मोदी किसानों का कर रहे अपमान, वार्ता में खुद हों शामिल : दीपंकर - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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बुधवार, 2 दिसंबर 2020

मोदी किसानों का कर रहे अपमान, वार्ता में खुद हों शामिल : दीपंकर

  • तीनों काले कृषि कानूनों को वापस ले, दिल्ली लड़ाई में षहीद तीन किसानों को श्रद्धांजलि
  • यदि कल की वार्ता में सरकार किसानों की मांग स्वीकार नहीं करती, तो होगा देषव्यापी आंदोलन
  • किसान आंदोलन को बदनाम करने की कोषिष कर रही है भाजपा सरकार
  • यदि मोदी सरकार कानून रद्द नहीं करती तो बिहार में समानान्तर कानून लाए नीतीष कुमार
  • 6 दिसंबर से 11 दिसंबर तक संविधान बचाओ-देष बचाओ अभियान, 3-4 दिसंबर को पटना में केंद्रीय कमिटी की बैठक

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पटना 2 दिसंबर पटना में आज भाकपा-माले विधायक दल कार्यालय में संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए माले महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा कि पंजाब और दिल्ली में जबरदस्त गति है. बिहार से हमारी पार्टी के विधायक सुदामा प्रसाद व संदीप सौरभ दिल्ली में किसानों का साथ देने गए हुए हैं. बिहार में भी हमारी पार्टी व वामदल इस आंदोलन को नई उर्जा दे रहे हैं. कहा कि कल वार्ता के नाम पर मोदी ने किसानों को अपमानित किया है. एक तरह का पैटर्न बन गया है कि सरकार पहले ऐसे आंदोलनों को दबाती है, गलत प्रचार करती है, दमन अभियान चलाती है, लेकिन फिर भी जब आंदोलन नहीं रूकता, तब कहती है कि यह सबकुछ विपक्ष के उकसावे पर हो रहा है. कृषि कानूनों के बारे में सरकार कह रही है किसान इसे समझ नहीं पा रहे हैं. तो क्या पंजाब जैसे विकसित प्रदेषों के किसानों को अब खेती-बारी सीखने के लिए आरएसएस की षाखाओं में जाना होगा़. भाजपा कह रही है कि पंजाब में मंडियों को खत्म कर देने से किसानों को फायदा होगा. इस मामले में बिहार व पंजाब का उदाहरण एक साथ लें तो और अच्छा रहेगा. पंजाब में मार्केटिंग का सिस्टम था, बिहार में तो 2006 में बाजार समितियों को नीतीष जी नेे भंग कर दिया. बिहार के लोग पहले से ही इसके षिकार हैंे. यह जो रास्ता चुना, अगर इससे खेती मजबूत होती, आमदनी बढ़ती तो बिहार में खेती सुधर गई होती. लेकिन बिहार के किसानों की आमदनी घटती चली गई. पंजाब के लोगों को पता है कि इससे अब उनकी खेती चैपट की जा रही है और पूरी खेती-किसानी को कारपोरटों का गुलाम बनाया जा रहा है.


विगत 26 अक्टूबर को श्रम कानूनों में संषोधन के खिलाफ जबरदस्त हड़ताल हुई. उसी दिन किसान भी सड.क पर उतरे. उस दिन 71 वां संविधान दिवस था. देष के मजदूर, किसान, छात्र-नौजवान सभी संविधान के द्वारा मिले हकों की लड़ाई लड़ रहे हैं, लेकिन सरकार सबको गुलाम बनाना चाहती है. कल फिर वार्ता होने की बात है. वार्ता में मोदी गायब हैं, वे हर-हर महादेव में लगे हुए हैं. किसानों को बुलाकर अपमानित कर रहे हैं. हमारी मांग है कि प्रधानमंत्री खुद बात करें, और कानूनों को वापस लंे. ये तीनों कानूनों स्वामीनाथ आयोग की सिफारिषों, न्यूनतम समर्थन मूल्य, खरीद की गांरटी का निषेध है. सरकार किसानों को दुष्मन के बतौर देख रही है. सरकार को किसानों ने वोट दिया, उसके वोट से आने वाली सरकार किसानों को दुष्मन मानती है. सरकार आग लगाने का काम रही है. कल की वार्ता में यदि सरकार पीछे नहीं हटती तो इस आंदोलन को और तेज किया जाएगा और अन्य राज्यों से भी लोग दिल्ली पहुंचेंगे. पूरे देष में मोदी के पुतले जल रहे हैं. प्रतियां जलाई जा रही है, यह आंदोलन राष्ट्रीय आंदोलन के रूप में सामने आया है. किसानों का षााहीनबाग है. षााहीनबाग की सबसे चर्चित बिलकिस बानो को रोक दिया गया. इस एकता को सरकार रोक रही है. 3-4 दिसंबर केंद्रीय कमिटी की बैठक में बिहार के चुनाव की समीक्षा होगी, आने वाले विधानसभा चुनाव असम व बंगाल चुनावों पर भी चर्चा होगी. बिहार में सरकार बदलने की कोषिष थी, हम कामयाब नहीं हो पाए, लेकिन जो हुआ वह जनता की जीत है. वामपंथियों की ताकत बढ़ी है. कोषिष होगी कि बिहार मे ंविपक्ष को मजबूत बनायें. 6 से 11 दिसंबर संविधान बचाओ- देष बचाओ अभियान चलायेंगे. 6 दिसंबर को बाबरी मस्जिद गिराई गई थी. सुप्रीम कोर्ट ने यह माना था कि मस्जिद गिनाने की घटना बहुत बड़ा जुर्म था, लेकिन किसी को सजा नहीं मिली. नागरिकता संषोधन कानून 11 दिसंबर को लागू हुआ था, जो भी संविधान विरोधी था. 9 दिसंबर को बंगाल में माले के विधायकों को आमंत्रित किया गया है. महबूब आलम के नेतृत्व में एक टीम जाएगी. बंगाल में काफी उत्साह है. बिहार का जो अनुभव रहा है, उसका इस्तेमाल वहां हो सके. राजाराम सिंह ने कहा कि अभी एकैडममिक चर्चा का वक्त नहीं है. यह पंजाब की नहीं हिंदुस्तान के सभी किसानों की लड़ाई है. सरकार किसानों के बीच फूट डालने की कोषिष बंद करे. कहा कि सरकार कह रही है कि यह बड़े फार्मरों का मामला है, छोटे किसानों का नहीं. लेकिन जब खेती काॅरपोरेट करने लगेंगे तो छोटे-बटाईदार खेती कैसे करेंगे. ये कंपनी राज में ले जाना चाहते हैं. पंजाब के भाइयों को कहना चाहते हैं, हम देष भर में आंदोलन करंेगे, दिल्ली कूच करेंगे, बिहार से भी बड़ा जत्था जाएगा. नीतीष कुमार धान-गेहूं की खरीद कर रही है. यदि मोदी सरकार तीनों कानूनों वापस नहीं लेती तो बिहार में समानांतर अध्यादेष पारित किया जा सके, ताकि किसानों की सुरक्षा की जा सके. संवाददाता सम्मेलन को राज्य सचिव कुणाल, किसान महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष फुलचंद ढेवा और विधायक दल के नेता महबूब आलम ने भी संबोधित किया.

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