- मधुबनी समाहरणालय के समक्ष घंटों सड़क जाम कर माले एवं महागठबंधन के साथियों ने सफल किया भारत बंद।
मधुबनी (आर्यावर्त संवाददाता) अखिल भारतीय किसान समन्यव समिति के आवाहन पर आयोजित भारत बंद को सफल बनाने के लिए भाकपा-माले व किसान महासभा के सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने मधुबनी रेलवे स्टेशन परिसर से प्रतिरोध मार्च निकाला और मधुबनी समाहरणालय के मुख्य द्वार के सामने प्रधान सड़क को जाम कर दिया। तीनों कृषि कानून वापस लेने एवं किसानों के न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी करने के पक्ष में नारे बाजी करते रहे। जाम स्थल पर ही किसान महासभा के जिला सह सचिव गणेश यादव की अध्यक्षता में सभा की शुरुआत हुई।जिसे संबोधित करते हुए भाकपा-माले के जिला सचिव ध्रुब नारायण कर्ण ने कहा कि तीनों काले कृषि कानूनों की वापसी, न्यनूतम समर्थन मूल्य पर सभी फसलों की खरीद की गारंटी, स्वामीनाथन आयोग की अनुशंसाओं को लागू करने, प्रस्तावित बिजली बिल 2020 वापस लेने, किसान नेताओं सहित सभी लोकतंत्र-मानवाधिकार की लड़ाई लड़ रहे कार्यकर्ताओं पर लादे गए फर्जी मुकदमे की वापसी आदि मांगों पर आयोजित आज का भारत बंद ऐतिहासिक है। और यह बंद केंद्र सरकार को बिबश कर देगी। उन्होंने आगे कहा कि भाजपा के नेताओं का अनर्गल प्रलाप आरंभ हो गया है. वे खेती व किसानी बचाने के इस महाअभियान को अपने स्वभाव के मुताबिक दुष्प्रचारित करने में उतर गए हैं. कह रहे हैं कि इसमें देशद्रोही ताकतें शामिल हैं. लेकिन जो पार्टी किसानों की न हो सकी, उससे बड़ा देशद्रोही कौन हो सकता है? बिहार में तो भाजपा-जदयू ने 2006 में ही मंडियों को खत्म करके बिहार की खेती को बर्बादी के रास्ते धकेल दिया है. बिहार में कहीं भी न्यूनतम समर्थन मूल्य पर फसलों की खरीद नहीं होती है. बिहार के किसानों की हालत सबसे खराब है। माले नेता ने मधुबनी बंद की भी काफी सफल बताया है। प्रतिवाद मार्च व बंद में भाकपा-माले के राजनगर प्रखंड सचिव दानी लाल यादव,बिशंम्भर कामत, किसान महासभा के रहिका प्रखंड सचिव मनोज झा माले नेता सुनील पाठक, शांति सहनी, राजेंद्र यादव, मोहन मुखिया, शंभू साह, सिंहेश्वर पासवान, राम प्रसाद पासवान,पवन झा,गुलाब देवी सहित सैकड़ों माले कार्यकर्ताओं ने भाग लिया।
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