पुणे, 31 जुलाई, महाराष्ट्र के पुणे जिले में प्रकृति प्रेमियों के एक समूह ने लंबे समय से बंजर पड़ी 30 एकड़ से ज्यादा जमीन को घने वन में बदल दिया है और उन्होंने वहां तमाम प्रकार के स्थानीय पेड़ लगाए हैं। शहर के एनआईबीएम क्षेत्र में ‘आनंद वन’ के नाम से स्थित इस जंगल को पिछले कुछ वर्षों में आनंद वन मित्र मंडल (एवीएमएम) ने विकसित किया है। प्रकृति प्रेमियों के इस समूह ने वन विभाग की इस बंजर जमीन पर फूल खिलाने का काम किया है। स्वयंसेवियों के इस समूह ने स्थानीय लोगों, छात्रों, संरक्षकों, कॉरपोरेट और आसपास की झुग्गी-बस्तियों में रहनेवाले बच्चों की मदद से इस मुश्किल काम को आसान बनाया। उन्होंने हरित क्षेत्र में स्थित इस जमीन पर हर सप्ताह पौधे लगाए और अब यह घना जंगल बन गया है।
एवीएमएम के अध्यक्ष 65 वर्षीय प्रवीण कुमार आनंद ने कहा, ‘‘2013 तक, 33 एकड़ यह जमीन बंजर और पथरीली थी, जहां कचरा और मलबा फेंका जाता था। यहां गैरकानूनी गतिविधियां होती थीं। कुछ स्थानीय लोगों को समझा-बुझाकर हमने वहां पौधे लगाने शुरू किए और उनकी देखभाल करने लगे।’’ उन्होंने कहा, ‘‘यह मुश्किल काम था, लेकिन हमने आसपास के लोगों को जमीन का उपयोग करने और भविष्य में उससे होने वाले लाभ के बारे में समझाया। धीरे-धीरे हमारे साथ लोग जुड़ने लगे।’’ आनंद ने बताया कि जब वन विभाग को इस काम के बारे में पता चला तो उसने समूह की मदद की और वन क्षेत्र में बाड़ लगवाई, गेट लगवाया ताकि अतिक्रमण और अनधिकार प्रवेश को रोका जा सके। उन्होंने कहा कि सबसे बड़ी चुनौती बढ़ते पौधों को पानी देने की थी जिसके लिए, ‘‘हम डिब्बों में पानी भरकर ले जाते थे, लोगों से पानी का टैंकर दान करने की अपील करते थे।’’ आनंद ने बताया कि पौधों की सुरक्षा बहुत जरूरी थी और इसमें आसपास की झुग्गी-बस्तियों में रहनेवाले बच्चों ने बहुत मदद की। उन्होंने कहा कि इस जंगल में पक्षियों को आकर्षित करने के लिए अनेक प्रकार के पेड़ लगाए गए हैं। समूह के एक अन्य सदस्य भूपेश शर्मा ने कहा, ‘‘अभी तक हमने करीब 1,000 पेड़ लगाए हैं, जिनमें 80 से 90 प्रकार के स्थानीय पेड़ शामिल हैं। वैज्ञानिक तरीके से पेड़ लगाने और पौधारोपण के बाद की देखभाल की वजह से पेड़ों के बचे रहने की दर करीब 95 प्रतिशत है।’’ इस संबंध में वन विभाग के उपसंरक्षक (पुणे) राहुल पाटिल ने कहा, ‘‘यह समूह बहुत अच्छा काम कर रहा है। ‘आनंद वन’ मॉडल इसका बहुत अच्छा उदाहरण है कि कैसे बंजर जमीन को वन में बदला जा सकता है। इसे अन्य जगहों पर भी लागू किया जाना चाहिए।’’
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