- बातचीत के जरिए तत्काल रास्ता निकाला जाए, जनता के हित में स्वास्थ्यकर्मियों से हड़ताल खत्म करने की अपील.
- डीलरों से भी हड़ताल वापस लेने की अपील, यह समय हड़ताल का नहीं.
भाकपा-माले राज्य सचिव कुणाल ने बिहार स्वास्थ्य संविदा कर्मी संघ के आह्वान पर मानदेय में बढ़ोतरी और बीमा कराने सहित अन्य मांगों को लेकर हड़ताल पर गए स्वास्थ्यकर्मियों पर सरकार द्वारा एफआईआर करने और उनके संविदा को रद्द कर हटाने के निर्देश को गलत बताया है. कहा है कि दमनात्मक निर्देश जारी करने की बजाए सरकार को हड़ताली स्वास्थ्यकर्मियों से तत्काल बातचीत में जाकर समस्या का हल निकालना चाहिए. उन्होंने आगे कहा कि जब आज पूरा मानव समाज कोविड की जटिलता से जूझ रहा है और लोगों की लगातार मौतें हो रही हैं, वैसी स्थिति में इस तरह का गतिरोध बनाकर रखना कहीं से उचित नहीं है. हम स्वास्थ्यकर्मियों की मांगों का समर्थन करते हैं लेकिन समाज के हित में उनसे अपील है कि इस वक्त हड़ताल न करें, उसे तत्काल वापस लें तथा जनता की सेवा को प्राथमिकता दें. उसी प्रकार, अपनी उचित मांगों पर लगभग एक सप्ताह से डीलर भी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं. लाॅकडाउन के कारण गरीबों के बीच भूखमरी की समस्या बढ़ रही है. ऐसी स्थिति में यह हड़ताल उचित प्रतीत नहीं होता है. उनके हड़ताल पर चले जाने के कारण कार्डधारकों को राशन नहीं मिल रहा है जिसके कारण उनकी परेशानियां और बढ़ गई हैं. सरकार इस मामले में भी तत्काल हस्तक्षेप करे और डीलरों की मांगों पर विचार करते हुए तत्काल हड़ताल खत्म करवाए. यदि डीलर समुदाय सरकार से यह मांग कर रहे हैं कि उन्हें कोरोना वाहक बनने से बचाया जाए तो सरकार को सेनिटाइजेशन, सबके लिए टीका, साबुन के साथ-साथ मास्क आदि की व्यवस्था करने में सरकार को क्या परेशानी है? उसी प्रकार, यह भी खबर मिल रही है कि आयुष चिकित्सक भी हड़ताल की योजना बना रहे हैं. यदि यह समूह हड़ताल पर गया तो नीचे की पहले से ही चरमराई स्वास्थ्य व्यवस्था और संकटग्रस्त हो जाएगी, जिसका असर आम जिंदगी पर बहुत ही बुरा होगा. इसलिए इस मामले में भी सरकार को गंभीरता से विचार करना चाहिए और इस प्रकार की स्थिति उत्पन्न होने से रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाना चाहिए. भाकपा-माले संकट के इस दौर में समाज के सभी तबकों से एकताबद्ध होने की अपील करती है ताकि इस महामारी से सफलतापूर्वक निपटा जा सके.
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