बिहार : 24 कार्यपालक सहायकों की नौकरी तलवार पर लटकी - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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गुरुवार, 22 जुलाई 2021

बिहार : 24 कार्यपालक सहायकों की नौकरी तलवार पर लटकी

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पटना. सूबे में 15 साल पूर्व ही कार्यपालक सहायक का पद सृजन किया गया था.विभिन्न विभागों में कार्यपालक सहायक कार्यशील हैं. बिहार प्रशासनिक सुधार मिशन सोसाइटी के अंतर्गत वर्ष 2019 में कार्यपालक सहायक के पद के लिए विज्ञापन निकाला गया था. इसमें 10000 अभ्यर्थी शामिल हुए थे.जिसमें 900 अभ्यर्थी उर्तीण हुए थे.उनको हिंदी टाइपिंग व अंग्रेजी टाइपिंग के लिए बुलाया गया था.टंकण परीक्षा में उर्त्तीण होने वाले 500 अभ्यर्थियों को आदर्श आरक्षण के नियमानुसार ही 500 अभ्यर्थियों का एक पैनल निर्माण किया गया था.अब बेलट्रॉन द्वारा जुलाई माह में दक्षता परीक्षा ली जा रही है.इसमें एक ही विज्ञापन पैनल से कार्यशील कार्यपालक सहायक के साथ दोरंगी नीति अपनायी जा रही है.जुलाई 2019 से पूर्व बहाल वाले कार्यपालक सहायक को दक्षता परीक्षा में पास होने पर प्रोन्नति और जुलाई 2019 के बाद वालों को परीक्षा में फेल होने पर नौकरी चली जाएगी. एक ही पद के लिए दो मापदंड कैसे हो सकता है? इसको लेकर जुलाई 2019 के बाद में बहाल होने वाले कार्यपालक सहायकों के बीच में आक्रोश व्याप्त है.उनका यह कहना है कि सरकार ने किस तरह से दोहरी नीति की तलवार चला रही है.वर्ष 2017 में जिलाधिकारी की अध्यक्षता में बनाई गई कमेटी अभ्यर्थियों वाली पैनल में वैसे 472 कार्यपालक सहायक जो जुलाई से पहले नियोजित किये गए उन्हें दक्षता परीक्षा में उर्त्तीणता से मुक्त किया गया है.यहीॆ नहीं यदि दक्षता परीक्षा में सफल होते हैं तो उनके प्रोन्नति का भी प्रावधान किया गया है.वहीं अन्य को अगर दक्षता परीक्षा में कार्यपालक सहायक पास होते हैं तभी उन्हें नौकरी में बने रहने की सहूलियत होगी.अगर पास नहीं होते हैं तो उन्हें बीच में ही नौकरी से निकाल दिया जाएगा. पश्चिम चम्पारण के जिलाधिकारी कुंदन कुमार को दिए आवेदन में कार्यपालक सहायकों ने कहा है कि उनका नियोजन बिहार प्रशासनिक सुधार मिशन सोसाइटी के नियमों के तहत लिखित परीक्षा लेकर की गई थी.उक्त करीब 10000 अभ्यर्थी शामिल हुए थे जिसमें 900 अभ्यर्थी उर्तीण हुए थे. जिंहें हिंदी टाइपिंग  अंग्रेजी टाइपिंग के लिए बुलाया गया था.टंकण परीक्षा उपरांत आदर्श आरक्षण के नियमानुसार 500 अभ्यर्थियों का एक पैनल निर्माण किया गया था.


जिसमें काउंसलिंग के पश्चात  उर्त्तीण अभ्यर्थियों का नियोजन विभिन्न विभागों में सृजित पदों पर आदर्श आरक्षण के नियमानुसार की गई थी.बहाली के उपरांत वे कोरोना महामारी में भी अपने दायित्वों का ईमानदारी पूर्वक निर्वाहन करते आ रहे हैं.लेकिन वर्ष 2017 में जिलाधिकारी की अध्यक्षता में बनाई गई कमेटी अभ्यर्थियों वाली पैनल में वैसे 472 कार्यपालक सहायक जो जुलाई से पहले नियोजित किये गए उन्हें दक्षता परीक्षा में उर्त्तीणता से मुक्त किया गया है.यहीॆ नहीं यदि दक्षता परीक्षा में सफल होते हैं तो उनके प्रोन्नति का भी प्रावधान किया गया है.जबकि उसी विज्ञापन पैनल से जुलाई 2019 के बाद नियोजित हम 24 कार्यपालक सहायकों के लिए बेलट्रॉन द्वारा आयोजित की जाने वाली दक्षता परीक्षा में शामिल होने व उर्त्तीणता की शर्त रखी गई है.दक्षता परीक्षा परीक्षा उर्त्तीण नहीं होने की स्थिति में हटाने की बात कही जा रही है.जबकि विज्ञापन पैनल रहने पर नियोजन प्रक्रिया में फेरबदल नहीं किया जा सकता है.बावजूद इसके बिहार प्रशासनिक सुधार मिशन सोसाइटी ऐसा कर हम सभी कार्यपालक सहायकों को प्रताड़ित कर हमारे भविष्य को अंधकार में डालने का प्रयास कर रही है. बेल्ट्रान में रजिस्ट्रेशन करवाने के लिए दक्षता परीक्षा के नाम पर हमलोगों का शोषण और मानसिक उत्पीड़न किया जा रहा हैं. इसलिए हम सभी कार्यपालक सहायकों की एक ही मांग है कि सरकार अविलंब दक्षता परीक्षा को रद्द करें.अन्यथा विवश होकर सभी कार्यपालक सहायक आंदोलन के लिए बाध्य होंगे. आंदोलन के दौरान विधि व्यवस्था जन उपयोगी सेवाओं के बाधित होने की सारी जवाबदेही बिहार प्रशासनिक सुधार मिशन सोसाइटी के पदाधिकारियों की होगी.

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