नयी दिल्ली, 20 अप्रैल, दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को उम्मीद जतायी कि केंद्र सरकार प्रत्येक राज्य की जरूरतों और स्थिति के आधार पर, रेमडेसिविर जैसी दवाइयों और संसाधनों का आवंटन कर रही है। अदालत ने कहा कि यदि ऐसा नहीं हुआ तो "लोग एक दूसरे की जान ले लेंगे।’’ संसाधनों और दवाओं के आवंटन में विवेक का इस्तेमाल नहीं किए जाने के संबंध में न्यायामूर्ति विपिन सांघी और न्यायामूर्ति रेखा पल्ली की खंडपीठ ने कहा, "हम बर्बाद हो जाएंगे।’’ केंद्र सरकार की ओर से स्थायी वकील मोनिका अरोड़ा तथा अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) चेतन शर्मा ने अदालत को बताया कि रेमडेसिविर के इस्तेमाल पर मेडिकल राय विभाजित है। दिल्ली सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता राहुल मेहरा ने अदालत से कहा कि डॉक्टर रेमडेसिविर दवाई लिख रहे हैं लेकिन पर्चा होने के बावजूद यह बाजार में नहीं मिल रही है। पीठ ने कहा कि कुल मिलाकर अर्थ यह है कि इसकी (रेमडेसिविर) आपूर्ति कम है। पीठ ने कहा कि उत्पादन के लिए इकाइयों की स्थापना की खातिर मंजूरी देने से तुंरत परिणाम नहीं मिलेगा क्योंकि इकाई स्थापित करने में समय लगता है।
मंगलवार, 20 अप्रैल 2021
केंद्र विवेक का इस्तेमाल कर संसाधनों व दवाओं का आवंटन करे : कोर्ट
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