रांची। आरक्षण के मुद्दे पर बहस करना कई लोगों का पसंदीदा काम होता है। इसके पक्ष विपक्ष में न जाने कितनी बहसें हुई है, संविधान सभा से लेकर छोटे कस्बों की चाय दुकान तक। हाल में केंद्र ने NEET में अखिल भारतीय कोटा में 27% सीटें ओबीसी आरक्षण पर सहमति दी है। इस निर्णय के बाद, विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर पक्ष विपक्ष की चर्चाएं चली। जब आरक्षण की बात होती है, तो ओबीसी आरक्षण के बारे में अलग से भी बात करना जरूरी है। देश की एक भारी जनसंख्या होने के बावजूद उन्हें मात्र 27% आरक्षण मिला है। झारखंड में ओबीसी आरक्षण 14% है। झारखण्ड में ओबीसी आरक्षण को 14% से बढ़ा कर 27% करने की बात गत चुनाव के पहले से है। कांग्रेस और झामुमो दोनों के ही घोषणा पत्र में ओबीसी आरक्षण 27% करने की बात थी। अभी 2021 में जनगणना होने को है, ऐसे में जातीय जनगणना की माँग पुनः सामने आ रही है। पिछड़ों की स्थिति के आकलन के लिए जातीय जनगणना की जरूरत है। The Gram Sabha की इस चर्चा में ओबीसी आरक्षण और सामाजिक न्याय की बात की जायेगी। और विभिन्न सवाल जवाब किए जाएंगे। बुधवार 4 अगस्त 2021को शाम 7 से 9 बजे तक द ग्रामसभा के Facebook, Youtube और Twitter समेत सभी प्लेटफॉर्म पर LIVE...होगा।
- कालेलकर आयोग से लेकर आज तक ओबीसी की क्या स्थिति है?
- जातीय जनगणना की माँग पिछड़े क्यों कर रहे हैं?
- क्या 50% अधिकतम आरक्षण के नियम में बदलाव संभव नही है?
- सामाजिक न्याय और जाति विनाश में पिछड़ो की क्या भूमिका हो सकती है?
इसी मामले पर हमारे साथ बातचीत में होंगे
1. सबा परवीन, एम.फिल. शोध विद्यार्थी
2. तुषार अवी राज, भीम सेना, झारखंड
3. धरम वाल्मीकि, सफाई कर्मचारी आंदोलन
4. रंजीत कुमार, भीम आर्मी, झारखंड
5. अंबिका यादव, विस्थापित मुक्ति वाहिनी
6. चिन्मय पाटिल, TISS Alumnus
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