बिहार : सरकार तीन काला कानून वापस लें : प्रदीप - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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बुधवार, 6 जनवरी 2021

बिहार : सरकार तीन काला कानून वापस लें : प्रदीप

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कुढ़नी. एकता परिषद् की विशाल हुंकार रैली निकाली गयी.मंगलवार को किसान आंदोलन के समर्थन में तुर्की मेला गाछी एकता परिषद् की ओर से एक जबरदस्त रैली का आयोजित की गयी.इस रैली में किसान आंदोलन को समर्थन देने युवा बेरोजगार और आवासीय भूमिहीन भी सड़क पर उतरे.  पटना से 5 जनवरी को मुजफ्फरपुर एकता परिषद् के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रदीप प्रियदर्शी जी पहुंचे.यहां से कुढ़नी गये.पत्रकारों से बातचीत के दरम्यान राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रदीप प्रियदर्शी ने कहा कि सरकार की बेरुखी के कारण किसानों का आंदोलन लम्बा खींच रहा है.25 नवम्बर 2020 से अब तक साठ से अधिक की संख्या में किसान शहीद हो गये हैं.बावजूद इसके सरकार तीन काला कानून को वापस नहीं ले रही है.  इसके बाद तुर्की मेला गाछी से निकलने वाली एकता परिषद् की विशाल हुंकार रैली में शामिल हो गये.इस अवसर पर आमसभा की गयी.इस आमसभा की अध्यक्षता शिवनाथ पासवान ने की.संचालन राम लखन ने किया.विशेष आमंत्रित वक्ताओं में प्रदीप प्रियदर्शी , विजय गोरैया ,प्रो अवधेश,शाहिद कमाल आदि थे. एकता परिषद के वयोवृद्ध नेता विजय गोरैया ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को चार सूत्री स्मार पत्र को सभा में रखा.स्मार पत्र को पढ़कर सुनाया.


1.अनाज के समर्थन मूल्य का लाभ गाँव के बड़े किसानों से लेकर भूमिहीन किसानों तक मिले.गाँव में अनाज की सरकारी खरीद हो.अगर पहले से ऐसा कोई नियम है तो उसे सरल और सुलभ  बनाया जाए. आज प्रखंड के बहुत सारे किसान एमएसपी पर अनाज की बिक्री के लिए पैक्सों का दौर लगा रहे हैं.किसान परिवार के एक सदस्य के लिए पूर्ण रोजगार की व्यवस्था की जाए.

2.हर युवक युवती के लिए चतुर्दिक भरन-पोषण लायक पूर्ण रोजगार की व्यवस्था हो.प्रखंड के अंदर खड़े हो रहे बड़े-बड़े व्यवपारिक प्रतिष्ठानों में सिर्फ स्थानीय बेरोजगारों को ही नौकरी व रोजगार का अवसर मिले.

3. प्रत्येक गाँव के हर आवासीय भूमिहीन को 10 डिसमिल घर की जमीन मुहैया कराई जाए.जमीन बाजार भाव के आधार पर खरीदी जाए.जमीन चिन्हित करने व खरीदने की जवाबदेही प्रशासन की हो.प्रशासन द्वारा नियुक्त टीम हर गाँव और टोला में पहुंच कर आवासीय भूमिहीनों को चिन्हित करें.इस समस्या के निराकरण के लिए प्रखंड में एक सक्षम कार्यदल (टास्क फॉर्स) का गठन हो.

4. किसानों एवं आवासीय भूमिहीनों की समस्या के निराकरण के लिए चलने हर शांतिपूर्ण आंदोलन का हम समर्थन करते हैं.इसे सर्वसम्मत से स्वीकार कर लिया गया.


इसके बाद रैली विशाल जुलूस में तब्दील हो गया. नेता विजय गोरैया के नेतृत्व में जुलूस आगे बढ़ते हुए कुढ़नी प्रखंड कार्यालय पहुंचा.रैली की व्यवस्था में शंकर मांझी,मंती देवी ,उषा देवी ,रघुनाथ ,मेवालाल मांझी ,सतीश प्रसाद ,मोहन कुमार गुप्ता ,राजीव राय आदि थे.जुलूस की व्यवस्था में रामानुज ,राकेश ,ब्रजकिशोर ,प्रेम नंदन जी ,अरुण सिंह  बसंत सिंह ,सुनील राम, विद्या जी राम और राम शीला देवी ,जोगी देवी ,रामबाबू साहनी ,मंगल कुमार ,नगीना महतो, शंभू साह आदि थे.  कुढ़नी प्रखंड कार्यालय पहुंचकर एक शिष्टमंडल के रूप में शिवनाथ पासवान ,राम लखन,विजय गोरैया,प्रो अवधेश और शाहिद कमाल जाकर मांग पत्र को प्रखंड विकास पदाधिकारी को सौंपा.इसके साथ एकता परिषद्, मुजफ्फरपुर,बिहार की हुँकार रैली में कुढ़नी प्रखंड के तीन हजार किसानों के हस्ताक्षर प्रशासन को सौंपे गये. छोटे एवं भूमिहीन किसानों के समर्थन में किसान आंदोलन के समर्थन में 'हुँकार रैली' में शामिल प्रह्लाद सिंह कहते हैं कि जय किसान समझ गए हैं कि उन्हें अकेले ही लड़ना है.उनकी आदत है प्रकृति से लड़ते रहना.व्यापारी से लड़ते रहना.सरकार और कानून से लड़ते रहना. न्यायपालिका से भी लड़ते रहना. अब तो एक नया खिलाड़ी मैदान में आया है वह  मीडिया है.  उससे भी किसान फरिया रहे हैं.सिर्फ जो अपने है वे किसान हैं. उनका साथ मिलना चाहिए.किसान किसी भी प्रदेश के हो, वे किसान हैं, अपने है. उनका समर्थन आवश्यक है.

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