- · अमृतराय की जन्मशती पर राजकमल प्रकाशन समूह ने पाठकों के लिए घोषित की है विशेष योजना
- · प्रेमचंद, सुभद्रा कुमारी चौहान और अमृतराय के साहित्य का प्रामाणिक प्रकाशक है हंस प्रकाशन
- · अमृतराय द्वारा स्थापित हंस प्रकाशन अब राजकमल प्रकाशन समूह का अंग है
नई दिल्ली: प्रसिद्ध लेखक अमृतराय की जन्मशती के अवसर पर घोषित विशेष योजना के तहत राजकमल प्रकाशन समूह, हंस प्रकाशन से छपी किताबों की दुर्लभ प्रतियां पाठकों को उपलब्ध करा रहा है। योजना के तहत जो किताबें उपलब्ध कराई जा रही हैं उनमें अमृतराय के 'धुआँ' और 'बीज' जैसे चर्चित उपन्यासों सहित उनका पूरा साहित्य, कथा सम्राट प्रेमचंद की पुस्तकें और 'झांसी की रानी' जैसी अत्यंत लोकप्रिय कविता रचने वाली सुभद्रा कुमारी चौहान का समग्र शामिल हैं। इसमें महान रूसी लेखक निकोलाई आस्त्रोवस्की का उपन्यास 'अग्निदीक्षा' और अमेरिकी उपन्यासकार हावर्ड फास्ट के उपन्यास 'शहीदनामा', व 'समरगाथा' भी उपलब्ध हैं, जिनके अनुवाद अमृतराय ने किये थे।
राजकमल प्रकाशन समूह के प्रबंध निदेशक अशोक महेश्वरी ने कहा, प्रेमचंद के पुत्र अमृतराय द्वारा स्थापित हंस प्रकाशन अब राजकमल प्रकाशन समूह का अंग है। हंस प्रकाशन से छपी किताबों के पीछे उनकी प्रेरणा और दृष्टि का योगदान रहा है, इसकी ख्याति अमृतराय, प्रेमचंद, सुभद्रा कुमारी चौहान की पुस्तकों के प्रामाणिक प्रकाशक के बतौर रही है। इन लेखकों की सभी पुस्तकों के अलावा अन्य कई दिग्गज रचनाकारों की महत्वपूर्ण कृतियां भी यहां से प्रकाशित हैं। हम इन पुस्तकों के मूल संस्करण की प्रतियां पाठकों को उपलब्ध करा रहे हैं, सीमित संख्या में उपलब्ध ये प्रतियां साहित्य और पुस्तकों से लगाव रखने वालों के लिए धरोहर हैं। अशोक महेश्वरी ने आगे कहा, अमृतराय एक महत्वपूर्ण रचनाकार हैं, उनकी लिखी प्रेमचंद की बेजोड़ जीवनी 'कलम का सिपाही' और हावर्ड फास्ट के उपन्यास स्पार्टाकस का 'आदिविद्रोही' नाम से किया गया अनुवाद इतने चर्चित हुए कि उनकी अन्य पुस्तकों की ओर व्यापक पाठक वर्ग का ध्यान बहुत कम गया। हिंदी प्रकाशन के प्रति उनके योगदान से भी अधिकतर लोग अनजान हैं, ऐसे में उनकी जन्मशती के अवसर पर अमृतराय की पुस्तकों समेत हंस प्रकाशन द्वारा प्रकाशित पुस्तकों के मूल संस्करण की प्रतियां उपलब्ध कराना पाठकों को साहित्य और प्रकाशन, दोनों क्षेत्रों में अमृतराय के योगदान का स्मरण कराने का हमारा विनम्र प्रयास है।
संग्रहणीय हैं हंस प्रकाशन से छपी किताबें
अशोक महेश्वरी ने आगे कहा, हंस प्रकाशन से प्रकाशित सभी पुस्तकें पठनीय तो हैं ही, अपनी विशिष्ट साज सज्जा के कारण हिंदी प्रकाशन जगत में इनकी विशेष पहचान रही है।इस कारण ये संजो कर रखने लायक भी हैं। उन्होंने कहा, हमारी योजना के तहत उपलब्ध कराई जा रही किताबें मूल संस्करण की दुर्लभ प्रतियां हैं । इनके आवरण अत्यंत कलात्मक हैं ।ये साहित्य प्रेमियों के लिए धरोहर हैं, जिन्हें वे अपने संग्रह में रखना चाहेंगे, ये सीमित संख्या में बची हैं । पाठक ये किताबें राजकमल प्रकाशन समूह की वेबसाइट पर ऑर्डर कर मंगा सकते हैं,समूह की सभी शाखाओं पर भी ये किताबें उपलब्ध हैं, पुस्तकें ऑनलाइन साइट पर भी उपलब्ध हैं । यह योजना 15 सितंबर तक चलेगी, गौरतलब है कि अमृतराय का जन्म 15 अगस्त 1921 को हुआ था. मौजूदा वर्ष उनका जन्मशती वर्ष है.
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