बालेश्वर नाथूजी ताबियारजी के खेत की हल्दी
धनेवा बड़ा (तह.- आनन्दपुरी जि. बांसवाडा ) यहाँ के किसान बालेश्वर नाथूजी ताबियार आदिवासी जनजातीय क्षेत्र के ये किसान अपने 5 बीघा सिंचाईयुक्त जमीन पर रबी-खरीफ़ मौसम में विविध फसल की उपज करते है , जैसे की खरीफ़ में मुख्य फसल मक्का , उडद , तिल , और पाथरिया चावल एवं रबी में मुख्य फसल चना, गेहूं होती है | उसके पास चार भैस , दो बैल और पांच बकरियां है |
बानेश्वर ने पिसाई हल्दी पावडर
बालेश्वर जी बताते है कि ये पारम्परिक फसल के अलावा अपने खेत में प्रयोगात्मक खेती करने का इरादा मेरे जहन में बहुत दिनों से था | किन्तु उचित मार्गदर्शन के अभाव से कर नहीं पा रहा था | जब वाग़धारा के सह्जकर्ता मानसिंह निनामा ने संस्था के टीम लीडर रोहित स्मित और कार्यक्रम अधिकारी गोपाल सुथार के संपर्क में आया तब उन्होंने मुझे वाग़धारा के सच्ची खेती के बारे में बताया उसमें मुझे जैविक खेती क्या है और कैसे फायदेमंद कैसे हो सकती है एवं आज के दौर में जैविक खेती कितनी महत्वपूर्ण और आवश्यक है इसके बारे में बताकर मुझे सच्ची करने के लिए प्रेरित किया साथ ही सफल किसान बालेश्वर बताते हैं कि हल्दी की अच्छी उपज के लिए वे अपने खेत में गोबर खाद का उपयोग करते हैं ! वहीं जरूरत अनुसार दसपरनी की छिड़काव करते रहते हैं ! साथ ही किसान ने अपने खेत में हल्दी के साथ मक्का , स और गेहूं की भी खेती करते हैं, जिससे उन्हें हल्दी की खेती से अलग मुनाफा भी मिला है ज्यादा मुनाफा कमाने के लिए उन्होंने अब हल्दी पाउडर के लिए मिनी हल्दी मशीन भी लगा ली है ! इससे पैकिंग करके वे हल्दी बाजारों में अच्छ दामों में बेचते हैं, जिससे उन्हें प्रति किलो 400 रुपये मिलते हैं ! इससे उनकी आमदानी में अच्छा इजाफा हो गया है ज ! साथ ही उनका कहना है कि कोरोनाकाल में भी अच्छी मांग के कारण उनकी हल्दी समेत पर आसानी से बिक गई !बालेश्वर के खेती से 5 किटल हल्दी का हुआ उत्पदन
इसी के तहत वाग़धारा ने मुझे मेरे खेत में हल्दी की पैदावार करने के लिए 10 किलो हल्दी का बीज दिया , जिसे मैंने आधा बीघा जमीन में रोपण कर अपने पशुधन के अपशिष्ट से 1000 किलो गोबर की खाद डाली इसके लिए मुझे तकनिकी मार्गदर्शन वाग़धारा के कृषि विशेषज्ञ पी.एल. पटेल जी ने दिया | मैंने हल्दी बुवाई जुलाई माह के पहले सप्ताह में की और उसकी कटाई मई माह में की | मैंने आधा बीघा जमीन में 10 किलो हल्दी के बीज से 5 क्विंटल हल्दी का उत्पादन किया | उसमे मेने 4 क्विंटल हल्दी 100 रूपये प्रति किलो के भाव से बेचकर 40000 रूपये तक की आमदनी करी | 70 किलो हल्दी का पावडर बनाकर 400 किलो के भाव से बेचा उससे मुझे 28000 रूपये की आमदनी हुई और 30 किलो अपने घर में और फसल के लिए रखी | हल्दी के बिक्री हेतु मुझे कहीं जाना नहीं पड़ा मैंने सोशल मिडिया का सही उपयोग करके व्हाट्स एप्प ग्रुप और फेसबुक से प्रचार के माध्यम से पूरी हल्दी की बिक्री की | इसी तरह मैंने कुल 68000 रूपये की आमदनी कर मुनाफा कमाया और मुझे हल्दी के लिए बाजारों पर भी निर्भर भी नहीं रहना पड़ा | मुझे 2009 में सागवान के 20 पौधे दिए थे | जो अभी पेड़ हो गये है और इनका बाजार का मूल्य 40000 तक रूपये है |
वाडी परियोजना के तहत 2009 में वागधारा दिए गये 20 सागवान के पेड़
वाग़धारा ने मेरी आजीविका ही नहीं अपितु मेरे परिवार के स्वास्थ्य हेतु भी पोषण वाटिका में मुझे सब्जी किट उपलब्ध करवाया उसमे भिण्डी, चावला, लौकी, तुरई, टमाटर, बेंगन, ग्वारफली, मैथी, पालक , मिर्ची आदि प्रकार की सब्जियों के उत्पादन करके भी मेरी परिवार का पोषण स्तर बढाया | मुझे जैविक खेती के प्रति प्रेरित करकर मेरी आजीविका बढाने में मदद की इसके लिए मै वाग़धारा संस्था का आभारी हूँ |
किसान का नाम – बालेश्वर नाथूजी ताबियार ( उम्र 30 वर्ष )
गाव - धनेवा बड़ा
ग्रामपंचायत – सुंदराव
तहसील – आनंदपूरी
जिला – बासवाडा राजस्थान
विकास मेश्राम
क्षेत्रीय सहजकर्ता वागधारा
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