‘जंगल सर्वाइवल अकादमी’ भारत की एक मात्र अकादमी है जो लोगो को जंगल में सर्वाइव करने का असली मतलब सिखाती है. यह कोई ऐसी अकादमी नही है जो जंगल में ट्रेक या कैम्पिंग कराती हो, बल्कि यहाँ आपको को ऐसी स्थिति का अनुभव कराया जाता है, जिससे आप कैसी भी अवस्था में सर्वाइव करने का कौशल सीखते है. आपको कुशल बनाने वाले उस्ताद भी कोई आम आदमी नहीं, बल्कि इंडियन आर्मी के स्पेशल फोर्सेज से सेवा-निवृत्त होते है. 26 जून को शुरू हुए, 72 घंटे के सर्वाइवल कोर्स के लिए सम्पूर्ण भारत के अलग-अलग राज्य से 7 प्रतिभागी चुने गये, जिसमे ‘ओजस मेहता’ सूरत-गुजरात, ‘ऋषभ गोयल’ दिल्ली, ‘सोमा घोष’ लखनऊ-उत्तरप्रदेश, ‘महीप सिंह’ चंडीगढ़, ‘डॉ. प्रकाश आर्या’ अहमदाबाद-गुजरात, ‘नेहा नंदवानी’ दिल्ली, ‘अर्नब बासु’ बेंगलुरु-कर्नाटक से थे. इन सात प्रतिभागीओं में प्रकाश आर्या जैसे ‘डॉक्टर’ से लेकर सोमा घोष जैसी जोशीली ‘रेडियो-जॉकी’ भी शामिल थी. सभी प्रतिभागीओं के लिए यह सर्वाइवल अत्याधिक जुझारू और कठिन रहा, क्योंकि वह शहर के जिस माहौल में रहते है वहा हर सुख-सुविधा होती है. यहाँ उन्हें हर चीज खुद करनी पड़ी, वो भी सिर्फ जंगल में पाए जाने वाले संसाधनों का उपयोग करके. सूरत से आयें ‘ओजस मेहता’ के लिए तो यह कोर्स और भी ज्यादा कठिन रहा, उनके रोज के प्रोटीन डाइट के वजह से, जो जंगल में उन्हें नही मिल पा रहा था. इसके वावजूद भी उन्होंने इस सर्वाइवल को पूरा करने में अपनी पूरी हिम्मत लगा दी और वो बिना हार माने सफल भी रहे. ‘जंगल सर्वाइवल अकादमी’ ने कोर्स के बाद सभी प्रतिभागियों को अधिकारिक रूप से उनके सर्वाइवल का प्रमाण-पत्र भी दिया, साथ ही साथ उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना भी की.
बुधवार, 7 जुलाई 2021
जंगल में सर्वाइव करने का मतलब सिखाती ‘जंगल सर्वाइवल अकादमी’
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