श्योपुर. जन संगठन एकता परिषद के संस्थापक पी.व्ही.राजगोपाल श्योपुर में है.यहां पर 12 अगस्त को कोटा से कराहल होकर पहुंचे थे.बाढ़ और वर्षा के कारण जिले में चूल्हा नहीं जल रहा था.यहां के इंद्रपुरा, ललितपुरा में बाढ़ पीड़ित 140 सहरिया परिवारों के घरों में पुनः 10 दिनों के बाद चूल्हा जलाओ अभियान शुरू किया गया. बाढ़ पीड़ितों को सूखा राशन सामग्री,रसोई गैस ,बहनों के लिए साड़ी की व्यवस्था की गई.घर मे खाना बनाने के लिए बर्तन दिया गया.साधन उपलब्ध होने के बाद बाढ़ पीड़ित अपने हाथों से खाना बनाकर सुस्वाद खाना खाए.उन्हें तम्बू और टपरिया भी दिया गया. श्योपुर में प्रसिद्ध गाँधीवादी व एकता परिषद के संस्थापक पी. व्ही राजगोपाल उर्फ राजू भाई 17 अगस्त कर रहेंगे.अपने प्रवास में चंबल क्षेत्र में बाढ़ की विभीषिका और उससे हुए नुकसान का जायजा लेंगे.कहा जाता है कि इस क्षेत्र से लगाव रखने वाले हर व्यक्ति को बाढ़ ने विचलित किया है. बाढ़ से पीड़ित लोगों के घावों पर मरहम लगाने व उन्हें राहत पहुंचाने के लिए वहां एकता परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष रनसिंह परमार 11 अगस्त को ही पहुंच गये थे. उन्होंने बाढ़ से हुए नुकसान का जायजा लेकर बाढ़ पीड़ितों को मदद देने में जुट गये. देश के सुप्रसिद्ध गांधीवादी पी. व्ही. राजगोपाल श्योपुर पधारकर कराहल पहुंचे. वहां एकता परिषद द्वारा चलाए जा रहे बाढ़ राहत कार्य का अवलोकन कर उसे गति प्रदान किये. 13से 17तक वे श्योपुर रहकर बाढ़ राहत कार्य में जुटे कार्यकर्ताओं का मार्गदर्शन करेंगे तथा स्वयं भी चयनित गांवों में पहुंच कर लोगों की इस असहनीय पीड़ा में शरीक हो रहे हैं तथा राहत सामग्री का वितरण कर रहे हैं.
75 वां स्वाधीनता दिवस
बंधुआ मजदूरी से मुक्त होकर स्वतंत्र जीवन जीने वाले एकतापुरा सोईं के सहरिया परिवारों के बीच आज आनंद का दिन था. अतिवृष्टि के दुःख को भूलकर आजादी का उत्सव मनाया.उनके बीच एकता परिषद के संस्थापक एवं महात्मा गांधी सेवाश्रम के उपाध्यक्ष पी. व्ही. राजगोपालन,यतीस भाई, सचिव डॉ रनसिंह परमार, प्रबन्धक जयसिंह जादोंन, राष्ट्रीय समन्वयक अनीष कुमार,प्रदेश संयोजक डोगर शर्मा ,समाजसेवी कैलाश पाराशर सहित एकता परिषद के अनेक साथी प्रातः 7 बजे से ही एकतापुरा में पहुंचे और 8 बजे झण्डा बन्धन किया.सहरिया परिवारों ने राष्ट्रीय ध्वज को सलामी दी तथा कार्यक्रम के पश्चात अधिक वर्षा से कई लोगों का अनाज खराब हो गया .उन्हें राशन किट व बहनों को साड़ी दी गई.
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