- पैसे का रोना बंद करे, काॅरपोरेट घरानों पर टैक्स क्यों नहीं लगताी?
पटना 20 जून, भाकपा-माले राज्य सचिव कुणाल ने कहा है कि देश में कोरोना संक्रमण से जान गंवाने वाले लोगों के परिवार को चार-चार लाख रुपये अनुग्रह राशि दिए जाने से सरकार भाग नहीं सकती है. विदित है कि आज केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि कोरोना वायरस की वजह से जान गंवाने वाले लोगों के परिवार को मुआवजा देना संभव नहीं है. भाकपा-माले ने केंद्र सरकार के उस तर्क की कड़ी निंदा की है जिसमें सरकार ने कहा है कि चूंकि आपदा प्रबंधन कानून में केवल भूकंप, बाढ़ आदि प्राकृतिक आपदाओं पर ही मुआवजे का प्रावधान है, इसलिए कोविड से मारे गए लोगों के परिजनों को मुआवजा नहीं दिया जा सकता है. सरकार सरकारी संसाधनों की एक सीमा का रोना रो रही है. कह रही है कि पहले से ही राज्य सरकारों और केंद्र सरकार के वित्त पर भारी दबाव है. लेकिन जब इसी सरकार को काॅरपोरेटों को लाभ पहंुचाना होता है, तो रातो-रात पैसे की व्यवस्था हो जाती है. सरकार इसका जवाब दे कि आखिर क्या वजह है कि उसने काॅरपोरेट कंपनियों का लाखों करोड़ रूपये माफ कर दिए. जब सरकार पर ऐसा ही दबाव है तब ऐसी स्थिति में नया पार्लियामेंट भवन और सेंट्रल विस्टा क्यों बनाया जा रहा है? सरकार न तो इस देश की जनता को स्वास्थ्य व्यवस्था उपलब्ध करवा सकी, न सही समय पर कोविड के टीके लगाए जा रहे हैं, और अब मुआवजे से भी पीछे भाग रही है. वह काॅरपोरट घरानों पर टैक्स लगाकर पैसे की व्यवस्था क्यों नहीं करती है? उलटे कोविड के टीके की आड़ में सरकार पेट्रोल-डीजल व अन्य खाद्य पदार्थों व महंगाई को बढ़ाकर जनता को ही लूटने का काम कर रही है. कोविड से बड़ी आपदा और कुछ नहीं हो सकती है. देश में चारो तरफ हाहाकार है. घर के घर मौत हुई है. लाॅकडाउन की वजह से बेरोजगारी चरम पर है. लोग अनाज के लाले पड़े रहे हैं. इसलिए हम न सिर्फ सरकारी आंकड़ों में कोविड पाॅजिटिव मृतकों के परिजनों के लिए बल्कि इस दौर में मारे गए सभी लोगों के परिजनों के लिए 4 लाख रु. मुआवजे की अपनी मांग दुहराते हैं. सरकार इससे पीछे नहीं भाग सकती है.
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