स्टॉकहोम डिक्लेरेशन (स्टॉकहोम घोषणापत्र)
पिछले साल 19-20 फरवरी 2020 को, स्टॉकहोम में दुनिया के सभी देशों के मंत्री के लिए उच्च-स्तरीय बैठक हुई और सड़क सुरक्षा के लिए सबने संयुक्त रूप से एक स्टॉकहोम डिक्लेरेशन (स्टॉकहोम घोषणापत्र) ज़ारी किया. इस बैठक में भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे थे हमारे देश के सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी. इस स्टॉकहोम घोषणापत्र का एक बहुत महत्वपूर्ण वादा है कि सभी देश अधिकतम गति सीमा को 30 किमी प्रति घंटा करे और सख्ती के साथ प्रभावकारी ढंग से उसको लागू करवाएं. इस बैठक और घोषणापत्र में इस बात का भी उल्लेख है कि मंत्रियों ने इस बात को माना कि अधिकतम गति सीमा कम करने से सड़क दुर्घटनाएं और इनमें होने वाली मृत्यु कम होती है इसका ठोस प्रमाण है. अधिकतम गति सीमा को कम करना सड़क सुरक्षा की ओर एक मज़बूत कदम होगा, तथा पर्यावरण और वायु पर भी इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा.
30 किमी प्रति घंटा (20 मील प्रति घंटा) की अधिकतम गति सीमा काफ़ी है: रॉड किंग
गति सीमा कम करने से यात्रा अवधि पर लगभग कोई फर्क नहीं पड़ता है
रॉड किंग कहते हैं कि दुनिया के जिन शहरों के अधिकतम गति सीमा 30 किमी प्रति घंटा है वहां पर दुर्घटनाएं और मृत्यु दर में गिरावट आई है - और लोगों का अनुभव यह रहा है कि यात्रा के समय में पहले की तुलना में लगभग कोई फर्क नहीं पड़ता है. यह सही बात है: मैं उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में रहता हूँ. घर से चारबाग़ रेलवे स्टेशन 14 दूर है और 30 मिनट गाड़ी से जाने में लग ही जायेंगे चाहे जितनी तेज़ चलायें. यानि कि औसतन गति रफ़्तार हुई 28 किमी प्रति घंटा. यदि सभी लोग 30 किमी प्रति घंटा से (या उससे कम), सभी सड़क नियमों का अनुपालन करते हुए चलें तो यात्रा अवधि में शायद ही कोई फर्क पड़े - पर - सड़क सुरक्षा और पर्यावरण पर बहुत ही सकारात्मक फर्क पड़ेगा. मोटर वाहन वाले लोग तेज़ दौड़ा न पाएंगे पर पैदल, साइकिल, रिक्शा, इ-रिक्शा, टेम्पो, ऑटो, ठेले आदि पर चलने वाले लोग बहुत सुरक्षित महसूस करेंगे और सुरक्षित रहेंगे भी. रॉड किंग ने एक और महत्वपूर्ण बात की: उनके अनुसार सभी सरकारी प्रशासन का यह अनुभव है कि अधिकतम गति सीमा कम करना सबसे सस्ता और आसानी से लागू किये जाने वाला कदम है - जिसका सीधा प्रभाव सड़क सुरक्षा पर पड़ता है. भारत में सड़क दुर्घटनाएं और उनमें होने वाली मृत्यु कम-नहीं हो रही है बल्कि बढ़ती जा रही है.भारत सरकार और दुनिया की सभी सरकारों का यह वादा था कि 2020 तक सड़क दुर्घटना और मृत्यु दर में 50% गिरावट आएगी पर भारत में और अनेक विकासशील देशों में गिरावट के बजाय बढ़ोतरी हो गयी है. अब स्टॉकहोम घोषणापत्र 2020 से यह उम्मीद जगी है कि सरकारें अधिकतम गति सीमा कम करेंगी और अन्य ज़रूरी कदम उठाएंगी जिससे कि किसी की भी असामयिक मृत्यु सड़क दुर्घटना में न हो, और सड़क परिवहन सबके लिए सुरक्षित और आरामदायक रहे.
118 माह शेष हैं वादे को पूरा करने के लिए
फरवरी 2020 के स्टॉकहोम घोषणापत्र के बाद अगस्त 2020 में संयुक्त राष्ट्र महासभा में 194 देशों के प्रमुख ने भी सड़क सुरक्षा के प्रति अपना समर्थन दिया और 2020 तक जो लक्ष्य पूरा नहीं हो पाया (सड़क दुर्घटना और मृत्यु दर को 50% कम करने का), उसको 2030 तक पूरा करने के वादे को पुन: दोहराया गया. संयुक्त राष्ट्र महासभा में देशों के प्रमुख ने स्टॉकहोम घोषणापत्र के वादों के अनुरूप ही (जिसमें 30 किमी प्रति घंटा अधिकतम गति सीमा शामिल है), सड़क सुरक्षा के लिए अपना समर्थन दिया. 2030 तक सिर्फ 118 माह शेष हैं पर किसी भी असामयिक मृत्यु को रोकने में एक पल भी देरी नहीं होनी चाहिए.
बॉबी रमाकांत - सीएनएस (सिटिज़न न्यूज़ सर्विस)
(विश्व स्वास्थ्य संगठन महानिदेशक द्वारा पुरुस्कृत, बॉबी रमाकांत स्वास्थ्य अधिकार और न्याय पर लिखते रहे हैं और सीएनएस, आशा परिवार और सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया) से जुड़े हैं. ट्विटर @bobbyramakant)
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