- अंतिम यात्रा में माले महासचिव काॅ. दीपंकर भट्टाचार्य सहित शामिल हुए अन्य प्रांतों के माले नेता.
- काॅ. बीबी पांडेय एक आदर्श शिक्षक, पार्टी के अनुशासित सिपाही और हमारे रोल माॅडल थे - दीपंकर भट्टाचार्य
- महागठबंधन के दलों ने भी दी काॅ. बृजबिहारी पांडेय को श्रद्धांजलि
श्रद्धांजलि सभा में माले महासचिव काॅ. दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा कि 2020-21 का दौर हमारे लिए बेहद दुखद रहा है, हमने बहुत सारे साथियों को खो दिया है. कुछ दिन पहले काॅ. अरिवंद कुमार व काॅ. रामजतन शर्मा हमसे बिछड़ गए और आज हम यहां काॅ. बीबी पांडेय को अंतिम विदाई देने के लिए जमा हुए हैं. काॅ. बीबी पांडेय ने पिछले करीब 50 साल से देश के बहुत सारे इलाकों में और बहुत सारे मोर्चों पर काम किया. वे जहां भी रहे, जिस काम में भी रहे, उसे उन्होंने बेहद जिम्मेवारी के साथ निभाया. काॅ. विनोद मिश्र के साथ, जो उनके बचपन के साथी रहे, काॅलेज की पढ़ाई के दौरान ही वे पार्टी के संपर्क में आए. उन दोनों की पढ़ाई जनता की मुक्ति के मुहिम में तब्दील हो गई. उनमें से एक काॅ. डीपी बख्शी को हमने 2018 में ही खो दिया. पश्चिम बंगाल के दुर्गापुर के इलाके के कई छात्र और औद्योगिक मजदूर भी इस मुहिम से जुड़ गए और आगे चलकर उन्होंने भाकपा-माले के पुनर्गठन में अहम भूमिका निभाई. पार्टी को आगे बढ़ाना, पार्टी कामकाज को विस्तार देना और पार्टी को संचालित करना यह सारा काम उनलोगों ने किया. उन्होंने पार्टी के प्रकाशनों को गति देने में बड़ी भूमिका निभाई. लाल झंडा, लिबरेशन, जनमत और जनसंस्कृति मंच में उनकी सक्रियता लगातार बनी रही और उनकी बौद्धिकता उभरकर सामने आई. लेकिन बौद्धिकता के साथ अक्सर पार्टी अनुशासन का तालमेल नहीं रह पाता. काॅ. बीबी पांडेय बौद्धिक होने के साथ-साथ पार्टी के एक समर्पित व अनुशासनप्रिय सिपाही भी थे. यही वह गुण था जिसकी बदौलत वे पार्टी के केंद्रीय कंट्रोल कमीशन के चेयरमैन थे. अत्यंत धीरज, कभी गुस्सा न करना, हमेशा धीमी आवाज में बात करना और पार्टी के अनुशासन व विचारधारा व राजनीति को हमेशा आगे बढ़ाना, ये वो गुण हैं जो हम उनसे सीख सकते हैं. वे हमारे रोल माॅडल थे. उन्होंने पार्टी और पार्टी के बाहरी दायरे में भी छात्रों के लिए शिक्षक की भूमिका निभाई और उन्हें माक्र्सवाद पर अमल करना सिखाया.
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें