- *पेंशनभोगियों के संगठन ने मांग की थी कि ईपीएस-95 के अंतर्गत आने वाले सभी 60 लाख पेंशनभोगियों को न्यूनतम मासिक पेंशन 7,500 रुपये तथा अंतरिम राहत के रूप में 5,000 रुपये दिये जाएं
- *सर्वोच्च न्यायालय ने केरल उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) द्वारा दायर अपील में विरोधी पक्षों को नोटिस दिया, जिससे पूर्ण पेंशन का वितरण होता है.शीर्ष अदालत ने दो सप्ताह के भीतर जवाब देने की मांग की और मामले को 23 मार्च के लिए स्थगित कर दिया
- *लंबे समय से ईपीएफओ पेंशन को लेकर कशमकश की स्थिति बनी हुई है. यह मामला सुप्रीम कोर्ट में भी चल रहा है लेकिन कोई निर्णय नहीं निकल पा रहा है
पटना. सत्ता में आने के बाद एनडीए सरकार ने पहली बार व्यापक मांग को ध्यान में रखते हुए अतिरिक्त बजटीय सहायता प्रदान कर 1 सितंबर, 2014 से ईपीएस-1995 के तहत पेंशनभोगियों को प्रति माह 1,000 रुपये की न्यूनतम पेंशन प्रदान करना शुरू किया है, हालांकि योजना में बजटीय समर्थन के लिए कोई प्रावधान नहीं है. केंद्र सरकार ने कोरोना काल में सबके बीच में रेवड़ी वितरित किये पर कोविड-19 में पेंशनधारियों को राहत नहीं दी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खूब भुनाया.कहने लगे कि इस अल्प राशि से तो भाड़ा में ही खर्च हो जाता है.तो उन्होंने पेंशनधारियों को सौगात में पेंशन के रूप में न्यूनतम एक हजार रूपए देने का ऐलान कर दिये.जो एक हजार रुपए की न्यूनतम पेंशन प्रदान कर सहायता प्रदान की जा रही है.जो आज भी है.कर्मचारी भविष्य निधि संगठन के द्वारा पेंशनधारियों की जमा राशि पर ही पेंशन के तौर पर किसी को दो तो किसी को तीन सौ रूपए देती थी. विदित है कि हर कोई अपने सुरक्षित भविष्य के लिए पेंशन का इंतजाम करना चाहते हैं.ईपीएफओ द्वारा प्रबंधित कर्मचारी पेंशन योजना 1995 (ईपीएस-95) के तहत आने वाले कर्मचारी लंबे समय से पेंशन बढ़ाने की मांग कर रहे हैं.कर्मचारी पेंशन योजना (ईपीएस-95 ) के तहत आने वाले पेंशनभोगी महंगाई भत्ते के साथ मूल पेंशन 7500 रुपये मासिक करने की मांग कर रहे हैं. इसके अलावा पेंशनभोगियों के पति या पत्नी को मुफ्त स्वास्थ्य सुविधाएं और ईपीएस 95 के दायरे में नहीं आने वाले रिटायर्ड कर्मचारियों को भी 5,000 रुपये मासिक पेंशन देने की मांग हो रही है.लंबे समय से ईपीएफओ पेंशन को लेकर कशमकश की स्थिति बनी हुई है. यह मामला सुप्रीम कोर्ट में भी चल रहा है लेकिन कोई निर्णय नहीं निकल पा रहा है. कर्मचारियों की पेंशन बढ़ाने की लंबे समय से मांग कर रही राष्ट्रीय संघर्ष समिति के अध्यक्ष कमांडर अशोक राउत ने कहा, 'हमने श्रम मंत्री से मुलाकात कर ईपीएस के दायरे में आने वाले कर्मचारियों की न्यूनतम पेंशन बढ़ाकर महंगाई भत्ते के साथ 7,500 रुपये मासिक करने की मांग की है.' उन्होंने दावा किया कि कर्मचारियों की न्यूनतम पेंशन बढ़ाने से सरकार पर अतिरिक्त बोझ नहीं पड़ेगा. उन्होंने इस बारे में श्रम मंत्री को पूरी रिपोर्ट सौंपी है. बता दें कि असंगठित क्षेत्र के कामगारों के लिए पीएम श्रम योगी मानधन योजना और छोटे व्यापारियों के लिए प्रधानमंत्री लघु व्यापारी मानधन योजना चलाई जा रही हैं. दोनों योजनाओं में लाभार्थियों को 60 साल की उम्र के बाद हर महीने 3,000-3,000 रुपये मासिक पेंशन की व्यवस्था की गई है. इन दिनों सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है.इस पर जल्द ही अदालत का फैसला आ सकता है.इस संबंध में ताजा खबर यह है कि सर्वोच्च न्यायालय ने केरल उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) द्वारा दायर अपील में विरोधी पक्षों को नोटिस दिया, जिससे पूर्ण पेंशन का वितरण होता है.शीर्ष अदालत ने दो सप्ताह के भीतर जवाब देने की मांग की और मामले को 23 मार्च के लिए स्थगित कर दिया. ईपीएफओ ने मामले को स्थगित नहीं करने का अनुरोध किया था क्योंकि केरल उच्च न्यायालय के फैसले पर तुरंत रोक लगाने के लिए एक अंतरिम याचिका दायर की गई है.उन्होंने तर्क दिया कि उच्च न्यायालय के फैसले के अनुसार पेंशन में 50 गुना की वृद्धि होगी और वे पेंशनरों के अधीक्षण के दौरान राशि की वसूली नहीं कर सकते हैं.जनवरी में न्यायमूर्ति यू यू ललित की अध्यक्षता वाली पीठ ने केवल सर्वोच्च न्यायालय के फैसले को वापस ले लिया, जबकि उच्च न्यायालय के फैसले को रोक दिया गया था, यह अभी भी वैध है.इसके बाद, EPFO ने मामले पर तुरंत विचार करने का अनुरोध किया. न्यायमूर्ति यू यू ललित की अध्यक्षता वाली पीठ ने आश्वासन दिया कि मामले को आगे नहीं बढ़ाया जाएगा और सुनवाई तारीख से दैनिक आधार पर आयोजित की जाएगी.
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