- केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने एनसीडीसी के 112वें वार्षिक दिवस के अवसर पर एएमआर और नई बीएसएल 3 प्रयोगशाला के लिए संपूर्ण जीनोम सिक्वेंसिंग नेशनल रिफरेंस लेबोरेटरी का डिजिटल माध्यम के जरिए उद्घाटन किया
- एनसीडीसी को नवाचारों के लिए प्रयास करना जारी रखना चाहिए जिससे न केवल भारत बल्कि पूरे विश्व को इसके काम से लाभ मिल सके: श्री मनसुख मांडविया
- जूनोटिक बीमारियों पर आईईसी सामग्री और वायु प्रदूषण व गर्मी पर राष्ट्रीय स्वास्थ्य अनुकूलन योजनाओं का अनावरण किया गया
नई दिल्ली, केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री श्री मनसुख मांडविया ने आज यहां राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) के 112वें वार्षिक दिवस समारोह की अध्यक्षता की। इस अवसर पर उनके साथ राज्य मंत्री (एचएफडब्ल्यू) डॉ. भारती पवार उपस्थित थीं। इस कार्यक्रम में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने एक पीजी छात्रावास और अतिथि गृह के साथ-साथ रोगाणुरोधी प्रतिरोध (एएमआर) व बीएसएल 3 प्रयोगशाला के लिए संपूर्ण जीनोम सिक्वेंसिंग नेशनल रिफरेंस लेबोरेटरी का डिजिटल माध्यम के जरिए उद्घाटन किया। एल3 प्रयोगशाला परिसर में पांच मंजिल और आवासों में 22 जैव सुरक्षा स्तर (बीएसएल) II प्रयोगशालाएं हैं।
एनसीडीसी को उसके योगदान के लिए बधाई देते हुए श्री मनसुख मांडविया ने कहा कि भारत ने कोविड महामारी से लड़ने में कई अन्य देशों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन किया है। उन्होंने कहा कि एनसीडीसी की 112 साल की उपलब्धियों की विरासत में आज नए आयाम जुड़ गए हैं। उन्होंने एनसीडीसी को आगे भी नवाचारों को लेकर प्रयास करने के लिए प्रोत्साहित किया, जिससे न केवल भारत बल्कि पूरा विश्व इसके काम से लाभ उठा सके। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने यह भी रेखांकित किया कि एनसीडीसी के वैज्ञानिकों, डॉक्टरों, अधिकारियों और कर्मचारियों को सामूहिक रूप से उन लक्ष्यों की रूप-रेखा तैयार करना चाहिए जिन्हें वे आने वाले वर्षों में प्राप्त करना चाहते हैं। हाल ही में कोविड-19 महामारी ने जूनोटिक बीमारियों पर सतर्कता व जागरूकता पैदा करने की आवश्यकता को रेखांकित किया है। इसके अनुरूप, एनसीडीसी में जूनोटिक रोग कार्यक्रम के प्रभाग ने "जूनोस की रोकथाम व नियंत्रण के लिए राष्ट्रीय एक स्वास्थ्य कार्यक्रम" के तहत 7 प्राथमिकता वाले जूनोटिक बीमारियों पर आईईसी सामग्री (प्रिंट, ऑडियो और वीडियो) तैयार की है। भारत में इन बीमारियों में रेबीज, स्क्रब टाइफस, ब्रुसेलोसिस, एंथ्रेक्स, सीसीएचएफ, निपाह और क्यासानूर फॉरेस्ट डिजीज हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने राज्य मंत्री (एचएफडब्ल्यू) के साथ आज इनका अनावरण किया।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने इन्फोग्राफिक्स के साथ वायु प्रदूषण पर राष्ट्रीय स्वास्थ्य अनुकूलन योजना और गर्मी पर राष्ट्रीय स्वास्थ्य अनुकूलन योजना का भी शुरुआत की। इसके अलावा उन्होंने एनसीडीसी में सेंटर ऑफ इन्वॉयरमेंट एंड ऑक्यूपेशनल हैल्थ, क्लाइमेट चेंज एंड हैल्थ की ओर से प्रकाशित "जलवायु परिवर्तन और मानव स्वास्थ्य पर राष्ट्रीय कार्यक्रम" के तहत पहले समाचार पत्र का भी विमोचन किया। राज्य मंत्री (एचएफडब्ल्यू) डॉ. भारती प्रवीण पवार ने कहा कि एनसीडीसी अपनी प्रयोगशालाओं के माध्यम से लोगों तक सेवाएं पहुंचाता है व महामारी विज्ञान, सार्वजनिक स्वास्थ्य क्षमता निर्माण और कीट विज्ञान आदि में मजबूती प्रदान करता है। देश में रोगाणुरोधी प्रतिरोध (एएमआर) रोकथाम कार्यक्रम के संचालन में एनसीडीसी की भूमिका सराहनीय है। डॉ. पवार ने आगे बताया, “एनसीडीसी रोग निगरानी, स्वास्थ्य स्थिति की निगरानी, लोगों को शिक्षित करने, सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्रवाई के लिए साक्ष्य प्रदान करने व सार्वजनिक स्वास्थ्य नियमों को लागू करने के लिए अधिक प्राधिकार और संसाधनों के साथ एक धुरी के रूप में काम कर सकता है।” इसके अलावा उन्होंने आज की जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों को दूर रखने में जन जागरूकता और लोगों की भागीदारी के महत्व पर भी जोर दिया। इस कार्यक्रम के दौरान केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव श्री राजेश भूषण, स्वास्थ्य सेवाओं के महानिदेशक डॉ. सुनील कुमार, अतिरिक्त सचिव श्रीमती आरती आहूजा, संयुक्त सचिव श्री लव अग्रवाल, एनसीडीसी के निदेशक डॉ. सुजीत सिंह और भारत में डब्ल्यूएचओ के प्रतिनिधि डॉ. रोडेरिको एच ऑफरिन उपस्थित थे।
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