एक बड़ी प्रचलित कहावत है- अंधेर नगरी चौपट राजा, टके सेर भांग टके सेर गांजा। बिहार आज इसी मोड में है। विधान सभा में बहुमत के लिए जदयू सरकार को तीन अन्य दलों का समर्थन प्राप्त है। सरकार बनी रही, यही न्यूनतम साझा कार्यकम है, बाकी सब अपना-अपना। सीना तोड़ने वालों से लेकर अंगुली काटने वाले तक सभी इसी में फल-फूल रहे हैं। अंधेर नगरी का एक और साझा कार्यक्रम आज सरकार ने पेश किया है। सरकार ने पंचायती राज व्यवस्था में निर्वाचित सदस्यों के कार्यकाल समाप्त होने के बाद परामर्शी समिति गठित करने के लिए अध्यादेश लाया था। अब सरकार पंचायत राज व्यवस्था के सभी निर्वाचित सदस्यों का पदनाम बदलकर ‘रिस्टोर’ कर दिया। उन्हें वेतन, भत्ता और कार्यालय की सुविधा पूर्ववत मिलती रहेगी। तब सवाल उठता है कि फिर उनका सीधे कार्यकाल बढा़ने के बजाये अध्यादेश के माध्यम से परामर्शदात्री समिति की ‘नौटंकी’ का आयोजन क्यों किया गया। फिर इस परामर्शी समिति का कोई कार्यकाल निर्धारित नहीं है।
- अध्यादेश की ‘नौटंकी’ का सच आया सामने, एमएलसी चुनाव में वोट देने का अधिकार भी देगी सरकार
दरअसल सरकार ने 16 जनू को ‘विधवा’ हो रहे पंचायत प्रतिनिधियों को ‘सुहागन’ बने रहने का अधिकार दे दिया है। सिंदूर पोंछकर कर मंगलसूत्र थमा दिया है। विधवा, सुहागन, सिंदूर या मंगल सूत्र का अभिप्राय राजनीति सत्ता और उसके भोग के संबंध से जुड़ा है। इसे महिलाओं से जोड़कर नहीं देख जाना चाहिए। हमने परामर्शी समिति से जुड़े अध्यादेश को लेकर खबर लिखी थी कि सरकार परामर्शी समिति के नाम पर अध्यक्ष या सदस्य के रूप पंचायत राज व्यवस्था में सवर्णों को भरना चाहती है। इसका असर भी सरकार के आज के फैसले पर दिख रहा है। सरकार का आज का फैसला प्रशासनिक गलियारे का ‘दीपकवाद’ हो गया है। मुख्यमंत्री ने मुख्य सचिव के पद से हटते ही दीपक कुमार को मुख्य परामर्शी बना लिया और सुविधाओं से लाद दिया। यही काम पंचायत राज विभाग ने किया है। निर्वाचित प्रतिनिधियों को कार्यकाल समाप्त होने के बाद सरकार की सदिच्छा तक ‘सत्ता भोगने’ का अधिकार थमा दिया है। राजनीतिक गलियारे में यह भी चर्चा है कि सरकार ने सुविधाओं की ‘कीमत’ भी तय कर दी होगी। पंचायती राज विभाग के सूत्रों की माने तो राज्य सरकार ने विधान परिषद की लोकल बॉडी कोटे की 24 सीटों का चुनाव परामर्शदात्री के अध्यक्ष और सदस्यों को मताधिकार देकर कराने पर विचार कर रही है। इससे पंचायती राज व्यवस्था की चुनाव अनिश्चय काल तक टालने में भी सहूलियत होगी और विधान सभा की 24 सीटों का चुनाव भी संपन्न हो जायेगा। जैसा कि हमने पहला ही कहा है कि सरकार नये मोड में है।
-वीरेंद्र यादव न्यूज-
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