डॉ संदीप पाण्डेय जो सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं, ने कहा कि लक्षद्वीप मुद्दे पर आयोजित ऑनलाइन खुले मंच पर अनेक लोगों ने सर्वसहमति से इन नीतियों के विरोध में भूमिका ली और केंद्र सरकार से वहां के प्रशासक को वापस बुलाने की मांग की. लक्षद्वीप में भारतीय प्रशानिक सेवा के सेवा निवृत्त अधिकारी ही प्रशासक के रूप में नियुक्त होते आये हैं और यह पहला मर्तबा है कि प्रशासनिक सेवा अधिकारी के बजाये एक राजनीतिज्ञ को वहां का प्रशासक बना दिया गया है. खुले मंच के प्रतिभागियों ने सर्वसम्मति से इस पर सवाल उठाया और लक्षद्वीप में 'मालदीव्स' जैसा 'विकास' करने की बात का पुरजोर विरोध किया. लक्षद्वीप में शराब नहीं है परन्तु इन नयी नीतियों में शराब को द्वीप में लाने की बात है. कितनी विडंबना है कि शराब जो अनेक जानलेवा रोगों और सामाजिक अभिशापों की जनक है और जिससे आर्थिक नुक्सान उसके व्यापार से प्राप्त राजस्व से कहीं अधिक होता है, उसको ऐसी जगह लाने की ज़रूरत क्या है जहाँ उसका सेवन होता ही नहीं है? यदि शराब का राजस्व विकास के लिए ज़रूरी होता तो गुजरात में बिना शराब के राजस्व से कैसे विकास हो रहा है? सरकार का दायित्व तो यह है कि सारे देश को नशामुक्त करे और सभी लोगों के सतत विकास के लिए समर्पित रहे पर वह शराब उद्योग की कठपुतली बन रही है. लक्षद्वीप के लोग शराब नहीं चाहते परन्तु प्रशासन ज़बरदस्ती वहां शराब खोलने पर आमदा है.
शराब से होने वाले अनेक रोगों में वह रोग भी शामिल हैं जिनसे कोरोना वायरस रोग के गंभीर परिणाम (मृत्यु तक) होने का खतरा अत्याधिक बढ़ जाता है. कुछ महीने पहले तक लक्षद्वीप में कोरोना वायरस का एक भी रोगी था ही नहीं क्योंकि वहां जाने वाले सभी लोगों को कोचीन में 14 दिन के एकांतवास में अलग-थलग रखा जाता था और सभी संक्रमण नियंत्रण के कदम सख्ती से लागू किये गए थे. परन्तु यह नए प्रशासक ने इन प्रतिबंधों को हटाया जिसके नतीज़तन आज वहां लगभग 8,500 कोरोना वायरस से संक्रमित लोग हैं. डॉ संदीप पाण्डेय जिनको 2002 में मग्सेसे पुरूस्कार से सम्मानित किया गया था, ने कहा कि भू-अधिकार सिर्फ वहां के स्थानीय लोगों का ही रहना चाहिए. पंचायत के लोकतान्त्रिक और संवैधानिक अधिकार की रक्षा करना सरकार की जिम्मेदारी है. लक्षद्वीप के लोगों ने 'लक्षद्वीप बचाओ मंच' के तहत व्यापक आन्दोलन छेड़ा है जिससे कि वहां के पर्यावरण, सामाजिक न्याय, सांस्कृतिक अधिकार, रोज़गार के अधिकार, आदि, इन प्रस्तावित जन-विरोधी नीतियों से सुरक्षित रहें. उनकी मांग है कि केरल प्रदेश की तरह अन्य प्रदेश सरकारें भी आगे आयें और लक्षद्वीप को बचाने के पक्ष में अपनी आवाज़ बुलंद करें. लक्षद्वीप को बचाने के मुद्दे पर हुए ऑनलाइन खुले मंच में अनेक लोगों ने भाग लिया जिसमें पूर्व सांसद थंपन थॉमस, केरल उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश शमसुद्दीन, सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया) के प्रवक्ता मनोज तमांग और राष्ट्रीय अध्यक्ष पन्नालाल सुराना, प्रख्यात पर्यवारणविद और सोशलिस्ट पार्टी की तेलंगाना महासचिव डॉ लुबना सर्वथ, सामाजिक समागम से जुड़े और मध्य प्रदेश के पूर्व विधायक डॉ सुनीलम, लक्षद्वीप बचाओ मंच के समन्वयक सादिक आदि प्रमुख रहे.
बॉबी रमाकांत - सीएनएस (सिटिज़न न्यूज़ सर्विस)
(विश्व स्वास्थ्य संगठन महानिदेशक द्वारा पुरुस्कृत, बॉबी रमाकांत स्वास्थ्य अधिकार और न्याय पर लिखते रहे हैं और सीएनएस, आशा परिवार और सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया) से जुड़े हैं.
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