पटना 21 मार्च, बिहार के पूर्व मंत्री एवं राष्ट्रीय जनता दल (राजद) नेता श्याम रजक ने उच्चतम न्यायालय के आरक्षण के कितने पीढ़ियों तक चलने के बारे में पूछे जाने पर आज कहा कि जाति व्यवस्था सनातनी हिंदुओं की फूट डालो और राज करो की नीति के तहत हजारो वर्ष पहले बनाई गई थी, जो आज भी जारी है। श्री रजक ने रविवार को यहां कहा कि जाति व्यवस्था सनातनी हिंदुओं की फूट डालो और राज करो की नीति के तहत हजारो वर्ष पहले बनाई गई थी, जो आज भी जारी है। कठोर जातिगत भेदभाव के कारण दलित वर्ग को आरक्षण प्रदान किया गया। इससे पहले सभी प्रकार के लाभकारी आरक्षण केवल संपन्न वर्ग के लोगों के लिए था। उन्होंने कहा कि आरक्षण भारतीय समाज के लिए कोई नई बात नहीं है। पहले यह विशेष जाति के लिए विशेष नौकरियों में शत-प्रतिशत आरक्षण था। राजद नेता ने कहा कि छोटी जातियों के आरक्षण का अर्थ किसी दूसरे का हिस्सा लेना नहीं बल्कि कमजोर वर्ग के हिस्से को दबंगों और चालबाजों से बचाने के लिए है। संपन्न लोगों को छोटी जातियों का आरक्षण दिखाई देता है। वे उसका मुखर विरोध करते हैं लेकिन अपनी जाति के नाम पर मिल रहे आरक्षण और विशेषाधिकार पर चुप रहते हैं। उन्हें छोटी जातियों के नाम पर किये जा रहे शेषण, भेदभाव और अत्याचार दिखाई नहीं देता है। श्री रजक ने सवालिया लहजे में कहा कि क्या सर्वोच्च न्यायालय का यह कर्तव्य नहीं है कि वह आरक्षण के साथ यह भी पूछे कि हजारों साल से जाति और जातीय भेदभाव क्यों चला आ रहा है। यह कब समाप्त होगा। इसी क्रम में उच्चतम न्यायालय के समक्ष वकीलों द्वारा यह भी मामला उठाया जाना चाहिए कि यह जाति व्यवस्था कबतक जारी रहेगी। जजों की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम व्यवस्था कबतक चलेगी। राजद नेता ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 312 में भारतीय न्यायिक सेवा के गठन का प्रावधान किया गया है लेकिन उसका गठन आजतक नहीं किया गया। उच्चतम न्यायालय स्वयं इसमें बार-बार अड़ंगा लगाती रही है। उन्होंने कहा, “देखें आने वाले समय में देश की जनता और वकील किसान आंदोलन की तरह जाति व्यवस्था समाप्त करने और कॉलेजियम व्यवस्था के खिलाफ कब मुखर होंगे।”
रविवार, 21 मार्च 2021

जाति व्यवस्था सनातनी हिंदुओं की फूट डालो और राज करो की नीति : श्याम रजक
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