- नीतीश सरकार के दावों के विपरीत जहरीली शराबों से लगातार मौतें चिंताजनक - माले
- कटरा में जहरीली शराब से हुई मौतों के लिए शराब माफिया व प्रशासन का गठजोड़ जिम्मेवार
- मृतकों के परिजनों को 10-10लाख रुपये मुआवजा व सरकारी नौकरी दे सरकार
मुजफ्फरपुर। भाकपा-माले जिला सचिव कृष्णमोहन और इंसाफ मंच के राज्य उपाध्यक्ष आफताब आलम ने कटरा में जहरीली शराब के कारण हुई मौतों को दुखद बताया है। उन्होंने कहा है कि बिहार सरकार के तमाम दावों के विपरीत कटरा और बिहार के अन्य क्षेत्रों में जहरीली शराब से लगातार हो रही मौत बेहद चिंताजनक है। सरकार शराब माफियाओं पर सख्त कार्रवाई करने से बचती रही है जिसके कारण मौत का दर्दनाक सिलसिला जारी है। कटरा थाना के दरगाह टोले में 48 घंटे में चार गरीबों सहित पांच लोगों की मौत से इलाके में दहशत का माहौल है। लेकिन प्रशासन मामले को गंभीरता से लेने के बदले हकीकत को छुपाने में जुटा रहा। प्रारंभ में प्रशासन द्वारा यह बयान देना कि उनलोगों की मौत जहरीली शराब से नहीं बल्कि अन्य कारणों से हुई है कई संदेह को पैदा करता है। हमारी मांग है कि सरकार कटरा-दरगाह और बिहार में अन्य जहरीली शराब मौत कांड की उच्चस्तरीय न्यायिक जांच कराने की घोषणा करे। भाकपा-माले व इंसाफ मंच की एक जांच टीम माले नेता सह इंसाफ मंच के राज्य उपाध्यक्ष आफताब आलम और मुकेश पासवान के नेतृत्व में कटरा के दरगाह टोले पहुंच कर मृतक अजय मांझी, रामचंद्र मांझी, मंजू देवी और विनोद मांझी के परिजनों से मिलकर दुखद मौत के संबंध में जानकारी प्राप्त की। उनके परिजनों सहित अन्य लोगों ने बताया कि मौत जहरीली शराब के कारण हुई है। लोगों ने बताया कि प्रशासन द्वारा शराब माफिया से सांठगाठ के कारण मामले को रफादफा करने के लिए दबाव बनाया गया जो बेहद खतरनाक है। भाकपा-माले और इंसाफ मंच ने मृतक के परिजनों को 10-10 लाख रुपये तथा सरकारी नौकरी देने की मांग नीतीश सरकार से की है।माले की जांच टीम ने पाया कि ऐसा प्रतीत होता है कि अवैध शराब का यह पूरा कारोबार सत्ताधारी नेताओं के संरक्षण में शराब माफिया और प्रशासन की मिलीभगत से चलाया जा रहा है। सरकार को बयानबाजी करने के बदले शराब माफियाओं और दोषी अधिकारियों पर सख्त कारवाई करनी चाहिए। न्यायिक जांच के दायरे में संदेहास्पद सत्ताधारी नेताओं को भी लाया जाए।
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