- * अपनों की याद में अभियान के तहत मृत आशाओं ने पीएचसी व सदर अस्पतालों में की श्रद्धांजलि सभा
- * बिहार में सैकड़ों जगहों पर मृत आशाओं को याद किया गया
पटना,15 जून. कोरोना की दूसरी लहर में फ्रंटलाइन वर्कर्स बहुत सी आशा कार्यकर्ताओं की भी मौतें हुई है.उन्हें श्रद्धांजलि और पीड़ित स्वजनों को सुरक्षा देने की मांग को लेकर ऑल इंडिया आशा कार्यकर्ता कोऑर्डिनेशन कमेटी के आह्वान पर पीएचसी व सदर अस्पतालों में की श्रद्धांजलि सभा की गयी. कोरोनाकाल में मौत का शिकार हुई आशाओं को मोमबत्ती जला कर श्रद्धांजलि दी गयी.ऑल इंडिया आशा कार्यकर्ता कोऑर्डिनेशन कमेटी के आह्वान पर बिहार राज्य आशा कार्यकर्ता संघ की राज्य अध्यक्ष शशि यादव ने कहा कि यह कितनी तकलीफ की बात है कि मृत आशाओं की सूची तक राज्य व केंद्र में तैयार नही की गई है.इलाज से लेकर मुआवजा तक को लेकर सरकार गम्भीर नहीं है. जबकि कोरोना महामारी के दौर में आशाएं अग्रिम मोर्चे पर डटी रही हैं.उन्होंने राज्य व केंद्र सरकारों से मांग की है कि सरकार आशाओं के लिए 50 लाख के स्वास्थ्य बीमा की गारंटी करे. मंगलवार को आशा कार्यकर्ता ने "अपनों को याद करें, हर मौत को गिनें- हर गम बाँटें"श्रद्धांजलि सभा में राज्य अध्यक्ष शशि यादव ने आगे कहा कि कोरोना काल के दौरान उनका मानदेय भी समय पर भुगतान नहीं किया जा रहा है.जबसे मोदी सरकार सत्ता में आई है, उसने आशाओं का काम तो बेहद बढ़ा दिया है लेकिन उनको मानदेय के नाम पर मात्र दो हजार रुपया मासिक दिया जा रहा है और सुरक्षा की कोई गारंटी लेने को सरकार तैयार नहीं है. उन्होंने सभी आशाओं को 10 हजार रुपये मासिक कोरोना भत्ता और 50 लाख रुपये का स्वास्थ्य बीमा देने की मांग की है.इस अवसर पर एक मिनट का मौन रखा गया और पूरे देश में जिन भी आशाओं का कोरोना की चपेट में आकर निधन हुआ है उन सबको श्रद्धांजलि दी गई.राज्य में सैकड़ों जगहों पर बारिश के बावजूद श्रद्धांजलि सभाएं आयोजित की गईं.अपनों की याद में मृत आशाओं के फोटो पर लोगों ने पुष्पांजलि देकर उन्हें याद किया.
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