बेतिया. ईसाइयों का गढ़ है बेतिया.यहां निष्कलंक धन्य कुमारी मां मरियम के जन्मोत्सव का महागिरजाघर.बेतिया पल्ली के लोग भव्य महागिरजाघर में दैनिक और रविवारीय मिस्सा पूजा में भाग लेने जाते हैं. फिलवक्त कोरोना की द्वितीय लहर के कारण महागिरजाघर को बंद रखा जा रहा है.यह कोरोना गाइडलाइन के अनुसार हो रहा है. बताया जाता है कि द्वितीय लहर के दौरान बेतिया पल्ली के लोग अपने परिजनों को स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव में कोरोना और कोरोनाजनित रोग से समय के पहले ही प्रभु के प्यारे हो गये. इसके आलोक में कोरोना व कोरोनाजनित बीमारियों से व संभावित तीसरी लहर से बचने की तैयारी करने में बेतिया के ईसाई लोग लग गये हैं. हेल्थ केयर सेन्टर बन रहा है.इसमें दस बेड रहेगा.ऑक्सीजन कन्सेटेट्र/सिलेण्डरयुक्त रहेगा.शव वाहन और एम्बुलेन्स.दिल्ली से एम्बुलेन्स खरीदकर बेतिया लाया गया है. बताया जाता है कि ईसाई समुदाय की मौत होने पर कब्रिस्तान में दफनाया जाता है.इस कब्रिस्तान में जल निकासी की व्यवस्था नहीं रहने के कारण बरसाती पानी का जलभराव हो जाता है. चहारदीवारी के बाहर रहने वाले लोगों का पानी कब्रिस्तान में ही गिरता है.जानकार लोगों का कहना है कि बेतिया धर्मप्रांत के धर्माध्यक्ष पीटर सेवास्टियन गोबियस,बेतिया के पल्ली पुरोहित फादर हेनरी फर्नाडो,बेतिया पल्ली परिषद के सचिव प्रकाश अगस्टीन, रंजीत केरोबिन और जेम्स माइकल दोनों संयोजक ने कब्रिस्तान में जलभराव होने के आलोक में वैकल्पिक व्यवस्था के रूप में ऊंची जगह में दस कब्र बनाया जा रहा है. कांग्रेसी नेता गोडेन अंतुनी ठाकुर कहते हैं कि हमलोगों को वैकल्पिक व्यवस्था नहीं चाहिए.स्थायी व्यवस्था करने की जरूरत है.पश्चिम चम्पारण जिले के जिलाधिकारी कुंदन कुमार से मिलकर समस्याओं का समाधान निकलवाना चाहिए.उन्होंने कहा कि बेतिया कब्रिस्तान का प्रवेश द्वारा दक्षिण दिशा में है.कब्रिस्तान की चहारदीवारी से सटे पूरब दिशा में नाला है.इस नाले से होकर कब्रिस्तान में जलभराई तीन-चार फीट पानी निकल सकता है.केवल दीवार में छेदकर पानी गिराया जा सकता है.द्वितीय बेतिया नगर निगम के वार्ड नम्बर-22 और वार्ड नम्बर-23 के वार्ड पार्षद से बात करके निगम का पम्पिंग पाइप से जलभराई का पानी निकलवाया जा सकता है.
इस संदर्भ में वार्ड पार्षद मधु देवी के पति व वार्ड पार्षद के प्रतिनिधि विनाेद रफायल का कहना है बेतिया का कब्रिस्तान वार्ड नंबर- 22 में पड़ता है. वहां की वार्ड पार्षद शहनाज खातून हैं.शहनाज के पति व पार्षद की प्रतिनिधि मोहम्मद हसनैन हैं. विनोद रफायल कहते है कि मेरा यह कहना है कि कब्रिस्तान के नाम पर सालों भर चन्दा लिया जाता है.उक्त चंदा का पैसे से कभी कभार कब्रिस्तान में मिट्टी भराई कर दी है.दुर्भाग्य से चंदे के पैसे का हिसाब सार्वजनिक नहीं किया जाता है, यह ज्वलंत सवाल वार्ड प्रतिनिधि ने उठाया है आखिर क्यों नहीं सार्वजनिक किया जाता है? उन्होंने कहा कि सबसे पहले बेतिया का जल निकासी की व्यवस्था दुरूस्त करनी होगी.ताकि जलस्तर नीचे जा सके.ऐसा करने से कब्रिस्तान के आसपास का भी पानी का जलस्तर नीचे चला जाएगा.इसके बाद पम्प से जल निकास करना होगा.यह सब कैसे होगा? स्थानीय वार्ड पार्षद (22) के प्रतिनिधि मोहम्मद हसनैन से और मुझसे (21) सहयोग लेना चाहिए लेकिन कब्रिस्तान कमिटी के मेम्बर पता नहीं ऐसा क्यों नहीं करते हैं? बेतिया नगर निगम से कब्रिस्तान के सौदर्यीकरण के लिए फंड मिल सकता है.इस पर प्रतिनिधि मोहम्मद हसनैन से बातचीत करनी पड़ेगी. बेतिया कब्रिस्तान का प्रवेश द्वारा दक्षिण दिशा में है.कब्रिस्तान की चहारदीवारी से सटे पूरब दिशा में नाला है.इस नाले से होकर कब्रिस्तान में जलभराई तीन-चार फीट पानी निकल सकता है.केवल दीवार में छेदकर पानी गिराया जा सकता है.द्वितीय बेतिया नगर निगम के वार्ड नम्बर-22 और वार्ड नम्बर-23 की वार्ड पार्षद प्रभा पाण्डेय से बात करके निगम का पम्पिंग पाइप से जलभराई का पानी निकलवाया जा सकता है. इस बीच अल्पसंख्यक ईसाई कल्याण संघ के महा सचिव एस.के. लॉरेंस का कहना है कि ऐसा लग रहा है कि बेतिया में ईसाइयों का कई गुट है. गुटबाजी के कारण एक दूसरे के विरोधी भी हैं.एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप का बाजार गरम हैं.पर वास्तविक काम में दिलचस्पी व उसके प्रति जागरुकता नहीं है.जिसकी वजह से लोग दूसरा सहारा दूंढने लगते हैं. इस समय अल्पसंख्यक ईसाई कल्याण संघ के बढ़ते कदम व प्रभावशाली काम करने से व्हाट्स ऐप्प पर चर्चा है.चर्चा करने वालों के द्वारा व्हाट्स ऐप्प के माध्यम से एक तरह से एस.के.लॉरेंस (अर्थात अप्रत्यक्ष रूप से अल्पसंख्यक ईसाई कल्याण संघ) के प्रयास की चर्चा कर संघ की जागरुकता तथा अपने समुदाय के प्रति नि:स्वार्थ प्रयास करने की सकारात्मक क्षमता को उजागर ही किया गया है.
बेतिया कब्रिस्तान की स्थिति की चर्चा व्हाट्स ऐप्प पर है.वहां के लोगों के द्वारा व्हाट्स ऐप्प, व्यक्तिगत या अन्य साधनों से लगभग एक वर्ष से की जा रही है.परंतु शायद वहां के पल्ली पुरोहित या सम्बन्धित कमिटी या जन प्रतिनिधि की जागरुकता में इसके प्रति कुछ कमी रही. जिसकी वजह से बेतिया के कुछ लोगों तथा संघ के प्रतिनिधि ने अल्पसंख्यक ईसाई कल्याण संघ के महा सचिव से इसके लिये सम्पर्क कर प्रयास करने के लिये कहा.चूंकि सरकार ने अल्पसंख्यकों के कब्रिस्तान की घेराबंदी के लिये योजना बनायी हुई है.उसके तहत संघ के महा सचिव ने स्वयं ही पटना में सम्बन्धित पदाधिकारी से मुलाकात कर कब्रिस्तान की बाउण्डरी को ऊंचा कराने के लिये आग्रह किया था.जिस पर वहां के पदाधिकारी द्वारा त्वरित कार्यवाही कर गृह विभाग तथा बेतिया के डी.एम.को इस सन्दर्भ में आवश्यक कार्यवाही करने का लिखित आग्रह किया है. अब यह निर्भर करता है कि बेतिया के पल्ली पुरोहित या सम्बंधित कमिटी कितनी तत्परता दिखाते हुए डी.एम.से मिलकर बाउण्डरी बनवाने का प्रयास कर रही है या स्वयं अपने चर्च की क्षमता के अनुसार जल्द कब्रिस्तान की बाउण्डरी को ऊंचा करवाती है.ज्ञात हो कि संघ के महा सचिव ने बेतिया के डी.एम. से इस सन्दर्भ में बात भी किया है.सकारात्मकता दिखाते हुए डी.एम.ने संघ के महा सचिव से, पटना के अल्पसंख्यक विभाग द्वारा डी.एम. को भेजे गए निबंधित पत्र की प्रतिलिपि भेजने के लिये कहा था.जिसे महा सचिव ने उसी वक्त डी.एम. को दे दिया था.जिसे डी.एम. ने स्वीकार भी कर लिया था. अगर सरकार ने अल्पसंख्यकों के कब्रिस्तानों या अन्य कल्याणकारी कार्यों के लिये योजनाएँ लागू की है.तो आवश्यकतानुसार उसका उपयोग चर्च या समुदाय के जरुरतमंदों को अवश्य करना चाहिए.ज्ञात हो कि अल्पसंख्यक ईसाई कल्याण संघ लगभग दस वर्षों से अपने समुदाय के हित के लिये नि:स्वार्थ सेवा करता आया है,अक्सर सफलता भी दिलवाया है.संघ,सरकार की तरफ से अल्पसंख्यको को मिलने वाली सुविधाओं की जानकारी देता आया तथा इसके लिये सम्भवत: सहयोग भी करता आया है.
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