पटना. सेंट जेवियर्स कॉलेज ऑफ मैनेजमेंट एंड टेक्नोलॉजी (एसएक्ससीएमटी), पटना ने शनिवार, 31 जुलाई, 2021 को लोयोला के सेंट इग्नेशियस का फीस्ट दिवस मनाया.लोयोला के सेंट इग्नेशियस ने सोसाइटी ऑफ जीसस की स्थापना की थी और 1554 में इसके पहले सुपीरियर जनरल बने. कैथोलिक चर्च प्रत्येक विहित संत के लिए उनके फीस्ट दिवस के रूप में एक तिथि निर्धारित करता है.संतों को उनके व्यक्तिगत पर्व के दिनों में विशेष उल्लेख और प्रार्थनाओं के साथ याद किया जाता है. फीस्ट दिवस संतों की वास्तविक मृत्यु का दिन या चर्च द्वारा सौंपा गया दिन हो सकता है. इस वर्ष सोसाइटी ऑफ जीसस और सभी जेसुइट संत इग्नेशियस के एक महिमा साधक से एक विनम्र तीर्थयात्री और भविष्य के संत में परिवर्तन की 500 वीं वर्षगांठ मनाने के लिए 'द इग्नासियन ईयर' मना रहे हैं.मई 2021 में शुरू हुआ यह इग्नासियन ईयर जुलाई 2022 तक जारी रहेगा. कार्यक्रम मुख्य अतिथि डॉ तलत हलीम, कार्यवाहक रेक्टर और वाइस प्रिंसिपल फादर (डॉ) मार्टिन पोरस एसजे, प्रिंसिपल फादर (डॉ) टी निशांत एसजे, सहायक प्रोफेसर श्री मारियो मार्टिन, श्री अभिषेक और सुश्री फुल्गेनेसिया द्वारा औपचारिक दीप प्रज्ज्वलित करने के साथ शुरू हुआ. कार्यक्रम के दौरान सभी कोविड -19 प्रोटोकॉल का पालन किया गया. सुरभि और समूह द्वारा स्वागत नृत्य के बाद, एडविन और समूह ने एक गीत प्रस्तुत किया, जिसके बोल थे "ये खुशी का दिवस है.."। इसका समापन उत्सव और समूह द्वारा एक नृत्य प्रस्तुति के साथ हुआ. इससे पहले, अपने भाषण में, एसएक्ससीएमटी के प्रिंसिपल, फादर टी निशांत एसजे ने कहा कि इस साल का फीस्ट दिवस विशेष है क्योंकि यह 20 मई, 1521 के कैननबॉल मोमेंट के 500 वें वर्ष को चिह्नित करता है, जिसने सेंट इग्नेशियस के जीवन को बदल दिया. मुख्य अतिथि, डॉ तलत हलीम, जो बिहार में पारस ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स के क्षेत्रीय निदेशक हैं, ने कहा कि कोई भी संगठन शिक्षा के क्षेत्र में सोसाइटी ऑफ जीसस द्वारा किए गए कार्यों की बराबरी नहीं कर सकता. हालांकि, उन्होंने खेद व्यक्त किया कि कई बार जेसुइट्स को गलत समझा गया है और उन्हें इसका खामियाजा भुगतना पड़ा है। " फिर भी उन्होंने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा," डॉ तलत हलीम ने कहा. इस अवसर पर उपस्थित जेसुइट्स को सहायक प्रोफेसर श्री समर रियाज, श्री विशाल जोशुआ लाल और सुश्री मरियम द्वारा सम्मानित किया गया. लोयोला के सेंट इग्नेशियस के जीवन पर एक छोटी सी वीडियो क्लिप भी दिखाई गई. कार्यक्रम का आयोजन कॉलेज सांस्कृतिक समिति द्वारा इसके संरक्षक श्री समर रियाज के मार्गदर्शन में किया गया था. इसकी एंकरिंग संघमित्रा राजे और सैम मैथ्यू ने की.सान्या शेखर ने धन्यवाद प्रस्ताव रखा.
इस अवसर पर खेल समिति ने कैरम टूर्नामेंट का आयोजन किया था.खेल समिति के अध्यक्ष फरहान खालिद ने कहा कि बालिका वर्ग में रुचिका सिंह ने प्रतियोगिता जीती. पूर्णिमा किरण उपविजेता रही. लड़कों वर्ग में, ऋषभ कुमार ने फाइनल में आदित्य कुमार को हराया, श्री खालिद ने कहा. यीशु समाज के संस्थापक हैं सेंट इग्नेशियस लोयोला. सन् 1521 में फ्रांसीसियों के साथ युद्ध में गंभीर रूप से घायल हो गया थे.पांपलोना के युद्ध में घायल होने के 500 वीं वर्ष की जंयती के अवसर पर संपूर्ण संसार में धार्मिक कार्यक्रम हो रहा है. बता दें कि यीशु समाज के ही हैं संत पापा फ्रांसिस. मानवाधिकार कार्यकर्ता शहीद फादर स्टेन स्वामी भी हैं यीशु समाजी.जो आजीवन परहित के ही कार्य करते-करते यूएपीए के शिकार होकर न्यायिक हिरासत में दम तोड़ दिये.आज पूरे संसार में शहीद फादर की चर्चा हो रही है.उनको भी यीशु समाजी होने का गर्व था.यह बताया गया कि संत इग्नासियुस का यह वचन सभी यीशु समाजियों के लिए है. यह समस्त मनुष्यों के जीवन में सकारात्मक बदलाव और आध्यात्मिकता का बीज बोने वाला है.उन्होंने कहा है कि मनुष्य को इससे क्या लाभ, जब वह सारा संसार कमा ले, लेकिन अपनी आत्मा गंवा दे.पूरे संसार के जेसुइट सेंट इग्नेशियस लोयोला के इन्हीं वाक्यों को अपनी समर्पित सेवा में जीवंत कर रहे हैं. सेंट इग्नेशियस लोयोला का जन्म 23 अक्टूबर 1491 में हुआ था, जो उत्तरी स्पेन में एक संपन्न कुलीन परिवार के 12 बच्चों में से एक था. वे बारह बच्चों में सबसे छोटे थे. उन्होंने फर्डिनेंड और इसाबेला की स्पेनिश अदालत में एक दरबारी लड़के के रूप में भी कार्य किया. इग्नेशियस ने एक सैन्य शिक्षा प्राप्त की थी और एक सैनिक के रूप में उन्होंने 1517 में सेना में प्रवेश किया और कई अभियानों में सेवा की. 20 मई 1521 को पांपलोना की घेराबंदी में एक तोप के गोले से उनके पैर में घाव हो गया था, एक चोट जिसने उन्हें आजीवन आंशिक रूप से अपंग बना दिया था.
बाद में उनके पैर का ऑपरेशन हुआ.ऑपरेशन के बाद उनका पैर ऊपर-नीचे होने पर उन्होंने चिकित्सकों को पुन: ऑपरेशन करने को कहा, ताकि वे फिर से लोगों के साथ खेल सकें.दोबारा ऑपरेशन के बाद इग्नासियुस स्वास्थ्य लाभ के लिए एक गुफा में शरण लिया.इस दौरान उन्होंने राजा महाराजा और संतों की जीवनी पर पुस्तकों का अध्ययन किया.अध्ययन से उनके दिलों में यह तीव्र जिज्ञासा हुई कि जब दूसरे संत बन सकते हैं तो मैं क्यों नहीं संत बन सकता.स्वस्थ होने के दौरान ही, इग्नेशियस लोयोला ने एक रूपांतरण का अनुभव किया. यीशु और संतों के जीवन को पढ़कर इग्नासियुस खुश हुआ और महान कार्य करने की इच्छा जगाई. इग्नासियुस ने महसूस किया कि ये भावनाएँ उसके लिए ईश्वर की दिशा का सुराग थीं. इस महत्वपूर्ण और बड़े बदलाव के लिए उन्होंने खुद को शिक्षित करने की ठानी.32 वर्ष की आयु में स्पेन के बार्सिलोना में शिक्षा प्राप्त करने गए.इग्नेसियों ने यहां अपने मित्रों में भी गरीबी, शुद्धता आज्ञाकारिता में बढ़ने का उत्साह बढ़ाया.45 वर्ष की आयु में मास्टर डिग्री हासिल की.1529 में शिक्षा के माध्यम से समाज लोगों में व्यापक बदलाव लाने के लिए यीशु समाज की स्थापना की. 1548 में अपनी धार्मिकता को एक पुस्तक में बांधा और 1554 में यीशु समाज का संविधान लिखा. यीशु समाज के सदस्य शिक्षा, समाज-सेवा तथा अन्य मानव कल्याण के कार्य में सराहनीय कार्य करते आ रहे हैं. इग्नेसियुस की मृत्यु 31 जुलाई 1556 को रोम, इटली में बुखार से हुई और 12 मार्च 1622 को संत पिता ग्रेगरी पंद्रहवें द्वारा संत घोषित किए गए.इग्नेसियुस लोयोला ने यीशु ख्रीस्त के जीवन और कार्य से प्रेरणा ली.अपनी जीवनशैली और धार्मिकता में ख्रीस्त को अपनाया.आप भी कर सकते हैं. सेंट इग्नेशियस लोयला का 575 पर्व मनाया गया. इग्नेशियस लोयला का 1491 में जन्म स्पेन के बस परिवार में हुआ था. उनकी माता दोना मरीना पिता लोनावला थे. इनके जीवन में पंपलोन की लड़ाई ने नई दिशा देने का काम किया. 27 सितंबर 1546 में संत पिता द्वितीय द्वारा यीशु समाज की स्वीकृति मिली. इस तरह समाज की स्थापना हुई. संत की मृत्यु 31 जुलाई 1556 को हुई. 1662 में उन्हें संत घोषित किया गया। उनके अनुयायी दुनिया भर में फैले हुए हैं. शिक्षा सेवा व सामाजिक काम द्वारा ईश्वर की महत्ता और महिमा के लिए काम कर रहे हैं.संत इग्नेशियस के सपने को साकार करने का काम यीशु समाज के लोग कर रहे हैं.
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