसके पास केवल एक पेन और हाथ में डायरी ही थी। वह हाथरस में घटित घटना की ग्राउण्ड रिपोर्ट लेने आया था.वह अखबार में खबर को प्रेषित करना चाहता था। परंतु उत्तर प्रदेश पुलिस ने पत्रकार को ही गिरफ्तार कर पत्रकार को ही खबर बना दी। इस तरह पुलिस ने हाथरस मामला को पत्रकार से दबाने में सफल हो गयी,मगर पत्रकार और हाथरस का मामला सुर्खियों में आ गयी। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के हाथरस जा रहे केरल के एक पत्रकार सिद्दीक कप्पन की गिरफ्तारी के खिलाफ दायर याचिका पर सोमवार को उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया।हाथरस में एक दलित लड़की से कथित सामूहिक बलात्कार की घटना हुई थी और बाद में उनकी मृत्यु हो गई थी।दरअसल, पत्रकार सिद्दीक कप्पन को पांच अक्टूबर को हाथरस जाते समय रास्ते में गिरफ्तार किया गया था।वह हाथरस में सामूहिक बलात्कार की शिकार हुई दलित युवती के घर जा रहे थे।इस युवती की दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में मृत्यु हो गई थी। केरल के पत्रकार सिद्दीकी कप्पन (Siddiqui Kappan) की गिरफ्तारी के मामले में शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में सुनवाई हुई। इसमें यूपी सरकार की ओर से पेश हुए वकील ने कहा कि सिद्दीकी कप्पन गैरकानूनी हिरासत में नहीं है बल्कि अदालत द्वारा उन्हें न्यायिक हिरासत में भेजा गया है। कोई भी वकील उनका हस्ताक्षर लेने के लिए उनसे मिल सकता है। इस पर कोई मनाही नहीं है। इससे पहले सरकार के वकील ने कहा कि सिद्दीक कप्पन पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया (पीएफआई) के कार्यालय सचिव हैं। इस बात पुष्टि जांच के दौरान सामने आई है। सिद्दीकी पीएफआई के अन्य कार्यकर्ताओं और उनके छात्रसंघ नेताओं के साथ "पत्रकारिता की आड़ में" हाथरस जा रहे थे, जहां वह सुनियोजित तरीके से जाति विभाजन और कानून-व्यवस्था की स्थिति को बिगाड़ने की कोशिश में थे। कप्पन 'तेजस' नाम से केरल आधारित अखबार के पहचान पत्र का इस्तेमाल कर रहे थे, जो 2018 में ही बंद हो चुका है। सुप्रीम कोर्ट ने मामले में सुनवाई अगले सप्ताह तक के लिए टाल दी है। बता दें कि उसे गिरफ्तार कर बंद रखा गया। सिद्दीकी कप्पन बीटन को हिरासत में ले लिया, उसे कस्टडी में मेंटल टॉर्चर मिला। जर्नलिस्ट्स यूनियन द केरल यूनियन ऑफ़ वर्किंग जर्नलिस्ट्स ने कहा कि कप्पन को दवाओं से वंचित रखा गया था और पूछताछ के बहाने 6 अक्टूबर, 2020 को 05 अक्टूबर को सुबह 6 बजे से शाम 6 बजे तक सोने के उनके अधिकार से वंचित रखा गया था।केरल यूनियन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स (KUWJ) ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष अपने हलफनामे में आरोप लगाया है कि मलयालम पत्रकार सिद्दीकी कप्पन को तीन बार पीटा गया था और हिरासत के दौरान मानसिक यातना दी गई थी। हलफनामे में 21 नवंबर को मथुरा जेल में केयूजेजे के वकील विल्स मैथ्यूज और कप्पन के बीच आधे घंटे की मुलाकात का हवाला दिया गया है। यह नोट करता है कि कप्पन को उनकी जांघ पर तीन बार लाठी से पीटा गया था, तमाशा देखने के बाद तीन बार थप्पड़ मारे गए, घसीटा गया। 5 अक्टूबर से 6 अक्टूबर, 2020 तक गंभीर मानसिक यातना के साथ, शाम 6 बजे से सुबह 6 बजे तक उसे नींद से वंचित रहने के लिए मजबूर किया जाता है। "हलफनामे के अनुसार, कप्पन जो" मधुमेह और दवा पर है दवाओं से इनकार किया, और पूछताछ के बहाने 6 अक्टूबर, 2020 को सुबह 6 बजे से शाम 6 बजे तक पूरे 6 घंटे सोने के अपने अधिकार से वंचित किया गया ”।
बुधवार, 2 दिसंबर 2020
केरल वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन ने रिहाई के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की
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