- मार्क्सवादी अध्येता व माले केंद्रीय कंट्रोल कमीशन के सदस्य प्रो. अरविंद कुुमार सिंह का निधन अपूरणीय क्षति.
भोजपुर : मार्क्सवादी अध्येता, अवकाशप्राप्त शिक्षक, भाकपा-माले के केंद्रीय कंट्रोल कमीशन के सदस्य तथा पार्टी के हिंदी मुखपत्र समकालीन लोकयु़द्ध व समकालीन जनमत से लंबे समय से जुड़े प्रो. अरविंद कुमार सिंह के कोविड से हुए असमायिक निधन पर माले राज्य सचिव कुणाल ने पूरी पार्टी की ओर से उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी है और इसे पार्टी के लिए अपूरणीय क्षति बताया है. इस बीच, भाकपा-माले की भोजपुर जिला कमिटी के सदस्य परशुराम सिंह का भी आज सुबह कोविड से जुझते हुए निधन हो गया. वे लंबे समय से पार्टी के पूरावक्ती कार्यकर्ता के बतौर पार्टी की विभिन्न जिम्मेवारियों में थे. प्रो. अरविन्द कुमार सिंह, 69 वर्ष का निधन 10 मई 2021 को अपराह्न 4 बजे पटना के एक निजी अस्पताल में हो गया. वे कोविड से पीड़ित थे और विगत 13 अप्रैल से अस्पताल में भर्ती थे. कोरोना महामारी की चपेट में उनका पूरा परिवार आ गया था. उनकी पत्नी का. अनिता सिन्हा (ऐपवा नेत्री व पार्टी बिहार राज्य कमिटी सदस्य) सहित उनके दोनों पुत्र भी कोविड की चपेट में आ गए थे. शाम सात बजे बांस घाट पर उनका अंतिम संस्कार हुआ, जिसमें पार्टी के राज्य सचिव कुणाल, फुलवारी विधायक गोपाल रविदास, ऐपवा की महासचिव मीना तिवारी और उनके कुछ परिजन कोविड प्रोटोकाॅल का पालन करते हुए शामिल हुए. का. अरविंद जी नक्सलबाड़ी आंदोलन की पहली पीढ़ी के नेता थे और आजीवन पार्टी जिम्मेवारी से जुड़े रहे. आईपीएफ के उभार के दौर में जब पार्टी ने समकालीन जनमत निकालना शुरू किया, वे उसकी व्यवस्था के काम से जुड़े. लंबे समय से वे पार्टी के मुखपत्र समकालीन लोकयुद्ध के प्रकाशन से जुड़े हुए थे. 2018 में विगत मानसा पार्टी महाधिवेशन में वे केंद्रीय कंट्रोल कमीशन में चुने गए थे. वे बिहार पार्टी शिक्षा विभाग के भी सदस्य थे. वे मूलतः पटना जिला के धनरूआ के बारा गांव के रहने वाले थे. इनके पिता गया में रेल में कार्यरत थे. उनकी शिक्षा गया में ही हुई और छात्र जीवन में ही वे नक्सलबाड़ी आंदोलन से जुड़ गए. पटना विश्वविद्यालय से रसायन शास्त्र में एमएससी करने के बाद रसायन शास्त्र के शिक्षक के बतौर उन्होंने गया, आरा, खगौल, औरंगाबाद तथा दानापुर के कॉलेजों में अध्यापन कार्य किया और अंततः कॉमर्स कॉलेज पटना से अवकाश प्राप्त किया. हर जगह वे छात्रों और शिक्षकों के बीच काफी लोकप्रिय और सम्मानित थे. पटना के अल्पसंख्यक समुदाय के बुद्धिजीवियों के बीच भी वे काफी लोकप्रिय थे और उनके साथ इनके काफी गहरे संबंध थे. उनके निधन से पार्टी ने अपना एक सहृदय साथी, एक वफादार सिपाही और एक जिम्मेवार पार्टी नेता खो दिया है. पार्टी राज्य कमिटी उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करती है और उनके शोक संतप्त परिवार के प्रति गहरी संवेदना प्रकट करती है. वहीं, काॅमरेड परशुराम सिंह अस्सी के दशक में आईपीएफ से जुड़ रहे. साहित्यिक-वैचारिक पुस्तकों के अध्ययन, सामाजिक-राजनीतिक बहसों और जनसुविधाओं को लेकर युवाओं के साथ मिलकर उनके किए गए कार्यों के कारण जल्द ही संदेश प्रखंड स्थित उनका गांव प्रतापपुर पार्टी गतिविधियों का एक मुख्य केंद्र बन गया. 2013 में उन्हें पार्टी की भोजपुर जिला कमिटी में चुना गया और लंबे समय तक संदेश प्रखंड सचिव के बतौर उन्होंने पार्टी में अपनी भूमिका निभाई. कुछ दिन पहले वे कोविड की चपेट में आ गए और फिर उन्हें बचाना संभव नहीं रह गया. वे स्वास्थ्य व्यवस्था के प्रति सरकार की संवेदनहीनता व विफलता के शिकार हुए और इस तरह हमसे एक बौद्धिक साथी को हमेशा के लिए छीन लिया.
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें