- ‘‘लोकतंत्र में विधायकों की भूमिका’’ कार्यक्रम में विधायकों से नहीं ली गई राय
- भाजपा का चरित्र अलोकतांत्रिक, विधानसभा की गरिमा बनाएं रखें विधानसभा अध्यक्ष
पटना 5 फरवरी, भाकपा-माले राज्य सचिव कुणाल व बिहार विधानसभा में पार्टी के विधायक दल के नेता महबूब आलम ने आगामी 7 फरवरी को विधान सभा भवन शताब्दी वर्ष शुभारंभ-सह-प्रबोधन कार्यक्रम में अपनाई गई घोर अलोकतांत्रिक प्रक्रिया पर गहरी नाराजगी जाहिर की है और कहा है कि दरअसल यह भाजपा की राजनीति व एजेंडे को बढ़ाने वाला कार्यक्रम है. नेताओं ने अपने संयुक्त बयान में कहा कि कार्यक्रम का नाम तो दिया गया है - लोकतंत्र में विधायकों की भूमिका, लेकिन हमारी पार्टी से इस कार्यक्रम की रूपरेखा पर न तो कोई बात की गई और न ही हमारे दल के किसी विधायक को इसमें बोलने का मौका दिया गया है. नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव को छोड़कर सब के सब सत्ताधारी पार्टी के लोग भरे हुए हैं. विधानसभा अध्यक्ष को किसी एक पार्टी के इशारे पर काम करने की बजाए सभी राजनीतिक दलों से बातचीत करना चाहिए और लोकतांत्रिक मूल्यों को बनाए रखने की गारंटी करनी चाहिए. फासिस्ट भाजपा के ही लोग अब लोकतंत्र पर भी भाषण देंगे. इससे बड़ी विडंबना क्या होगी? अपने चरित्र के मुताबिक भाजपा ने बिहार विधानसभा के पूरे कार्यक्रम को हड़प लिया है. जिस पार्टी के नेताओं के नस-नस में तानाशाही हो, उन्हें लोकतंत्र पर बोलने का कोई हक नहीं है. दिल्ली आंदोलन से लेकर आज बिहार तक उनकी तानाशाही साफ-साफ दिख रही है. लोकतांत्रिक मूल्यों का तकाजा है कि विधानसभा अध्यक्ष सभी राजनीतिक दलों को विचार-प्रक्रिया में शामिल करें और किसी पार्टी अथवा दल की कठपुतली बनने से बचें.
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