पटना. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 24 मार्च 2020 की रात आठ बजे, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूरे देश को रोक दिया था ताकि, "कोरोना महामारी को फैलने से रोका जा सके और संक्रमण के चक्र को तोड़ा जा सके".पहली बार 21दिनों के लिए लॉकडाउन लागू किया गया. कोरोना महामारी के कहर व लॉकडाउन का असर खास से लेकर आम लोगों पर पड़ा.प्रभावित होने वालों में अधिवक्ता भी हैं. पटना हाईकोर्ट के कैंपस में स्थित ब्रजकिशोर मेमोरियल हॉल में 'कोरोना में कोर्ट : किस हाल में वकालत पेशा' विषय पर आधारित विशेष डॉक्यूमेंट्री प्रीमियर प्रस्तुति की थी. विशेष डॉक्यूमेंट्री के प्रीमियर 3 घंटे तक चला.इस कार्यक्रम में बिहार बार काउंसिल, एडवोकेट एसोसिएशन और लॉयर्स एसोसिएशन का सहयोग रहा.मौके पर जनज्वार ने लॉकडाउन के दरम्यान अधिवक्ताओं से जुड़े लोगों की पीड़ा समेटकर पुस्तक कोरोना में कोर्ट प्रकाशित किया है,उसका विमोचन किया गया.
दरअसल जिला कोर्ट में सिर्फ बेल व स्टे के मामलों में ही सुनवाई हो रही थी.फिलहाल दो निचली और दो सेशन कोर्ट लग रही है. इनमें त्वरित मामले ही सुने जा रहे हैं.इनसे अलग अन्य मामलों में सिर्फ तारीख पे तारीख मिल रही है.कोर्ट के निरंतर न चलने से अधिवक्ताओं के साथ वेंडर, टाइपिस्ट, मुंशी, क्लर्क आदि भी काम न होने से आर्थिक तंगी झेल रहे हैं.इन्हें सत्ताधारी का नारा सबका साथ,सबका विकास और सबका विश्वास बेईमानी लगने लगा. तमाम अधिवक्ताओं का कहना है कि हमलोग पिछले 533 दिनों से परेशान चल रहे हैं.यही कारण है कि वकालत करने आए तमाम नए वकील पेशा छोड़ने को मजबूर भी हुए हैं.10 से 20 प्रतिशत ऐसे अधिवक्ता हैं जो अन्य व्यवसाय की ओर रुख कर चुके हैं.वहीं, जिला बार एसोसिएशन में 1500 अधिवक्ता हैं,इनमें 200 महिला अधिवक्ता हैं.निचली अदालत में 1000 अधिवक्ता हैं,इनमें 10-11 महिला अधिवक्ता हैं.बार एसोसिएशन का कहना है कि वह अधिवक्ताओं की मदद के लिए सरकार से अनुरोध कर चुकी है, लेकिन अभी तक कुछ नहीं हुआ.जिले में 10 निचली अदालत हैं और नौ सेशन कोर्ट हैं. वहां भी अधिवक्ताओं व अन्य के यही हालात हैं. कोरोना के कारण कोर्ट पूरी तरह खुल नहीं रही है. इस कारण वकीलों को परेशानी हो रही है. ऐसे मे जिला बार एसोसिएशन ने सीएम के नाम डीसी को ज्ञापन सौंपा है.इसमें अधिवक्ताओं को आर्थिक मदद के लिए एक करोड़ रुपये की मांग की गई है ताकि उनकी आर्थिक तंगी दूर हो सके.
अधिवक्ताओं के साथ टाइपिस्ट, स्टांप वेंडर, मुंशी, क्लर्क सहित अन्य कर्मचारी भी तंगी से जूझ रहे हैं.ऐसे में सरकार से मांग है कि जल्द से जल्द अधिवक्ताओं के लिए कोई सिक्योरिटी पैकेज प्लान करना चाहिए ताकि भविष्य में ऐसी कोई आपदा आए तो उन्हें दोबारा आर्थिक तंगी से परेशान न होना पड़े. इस अवसर पर बिहार बार काउंसिल के वाइस प्रेसिंडेंट धर्मनाथ प्रसाद यादव ने कहा कि कोरोना महामारी से उत्पन्न लॉकडाउन ने शिक्षा और अदालत को लॉक कर दिया था. कोर्डिनेशन कमिटी के अध्यक्ष योगेश चन्द्र वर्मा ने कहा कि वकालत इज्जतदार पेशा है.इस पेशे में शामिल अधिवक्तागण बैनर निकालकर जिंदाबाद और मुर्दाबाद नहीं कर सकते हैं.केंद्र और राज्य सरकार बेसुध है.उसे चेतनशील बनाना ही होगा.इसके लिए बिहार बार काउंसिल, एडवोकेट एसोसिएशन और लॉयर्स एसोसिएशन काे एक साथ आना होगा.काली पट्टी लगाकर काम करना होगा.इस पर भी सरकार कुंभकरण बनी रही तो रोड पर उतर कर अपना अधिकार पूरा करवाना होगा.उन्होंने 16 अगस्त से पूरी तरह से अदालत खोलने पर बल दिया.
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