येदियुरप्पा साहब पहली बार कर्नाटक के मुख्यमंत्री वर्ष 2007 में बने थे पर मात्र 7 दिन ही पद पर रह सके थे। 2006 में जेडीएस व बीजेपी में समझौता हुआ था कि दोनों दल मिल कर सरकार बनायेंगे और 20 - 20 माह तक मुख्यमंत्री का पद एक दूसरे के पास रहेगा। पहला चांस जेडीएस के एचडी कुमारस्वामी को मिला पर उन्होंने अपना बीस माह का टर्म पूरा होने पर भी येदियुरप्पा साहब के लिये पद नहीं छोड़ा। बीजेपी ने समर्थन वापस ले लिया और कुमार स्वामी साहब की सरकार गिर गई । दोनों दलों में नये सिरे से फिर बात हुई और येदियुरप्पा साहब ने 12 नवंबर 2007 को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली । कैबिनेट में मन्त्री पदों को लेकर दोनों दलों में फिर झगड़ा हुआ और जेडीएस ने मात्र 7 दिनों बाद दिनांक 19 नवंबर 2007 को समर्थन वापस लेकर येदियुरप्पा सरकार को गिरा दिया था ।
2008 में फिर चुनाव हुऐ और येदियुरप्पा साहब के नेतृत्व में बीजेपी ने पहली बार किसी दक्षिण के राज्य में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई। मुख्य मन्त्री बनने के लगभग दो साल बाद ही उनपर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे और माननीय हाई कोर्ट ने उनके विरुद्ध भ्रष्टाचार के आरोपो की जॉच शुरू करा दी । येदियुरप्पा साहब को 2011 में पद छोड़ना पड़ा और साथ ही उन्होंने बीजेपी भी छोड़कर अपनी एक क्षेत्रीय पार्टी ‘ कर्नाटक जनता पक्ष ‘ बना ली क्योंकि भ्रष्टाचार के आरोपो के कारण बीजेपी ने उनसे दूरी बना ली थी । 2014 के लोक सभा चुनाव के समय उन्होंने अपने दल का बीजेपी में विलय कर लिया और बीजेपी के टिकट पर लोकसभा सदस्य बन गये थे। यद्यपि भ्रष्टाचार के आरोपो से वह 2016 में बरी हुऐ थे।
2018 के कर्नाटक विधानसभा के चुनाव में वह लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफ़ा देकर विधानसभा का चुनाव लड़े पर पार्टी को बहुमत नहीं दिला पाये । विधानसभा में सबसे बड़ा दल होने के नाते राज्यपाल महोदय ने सरकार बनाने का निमंत्रण इस शर्त पर दिया कि 15 दिनों के अंदर विधानसभा में अपना बहुमत सिद्ध करे। येदियुरप्पा साहब ने दिनांक 17 मई 2018 को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली । बहुमत साबित करने के 15 दिनों की समय सीमा को विपक्षी दलों ने बहुत अधिक माना और इसके विरुद्ध कोर्ट में चले गये क्योंकि विपक्ष जानता था कि इस अवधि में वह उनके विधायकों को तोड़ने की भरपूर कोशिश करेंगे।कोर्ट ने येदियुरप्पा सरकार को बहुमत साबित करने के लिये मात्र 24 घटो की मोहलत दी जिसमें वह बहुमत साबित नहीं कर सकते थे और 2 दिन ही मुख्यमंत्री रहने के बाद पद से इस्तीफ़ा दे दिया ।बीजेपी बहुमत से मात्र 9 सीट दूर रह गई थी और जेडीएस व कांग्रेस ने मिलकर सरकार बना ली तथा एचडी कुमार स्वामी मुख्यमंत्री बन गये थे।
कांग्रेस व जेडीएस की सरकार तो बन गई थी पर येदियुरप्पा साहब की नींद हराम थी क्योंकि मुख्यमंत्री की कुर्सी मात्र 9 सीट दूर थी । येदियुरप्पा साहब प्रयास करते रहे और एक साल के अंदर ही जेडीएस व कांग्रेस के 17 विधायक तोड/ ख़रीद लिये । कुमार स्वामी की सरकार अल्पमत में आ गई और दिनांक 26 जुलाई 2019 को येदियुरप्पा साहब ने चौथी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली जिसपर वह 2 साल ही टिक सके जबकि विधानसभा का कार्यकाल अभी 2 वर्ष और शेष है । कांग्रेस व जेडीएस की सरकार गिराने में किस कदर नैतिकता की धज्जियाँ उड़ाई गई , जनादेश का अपमान किया गया, अनावश्यक रूप से सरकारी ख़ज़ाने पर उपचुनाव करा कर बोझ डाला गया, दलबदलूओ को योग्यता न होने पर भी मन्त्री बनाया गया यह पूरे देश ने देखा क्योंकि येदियुरप्पा जी को हर हाल में मुख्यमंत्री बनना था । येदियुरप्पा जी पर अब उन्हीं की पार्टी वालो ने भ्रष्टाचार व भाई भतीजा वाद के गंभीर आरोप लगाये हैं और वह हटे नहीं बल्कि हटाये गये है । काश येदियुरप्पा जी में सत्ता की हवस न होती तो वह इस तरह बेआबरू होकर रूखसत न होते।
-- आर के जैन --
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