नयी दिल्ली, 27 जून, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जल और वनस्पति संरक्षण के लिए सकारात्मक प्रयास करने के लिए देशवासियों का आह्वान करते हुए शनिवार को कहा कि वह जल संरक्षण को देश सेवा का ही रूप मानते हैं। श्री मोदी ने आकाशवाणी पर प्रसारित होने वाले ‘मन की बात’ कार्यक्रम की 78वीं कड़ी में भूजल संरक्षण और वनस्पति संरक्षण के लिए किये जा रहे प्रयासों का उल्लेख करते हुए कहा कि ऐसे कार्यों में जुटे लोगों से प्रेरणा लेकर इसके लिए आगे आना चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहा, “हमारे देश में अब मानसून (बारिश) का मौसम भी आ गया है। बादल जब बरसते हैं तो केवल हमारे लिए ही नहीं बरसते, बल्कि बादल आने वाली पीढ़ियों के लिए भी बरसते हैं। बारिश का पानी जमीन में जाकर इकठ्ठा भी होता है, जमीन के जलस्तर को भी सुधारता है और इसलिए मैं जल संरक्षण को देश सेवा का ही एक रूप मानता हूं।” तीस हजार से अधिक ताल तलैया बनाकर जल संरक्षण का उल्लेखनीय कार्य करने वाले उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल के सच्चिदानंद भारती और उत्तर प्रदेश के बांदा जिले के अन्धाव गांव के लोगों द्वारा चलाये रहे अभियान ‘खेत का पानी खेत में, गांव का पानी गांव में’ का संदर्भ रखते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, “इन सभी से प्रेरणा लेते हुए हम अपने आस-पास जिस भी तरह से पानी बचा सकते हैं, हमें बचाना चाहिए। मानसून के इस महत्वपूर्ण समय को हमें गंवाना नहीं है।” श्री मोदी ने औषधीय वनस्पतियों को लेकर नैनीताल के भाई परितोष के पत्र का जिक्र करते हुए कहा, “वास्तव में ये औषधीय वनस्पतियां हमारी सदियों पुरानी विरासत हैं, जिसे हमें संजोना है।” इसी क्रम में उन्होंने मध्य प्रदेश के सतना निवासी रामलोटन कुशवाहा द्वारा सैकड़ों औषधीय पौधों और बीजों के संग्रह से बनाये गये देसी म्यूजियम का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा, “वाकई, ये एक बहुत अच्छा प्रयोग है, जिसे देश के अलग–अलग क्षेत्रों में दोहराया जा सकता है। मैं चाहूँगा आपमें से जो लोग इस तरह का प्रयास कर सकते हैं, वो ज़रूर करें। इससे आपकी आय के नये साधन भी खुल सकते हैं। एक लाभ यह भी होगा कि स्थानीय वनस्पतियों के माध्यम से आपके क्षेत्र की पहचान भी बढ़ेगी।”
सोमवार, 28 जून 2021
जल संरक्षण देश सेवा का ही रूप : मोदी
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