- देश की पहली महिला संत अल्फोन्सा बन गईं
पटना। सिस्टर अल्फोन्सा वेटिकन द्वारा संत घोषित की जाने वाली दूसरी भारतीय हैं। इससे पहले संत गोंसालो गार्सिया को यह उपाधि दी गई थी। संत गार्सिया एक भारतीय मां और पुर्तगाली पिता की संतान थे। उनका जन्म सन 1556 में मुंबई के निकट वासी में हुआ था। कई सालों तक बीमार रहने के बाद अल्फोन्सा की मृत्यु 28 जुलाई 1946 को हो गई। उन्हें भारंगनम के पलाइ धर्मप्रांत में दफनाया गया था। भारंगनम, दक्षिण भारत में एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल के रूप में प्रचलित है। यह केरल राज्य के कोट्टायम जिले में पाला के 5 किमी पूर्व की ओर मीनाछिल नदी के तट पर स्थित है। यहां के हज़ारों साल पुराने सेंट मैरी चर्च को अनाकल्लू पल्ली के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि यहां सेंट अल्फोन्सा का पार्थव शरीर रखा गया है। संत अलफोन्सा का जन्म केरल राज्य में कोट्टायम के निकट एक ग्रामीण गांव कुडामलूर में 19 अगस्त सन 1910 को हुआ था। दीदी अलफोन्सा यूसुफ और मरियम मुट्टाथूपदथू की चौथी संतान थीं और उन्हें प्यार से अन्नकुट्टी के नाम से पुकारा जाता था। अपने बचपन में अलफोन्सा लिसियूएक्स के सेंट थेरेसा से प्रेरित थीं और वह ईसा मसीह के लिए अपने जीवन को समर्पित करना चाहता थीं। 13 वर्ष की आयु में जब उनके लिए शादी का निमंत्रण आया तो उन्होंने शादी ना करने से बचने के लिए राख के गड्ढे में अपने पैर जला लिए। सेंट अल्फोन्सा ने एक पुण्य जीवन जिया। अपनी कम उम्र में भी उन्होंने दुखों को सहने की अपनी असीम शक्ति का प्रदर्शन किया। उन्होंने हमेशा दया, प्रार्थना, बलिदान, उपवास की राह को चुना। सन 1927 में उन्होंने अल्फोन्सा नाम से भारंगनम में सेंट फ्रांसिस के क्लैरिस्ट कॉन्वेंट में भाग लिया। कई सालों तक बीमार रहने के बाद अल्फोन्सा की मृत्यु 28 जुलाई 1946 को हो गई। उन्हें भारंगनम के पलाइ धर्मप्रांत में दफनाया गया था।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें